अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप के राजनीतिक उद्देश्य, विचारधारा से सहमत होना या न होना एक अलग विषय है।
लेकिन इस चुनाव में एक विशेष तथ्य पर बात करना चाहता हूँ, जो यह बताता है कि अमेरिका और भारत कि मानसिकता में क्या अंतर है।
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के साथ वहाँ का सबसे धनी उद्योगपति इलॉन मस्क उनके साथ चुनाव प्रचार करता है। अमेरिकी जनमानस इसका समर्थन भी करता है।
यदि भारत में भारत का प्रधानमंत्री एक उद्योगपति से हाथ भी मिला ले तो यह विषय चुनाव का मुद्दा बन जाता है। भारतीय जनमानस इसे अपराध के रूप में लेता है।
क्या आपको यह नहीं लगता कि अमेरिका के लोगों का यह यथार्थवादी चिंतन उसे सबसे विकसित, शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में भूमिका रखता है।
धन वैभव तो भारत के लोगों को भी चाहिये, लेकिन यहाँ सभी झूठे, बनावटी, दरिद्रता पूजक बनते हैं।
यहाँ जिसे जो चाहिये, उसे उसी से घृणा है।
यहाँ... "जो धनिक है, वह अवश्य ही चोर होगा.." की धारणा है।
तो जिन्हें धनिक बनना है, वह चोरी करें, घूस लें, भ्र्ष्टाचार करें।
तो भारत के घिसते, रेंगते विकास के लिये क्या यही चिंतन जिम्मेदार नहीं है ??