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बात 2014 के किसी महीने की है। उम्र के तीस साल का नंबर टच करने में तब काफी समय मेरे पास बचा हुआ था। और शादी भी तब तक हुई नहीं थी। मुझे तब पता भी नहीं था कि यूट्यूब से पैसे भी कमाए जा सकते हैं। उस वक्त तो हमारे लिए तो यूट्यूब सिर्फ मनोरंजन का एक ज़रिया था। खाली समय में या तो हम तमाम हिंदी-अंग्रेजी गाने सुनते थे। या दूसरे कॉमेडी वीडियोज़ देखते थे। उन दिनों नाइट शिफ्ट चल रही थी न्यूज़ चैनल में मेरी। और चूंकि मैं प्रोग्रामिंग डिपार्टमेंट में था तो काम-धाम कुछ खास होता नहीं था। गधे सीनियरों ने बेफिज़ूल नाइट शिफ्ट का टंटा पाला हुआ था।
ऐसे ही एक दिन यूट्यूब को स्क्रॉल करते-करते मुझे एक वीडियो दिखा। एक लव-स्टोरी टाइप की कहानी थी। उस ज़माने में तो वैसी कहानियां हमारी फेवरिट होती थी। सो वो कहानी देखनी शुरू की। बड़ा मज़ा आया। यूनीक कॉन्सेप्ट लगा(उस वक्त)। पता चला कि ये तो कई एपिसोड्स(पांच एपिसोड्स) का एक पूरा सीज़न है। उसी रात पूरा सीज़न देख डाला। इतना मज़ा आया कि मैसेज करके अपने एक साथी कर्मचारी(जो कि दोस्त भी बन गया था) को भी उस लव स्टोरी के बारे में बताया। उसे जब मौका मिला तो उसने भी कुछ एपिसोड्स देख डाले। और वो भी उस कहानी का फैन हो गया।
और फिर तो हम बेसब्री से उसके दूसरे सीज़न के आने का इंतज़ार करने लगे। दूसरा सीज़न जब तक आया तब तक मैं उस न्यूज़ चैनल की नौकरी छोड़ चुका था। बाद में अपने घर पर मैंने उसका दूसरा सीज़न देखा था। वो शो था टीवीएफ नाम के यूट्यूब चैनल पर प्रसारित हुआ परमानेंट रूममेट्स। और मुझे सबसे ज़्यादा पसंद आते थे उसके लीड कलाकार। हीरो मिकेश चौधरी का किरदार निभाने वाले सुमीत व्यास और हीरोइन तान्या नागपाल का किरदार निभाने वाली निधि सिंह मेरे फेवरिट थे। और सच कहूं तो मैं निधि सिंह से ज़्यादा सुमीत व्यास का कायल हुआ था। बड़ी बेहतरीन पर्सनैलिटी लगी थी भाई की। और एक्टिंग भी।
मुझे तो पता ही नहीं था कि सुमीत व्यास परमानेंट रूममेट्स में काम करने से काफी पहले से एक्टिंग जगत में एक्टिव हैं। बहुत वक्त तक मैं बस यही मानता रहा था कि ये लड़का इन्हीं यूट्यूब के दौर वाले एक्टरों में से एक होगा। दूसरा सीज़न देखने के बाद जानकारी हुई थी कि नहीं भाई, ये तो थिएटर का बंदा है। और 2006 से ही टीवी शोज़ व फिल्मों में काम कर रहा है।
तो उपरोक्त लिखी सारी कहानी का सार ये है कि आज सुमीत व्यास भाई का जन्मदिन है। 27 जुलाई 1983 को राजस्थान के जोधपुर में सुमीत व्यास का जन्म हुआ था। वैसे तो एक्टिंग और राइटिंग को लेकर छोटी उम्र से ही इनके भीतर एक उत्साह पैदा हो गया था। लेकिन एक वक्त वो भी आया था जब ये पायलट या कंप्यूटर इंजीनियर बनने का ख्वाब देखने लगे थे। इन्होंने उसके लिए बाकायदा तैयारी भी शुरू कर दी थी। लेकिन किस्मत इंसान को कहीं से भी वहां उठाकर वहां ले ही आती है जहां उसे आना ही होता है।
एकदिन सुमीत भाई के दिमाग में एक घंटी सी बजी और इन्होंने खुद से कहा,"नहीं यार, मेरा पैशन तो एक्टिंग है। मैं ये साइंस की इतनी मोटी-मोटी किताबों में क्यों अपना सिर खपा रहा हूं?" बस फिर क्या था। छोड़ी पढ़ाई और लग गए अपने सपनों को पूरा करने की कोशिशों में। पहले जॉइन किया एक एडिटिंग स्टूडियो। वहां कुछ वक्त तक असिस्टेंट एडिटर की हैसियत से काम किया। साथ ही साथ थिएटर से भी जुड़ गए। और फिर 2006 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए "वो हुए ना हमारे" नाम के एक शो से सुमीत के एक्टिंग करियर का आगाज़ भी हो गया। और फिर जो एक्टिंग की गाड़ी चली तो ऐसी चली कि अब तक नहीं थमी। जल्दी से थमनी भी नहीं चाहिए वैसे।
तब से अब तक सुमीत कई टीवी शोज़, कई वेब सीरीज़ और कई फिल्मों में काम कर चुके हैं। परमानेंट रूममेट्स इनकी पहली वेब सीरीज़ थी। और 2007 में आई "मामू टेंशन नहीं लेने का" नाम की फिल्म सुमीत की पहली फिल्म थी। उसके बाद तो सुमीत चौधरी ने जश्न, आरक्षण, इंग्लिश विंग्लिश, औरंगज़ेब, सबकी बजेगी बैंड, गुड्डू की गन, रिबन, वीरे दी वैडिंग, हाई जैक, अफवाह और सजिनी शिंदे का वायरल वीडियो सहित और भी कई फिल्मों में काम किया है। और उम्मीद है कि आगे भी सुमीत व्यास यूं ही फिल्मों, टीवी शोज़ व वेब सीरीज़ में काम करते रहेंगे। किस्सा टीवी की तरफ से सुमीत व्यास जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं। #sumeetvyas #happybirthday #permanentroommates

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सुशांत सिंह राजपूत के बारे में सबने बात की थी। लेकिन इन्हें किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। आसिफ बसरा। इनके नाम को शायद आपने पहले कभी ना सुना हो, लेकिन इनके चेहरे से आप अच्छी तरह से वाकिफ होंगे। ये एक बेहद शानदार एक्टर थे। और एक ज़िंदादिल इंसान थे। 2020 के उस मनहूस साल में एक के बाद एक दुनिया छोड़कर जा रही शानदार शख्सियतों में इनका नाम भी जुड़ा था।
12 नवंबर 2020 को आसिफ बसरा ने हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। सुशांत सिंह राजपूत के अचानक चले जाने से लगे सदमे से लोग उबर भी नहीं पाए थे, कि उनके सह कलाकार रहे आसिफ बसरा की आत्महत्या की खबर ने सिने प्रेमियों के दिल को अंदर तक झकझोर कर रख दिया था। आसिफ बसरा सुशांत के साथ फिल्म ‘काई पो चे’ में नज़र आए थे।
तो कैसे आसिफ बसरा एक्टिंग की दुनिया में आए? कैसे साइंस बैकग्राउंड का ये स्टूडेंट फिल्म इंडस्ट्री में इतना सफल हुआ? आज हम आपको आसिफ बसरा की ज़िंदगी की कहानी बताएंगे।
आसिफ बसरा का शुरूआती जीवन
आसिफ बसरा का जन्म हुआ था 27 जुलाई 1967 को महाराष्ट्र के अमरावती में। बचपन में इन्हें फिल्म कलाकारों की नकल उतारने में बड़ा मज़ा आता था। फिल्मी कलाकारों की नकल उतारने का इनका ये चस्का कब एक्टिंग के शौक और फिर जुनून में बदल गया, इन्हें खुद भी पता नहीं चला। जब ये दसवीं क्लास में थे तो स्कूल में 15 अगस्त के मौके पर हुए एक नाटक में इन्होंने भी एक्टिंग की। इनकी एक्टिंग को काफी सराहा गया। इनके पिता इन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। लेकिन ये मन ही मन तय कर चुके थे, कि अब अगर कुछ बनना है, तो फिल्मों की दुनिया में ही बनना है।
ऐसे हुई आसिफ बसरा की एक्टिंग की शुरूआत
कॉलेज में दाखिला लेने के बाद भी आसिफ का एक्टिंग का शौक मरा नहीं। ये साइंस बैकग्राउंड के स्टूडेंट थे। लेकिन फिर भी कॉलेज में होने वाले नाटकों में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे और अपने कॉलेज में काफी मशहूर भी थे। कॉलेज खत्म हुआ और इन्हें एक अच्छी नौकरी भी मिल गई। अपनी पगार का ज़्यादातर हिस्सा ये सिनेमा हॉल में फिल्में देखने और थिएटर में नाटक देखने में खर्च कर देते थे। एक दिन एक नाटक देखने के दौरान ही इनकी मुलाकात सलीम ग़ोश से हुई। सलीम ग़ोश उन दिनों थिएटर की दुनिया का एक बड़ा नाम हुआ करते थे। सलीम ग़ोश से हुई इसी मुलाकात ने आसिफ की ज़िंदगी भी बदलकर रख दी।
थिएटर में आसिफ बसरा ने बनाया बड़ा नाम
सलीम ग़ोश ने आसिफ को अपने नाटक हैमलेट में होराशिओ का रोल दिया। आसिफ ने बड़ी ही खूबसूरती के साथ ये रोल निभाया। इसके बाद आसिफ ने मर्चेंट ऑफ वेनिस नाम के एक और अंग्रेजी नाटक में काम किया। इस नाटक में भी इनकी एक्टिंग की काफी तारीफ की गई। लेकिन थिएटर में इनकी सबसे यादगार परफॉर्मेंस रही महात्मा वर्सेज गांधी नाम के नाटक में जिसे उस दौर के मशहूर एक्टर फिरोज़ खान ने प्रोड्यूस किया था। इस नाटक में आसिफ ने 5 किरदार निभाए थे। मैं भी सुपरमैन नाम के एक नाटक में इन्होंने स्पाइनल बिफिडा नाम की बीमारी के मरीज़ का किरदार निभाया था। इस किरदार में भी आसिफ बसरा को बेहद पसंद किया गया था।

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ये हैं अक्षय कुमार के साली और साढू। नाम है इनका रिंकी खन्ना व समीर सरन। बात करेंगे आज रिंकी खन्ना के बारे में, जो कि एक वक्त पर एक्ट्रेस रह चुकी हैं और कुछ फिल्मों में काम कर चुकी हैं। और रिंकी खन्ना की भी बात क्यों कर रहे हैं आज हम? क्योंकि आज रिंकी खन्ना का जन्मदिन है। 27 जुलाई 1975 को रिंकी खन्ना पैदा हुई थी। रिंकी राजेश खन्ना जी व डिंपल कपाडिया जी की छोटी बेटी हैं। साल 1999 में आई 'प्यार में कभी कभी' रिंकी खन्ना की पहली फिल्म थी। उसके बाद रिंकी दिखी गोविंदा के साथ फिल्म 'जिस देश में गंगा रहता है' में।
रिंकी खन्ना को फिल्मों में सफलता नहीं मिल सकी। उन्होंने मुझे कुछ कहना है, ये है जलवा, तमिल फिल्म मजनू, अंग्रेजी फिल्म मैंगो सॉफ्ले, प्राण जाए पर शान ना जाए, झन्कार बीट्स और चमेली जैसी फिल्मों में काम किया। चमेली रिंकी की आखिरी फिल्म थी। और इस फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही रिंकी की शादी हो गई थी। रिंकी के पति समीर सरन एक बिजनेसमैन हैं। रिंकी अब अपने परिवार के साथ लंदन में रहती हैं। उनके दो बच्चे हैं। रिकी की बेटी का नाम है नाओमिका सरन। बेटे का नाम पता नहीं चल पाया। रिंकी की बेटी नाओमिका सरन सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव हैं । किस्सा टीवी की तरफ से रिंकी खन्ना जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। हम कामना करते हैं कि रिंकी खन्ना जी व उनका परिवार हमेशा सुखी रहे। #rinkekhanna #happybirthday

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद
श्री मदन राठौड़ जी को भारतीय जनता पार्टी, राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

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धन्य है वो वीर सपूत,जिन्होंने ऊँचा किया माँ भारती का माथा,रणबाँकुरो के पराक्रम की कारगिल स्वयं सुनाता गाथा।
अपने अदम्य साहस और वीरता से कारगिल में तिरंगे की आन-बान-शान बरक़रार रखने वाले वीर सैनिकों को कोटि-कोटि नमन।#vijaydiwas

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जनसंघ से लेकर भाजपा संगठन को माँ के रूप में सेवा करने वाले
गो भक्त आदरणीय ब्रजमोहन जी बोहरा उर्फ ब्रजा काका को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ! प्रभु श्री राम जी का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे 🎂🙏

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भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रदेश मंत्री, राष्ट्रवादी व्यक्तित्व बड़े भाई अभिजात जी मिश्रा को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ! बाबा काशी विश्वनाथ का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे 🎂🙏

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यह जो स्व घोषित शंकराचार्य बनकर बैठे हैं श्रीमान अभी मुक्तेश्वरानंद यह व्यक्ति शंकराचार्य कहलन के योग्य नहीं है इस व्यक्ति ने शंकराचार्य के पद और भगवान शंकराचार्य की गरिमा को नीचे गिराया है यह व्यक्ति किसी भी लिहाजा से इस पद के काबिल नहीं है जो व्यक्ति भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा पर विरोध करके मुंह फुला कर बैठा रहा जहां हिंदुओं की आस्था जुडी थी कई सौ वर्ष बाद भगवान राम को एक भवन निर्माण हुआ वहां पर यह व्यक्ति नहीं गया मगर अंबानी के दरवाजे पर विवाह में चला गया क्या शंकराचार्य विवाह में आशीर्वाद बांटने के लिए होता है यही व्यक्ति कहता है हम राजनीतिक नहीं है फिर उद्धव ठाकरे के घर जाकर के जो राजनीतिक बयान बाजी करता है वह क्या था पहले मुझे भी शंकराचार्य के पद पर बहुत विश्वास था मगर अभी मुक्तेश्वर आनंद जैसे व्यक्तियों ने इस पद की गरिमा को धूमिल कर दिया जनता को मांग करनी चाहिए कि जिस तरह सिख पंथ ने अपने धर्म गुरुओं की पदवी किसी व्यक्ति को देना बंद कर दिया ठीक उसी प्रकार आदि शंकराचार्य की पदवी अबकिसी भी व्यक्ति को नहीं देना चाहिए क्योंकि यह कलयुग है और आज के युग में अब आदि शंकराचार्य मिलना महान विभूति मिलना मुश्किल है आप क्या सोचते हैं यह व्यक्ति शंकराचार्य पद के काबिल है मुझे पता है कि बहुत से लोगों को यह बात बुरी लगेगीऔर लोग गाली गलौज भी करेंगे मगर आंख बंद करने से कुछ नहीं होगा सच्चाई को देखिए

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सही बात है 👍👍👍👍

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अब वो बात नहीं रहीं 👍👍👍👍

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