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“हम वहीं जिसने समन्दर की लहर पर बाँध साधा”🇮🇳💪🏼
भगवान वरूण के नवजात पुत्र #insvikrant को महाराज पृथु के राज्य की, राघवेंद्र चरण अवगाहक सागर-लहरियों पर, अविश्राम विचरण के पहले पल शुभ हो। आसमुद्रक्षितीश तिरंगे के रंग तुम्हारे हिल्लोल में सदैव जीवंत और चटख रहें विक्रमोर्जित❤️🇮🇳💪🏼🙏 🤗

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DIE AND LET DIE!!
Americans do not hate Musks and Bejos. Germans do not hate Mercedes and Siemens.
Japanese don't hate Matsushitas & Sonys.
Koreans do not hate Samsungs and Hyundais.
Dutch do not hate Philips.
Only some Indians hate Ambanis and Adanis. Earlier, they used to hate Tatas & Birlas, Goenkas & Dalmias.
This regressive attitude is holding us back. Poverty is worshipped here, prosperity is resented.
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ਬਿੱਟੂ ਦਾ ਬਿਆਨ ਸਹੀ ਯਾ ਗਲਤ 🤔 ਕਮੇੰਟ ਪਲੀਜ ☺️

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#पाटण_की_रानी_रुदाबाई जिसने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ कर दिल निकाल लिया था, और कर्णावती शहर के बिच में टांग दिया था, और धड से सर अलग करके पाटन राज्य के बीचो बीच टांग दिया था।
गुजरात से कर्णावती के राजा थे, राणा वीर सिंह वाघेला (#सोलंकी ),इस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे, पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् 1497 पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की 40000 से अधिक संख्या की फ़ौज २ घंटे से ज्यादा टिक नहीं पाई, सुल्तान बेघारा जान बचाकर भागा।
असल मे कहते है सुलतान बेघारा की नजर रानी रुदाबाई पे थी, रानी बहुत सुंदर थी, वो रानी को युद्ध मे जीतकर अपने हरम में रखना चाहता था। सुलतान ने कुछ वक्त बाद फिर हमला किया।
राज्य का एक साहूकार इस बार सुलतान बेघारा से जा मिला, और राज्य की सारी गुप्त सूचनाएं सुलतान को दे दी, इस बार युद्ध मे राणा वीर सिंह वाघेला को सुलतान ने छल से हरा दिया जिससे राणा वीर सिंह उस युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए।
सुलतान बेघारा रानी रुदाबाई को अपनी वासना का शिकार बनाने हेतु राणा जी के महल की ओर 10000 से अधिक लश्कर लेकर पंहुचा, रानी रूदा बाई के पास शाह ने अपने दूत के जरिये निकाह प्रस्ताव रखा,
रानी रुदाबाई ने महल के ऊपर छावणी बनाई थी जिसमे 2500 धर्धारी वीरांगनाये थी, जो रानी रूदा बाई का इशारा पाते ही लश्कर पर हमला करने को तैयार थी, सुलतान बेघारा को महल द्वार के अन्दर आने का न्यौता दिया गया।
सुल्तान बेघारा वासना मे अंधा होकर वैसा ही किया जैसे ही वो दुर्ग के अंदर आया राणी ने समय न गंवाते हुए सुल्तान बेघारा के सीने में खंजर उतार दिया और उधर छावनी से तीरों की वर्षा होने लगी जिससे शाह का लश्कर बचकर वापस नहीं जा पाया।
सुलतान बेघारा का सीना फाड़ कर रानी रुदाबाई ने कलेजा निकाल कर कर्णावती शहर के बीचोबीच लटकवा दिया।
और..उसके सर को धड से अलग करके पाटण राज्य के बिच टंगवा दिया साथ ही यह चेतावनी भी दी की कोई भी आक्रांता भारत वर्ष पर या सनातनी महिला पर बुरी नज़र डालेगा तो उसका यही हाल होगा।
इस युद्ध के बाद रानी रुदाबाई ने राजपाठ सुरक्षित हाथों में सौंपकर कर जल समाधि ले ली, ताकि कोई भी तुर्क आक्रांता उन्हें अपवित्र न कर पाए।
ये देश नमन करता है रानी रुदाबाई को, गुजरात के लोग तो जानते होंगे इनके बारे में। हमारे पुर्वजो और विरांगानाये ऐसा कर्म कर सनातन संस्कृति का मान रखा है और वैदिक धर्म को बचाया है।

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कौन बचाएगा शाहरुख, शहरुद्दीन, नईम जैसों से हिंदू लड़कियों को!

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The passion of this man to teach this 1 word is inspiring!! 😇😂 #fun