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मानवशरीर में सप्तचक्रों का प्रभाव ☀️
1. मूलाधारचक्र : ☀️
यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।
मंत्र : लं
चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है- यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।
प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।
2. स्वाधिष्ठानचक्र- ☀️
यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से 4 अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी 6 पंखुरियां हैं। अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी। यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी खाली रह जाएंगे।
मंत्र : वं
कैसे जाग्रत करें : जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं। मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को बेहोशी में धकेलता है। फिल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर आप जो अनुभव करते हैं वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है। नाटक और मनोरंजन सच नहीं होते।
प्रभाव : इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश
होता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उक्त सारे दुर्गुण समाप्त हों तभी सिद्धियां आपका द्वार खटखटाएंगी।
3. मणिपुरचक्र : ☀️
नाभि के मूल में स्थित यह शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो 10 कमल पंखुरियों से युक्त है। जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा यहां एकत्रित है उसे काम करने की धुन-सी रहती है। ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं। ये लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं।
मंत्र : रं
कैसे जाग्रत करें : आपके कार्य को सकारात्मक आयाम देने के लिए इस चक्र पर ध्यान लगाएंगे। पेट से श्वास लें।
प्रभाव : इसके सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं। यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए आत्मवान होना जरूरी है। आत्मवान होने के लिए यह अनुभव करना जरूरी है कि आप शरीर नहीं, आत्मा हैं।
आत्मशक्ति, आत्मबल और आत्मसम्मान के साथ जीवन का कोई भी लक्ष्य दुर्लभ नहीं।
4. अनाहतचक्र- ☀️
हृदयस्थल में स्थित द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र है। अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे। हर क्षण आप कुछ न कुछ नया रचने की सोचते हैं। आप चित्रकार, कवि, कहानीकार, इंजीनियर आदि हो सकते हैं।
मंत्र : यं
कैसे जाग्रत करें : हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जाग्रत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है।
प्रभाव : इसके सक्रिय होने पर लिप्सा, कपट, हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत हितैषी एवं बिना किसी स्वार्थ के मानवता प्रेमी एवं सर्वप्रिय बन जाता है।
5. विशुद्धचक्र-
कंठ में सरस्वती का स्थान है, जहां विशुद्ध चक्र है और जो 16 पंखुरियों वाला है। सामान्य तौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे।
मंत्र : हं
कैसे जाग्रत करें : कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।
प्रभाव : इसके जाग्रत होने कर 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान हो जाता है। इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।
6. आज्ञाचक्र : ☀️
भ्रूमध्य (दोनों आंखों के बीच भृकुटी में) में आज्ञा चक्र है। सामान्यतौर पर जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है तो ऐसा व्यक्ति बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है लेकिन वह सब कुछ जानने के बावजूद मौन रहता है। इसे बौद्धिक सिद्धि कहते हैं।
मंत्र : उ
कैसे जाग्रत करें : भृकुटी के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।
प्रभाव : यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं। इस आज्ञा चक्र का जागरण होने से ये सभी शक्तियां जाग पड़ती हैं और व्यक्ति सिद्धपुरुष बन जाता है।
7. सहस्रारचक्र :
सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात जहां चोटी रखते हैं। यदि व्यक्ति यम, नियम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है। ऐसे व्यक्ति को संसार, संन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है।
मंत्र : ॐ
कैसे जाग्रत करें : मूलाधार से होते हुए ही सहस्रार तक पहुंचा जा सकता है। लगातार ध्यान करते रहने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है।

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सिस्टम के साथ साथ इकोसिस्टम भी बदल रहे हैं। परंतु समय तो जरुर लगेगा। क्या यह वही JNU है!?

आज महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में, JNU की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने कहा, अब भी 'वामपंथी' विचारधारा मौजूद है, आप लोग जानते होंगे कि तीस्ता सीतलवाड़ को "जमानत" देने के लिए, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार रात को कोर्ट खोल दिया था, क्या ऐसी ही "व्यवस्था" हम लोगों के लिए भी होगी!? राजनीतिक सत्ता में बने रहने के लिए आपके पास नैरेटिव पावर का होना बहुत जरुरत है, और हमें इसकी बहुत जरूरत भी है, जब तक हम सभी के पास 'नैरेटिव पावर' नहीं होगी, तब तक हम एक दिशाहीन जहाज की तरह हैं! मैं बचपन में 'बाल सेविका' थी। मुझे संस्कार RSS से ही मिले हैं। मुझे यह कहने में गर्व है कि मैं RSS से हूँ। मुझे यह कहने में भी गर्व है कि मैं हिन्दू हूँ। यह कहने में, मैं बिल्कुल भी संकोच नहीं करती। इसके बाद उन्होंने 'जय श्रीराम' का नारा लगाते हुए कहा, गर्व से कहती हूँ कि मैं हिन्दू हूँ।

आप लोगों को बता दूं कि, शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित JNU की कुलपति बनने के बाद जब उन्होंने विश्वविद्यालय के परिसर में राष्ट्रीय ध्वज और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर लगाने का फैसला किया तो वामपंथी छात्रों ने, इसका भारी विरोध किया था। वामपंथी छात्रों की विरोध पर उन्होंने कहा था, आप टैक्स देने वालों के पैसे से JNU में फ्री का खाना खा रहे हैं, इसलिए आप लोगों को राष्ट्रीय ध्वज के सामने झुकना पडेगा और मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनका किसी पार्टी से कोई संबंध नहीं है। अब एक साल से भी अधिक का समय बीत चुका है। कोई भी विरोध नहीं करता है...

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प्रतिवर्ष लोकसभा का एक बहुत बड़ा बजट केवल Bills के प्रिंटआउट निकलवाने और बांटने में निकलता था। कई बार तो बिल फाड़ भी दिये जाते थे।
कान तरस गए थे यह सुनने को:
बिल अब सॉफ्ट कॉपी में ही होगा, पढ़ लो।
आज स्पीकर साहब कह रहे हैं:
बिल अपलोड कर दिया गया है। इसमें पढ़ लीजिए।
नई टेक्नोलॉजी है। You can see the bill
बहुत बढ़िया। शानदार।
साथ में यह भी ओम बिड़ला जी ने बोला:
मेरी स्क्रीन पर दिख रहा है, आपको भी दिखना चाहिये।
ये नया भारत है, डिजिटल भारत है।

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कनाडा की एक बड़ी मीडिया हाउस एक के बाद एक 20 ट्वीट करके पूरे विश्व में सनसनी मचा दिया
कनाडा की मीडिया का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो का प्लेन खराब नहीं हुआ था जस्टिन जब जा रहे थे तब स्निपर डॉग को प्लेन के पास ड्रग्स की महक आई उसके बाद जस्टिन टुडे को तीन दिनों तक होटल में डिटेन में रखा गया था
वह भारत सरकार की जांच एजेंसियों की कैद में थे उसके बाद उन्हें राष्ट्र अध्यक्ष होने का फायदा देकर रवाना किया गया और विश्व के सामने यह बहाना बनाया गया कि उनका प्लेन खराब हो गया था इसीलिए जस्टिन ट्रूडो भारत से आने के तुरंत बाद इतना तमतमाया हुए हैं
गौरतलब है कि जस्टिन ट्रूडो की पत्नी ने तलाक में यह कहा था कि जस्टिन टुडे को ड्रग्स की आदत है

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कनाडा की विदेश मंत्री और कनाडा के प्रधानमंत्री ने संसद में झूठ बोला की कनाडा की भूमि पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या हुई है जबकि हरदीप सिंह निज्जर भारतीय नागरिक था भारत में 40 से ज्यादा गुनाहों में वह वांटेड था 1997 में वह कनाडा भाग गया वहां उसने रिफ्यूजी स्टेटस मांगा जिसे कनाडा सरकार ने अस्वीकार कर दिया
फिर ब्रिटिश कोलंबिया की जिस महिला ने उसे स्पॉन्सर किया था उसे बूढी महिला से उसने सिटीजनशिप के लिए शादी की जिसे बाद में कनाडा की कोर्ट ने अस्वीकार कर लिया यानी उसे मरते दम तक कनाडा की नागरिकता कनाडा सरकार ने नहीं दिया था इंटरपोल के द्वारा जारी वारंट में भी उसे भारतीय नागरिक ही बताया गया था

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भक्त शिरोमणि मीरा बाई जी ने अपना अन्तिम समय बेट द्वारिका में जिस स्थान पर व्यतीत किया
और जहां से उन्होंने अंतिम यात्रा जो भगवान श्री द्वारिकाधीश के श्री विग्रह में समाहित हो पूर्णत्व को प्राप्त किया।
यहां के वातावरण में आज भी मीरा जी के भजन गुंजायमान है।
लेकिन यहां जीर्णोद्वार की आवश्यकता है__ कुछ भक्तजन मिल कर इसे सही करने का कार्य करें 🙏
मृत्यु स्थान _ रणछोड़ मंदिर, डाकोर द्वारिका, गुजरात
पोस्ट आगे बढ़ाएं __ ताकि किसी ऐसी जगह पंहुच जाए, जहां से उद्धार हो सके। 🙏

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भक्त शिरोमणि मीरा बाई जी ने अपना अन्तिम समय बेट द्वारिका में जिस स्थान पर व्यतीत किया
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