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यह बकवास किसने फैलाई कि स्त्री पर हाथ नहीं उठाया जाना चाहिए ?
हनुमान जी ने भी दो गदा खींच के मारी थी लंकिनी को। भरत ने अपनी माँ को भला बुरा सुनाया था और मंथरा के भी कंटाप पड़े थे ।
सूर्पनखा की केवल नाक कान ही नहीं कटे होंगे, कायदे से सुताई भी हुई होगी। अब रानी चेनम्मा और रानी लक्ष्मीबाई युद्ध के मैदान में गयी तो क्या स्त्री समझ कर उन पर वार नहीं किया गया होगा ? युद्ध का मैदान स्त्री पुरुष का भेद क्या जाने। लड़ना है तो लड़ो नहीं तो और काम है करने को।
कन्या है तो हाथ मत उठाओ, आखिर क्यों भाई? गलती करेगी तो मार भी पड़ेगी जैसे बेटे को पड़ती है। सब सुविधा दो लेकिन हाथ मत उठाओ। इसी मानसिकता ने सारी गड़बड़ की है। दो थप्पड़ बचपन में लगाओ और फिर बताओ की तुम कहीं की परी नहीं हो। गलती करोगी तो सूती जाओगी। तब वह एक दम सही रास्ते पे चलेगी।
सारा काम मेरी गुडिया, मेरी रानी, मेरी परी करने वालों ने बिगाड़ा है।
जिसकी समझ आए धन्यवाद 🙏
जो नहीं समझ पाए उनसे क्षमा.🙏