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यह पंजाब के सरदार ने अमेरिका की रहने वाली गोरी के साथ शादी की है बहुत से पंजाबी भारती कनाडा में और अमेरिका में जाकर गोरियों के साथ शादी कर रहे हैं पंजाबियों की गिनती कनाडा और अमेरिका में बहुत ज्यादा हो गई है अच्छे कैरेक्टर और अच्छे काम की वजह से गोरियां भारती पंजाबियों को बहुत ज्यादा पसंद कर लेती हैं यह गुरु का सिख है और इन्होंने अपनी घरवाली को भी सिख बना लिया है बहुत ही खूबसूरत तस्वीर है दोस्तों आपको कैसी लगी बताना जरूर 😝
पहले पेड़ बचाने के लिए जवानी खपाई और अब बीज बचाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया।टिहरी के विजय जड़धारी एक चलते फिरते संस्थान हैं पारंपरिक फसलों को लेकर उनका ज्ञान, बीजों के संरक्षण को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण रोचक है।लेकिन दुर्भाग्य है कि हमने 24 साल में जड़धारी जी जैसे लोगों से कुछ नहीं सीखा। खासकर कृषि, ग्रामीण विकास जैसे मामलों में उनकी विशेषज्ञता बहुत काम आ सकती थी
बहरहाल देवभूमि डायलॉग के पॉडकास्ट में इस बार मेहमान होंगे बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता, एक सच्चे और सरल पहाड़ी विजय जड़धारी जी
हरियाणा के डबवाली में एक महिला ने मां-बाप से बिछड़ी दो बेटियों को गोद लेकर मानवता की वो मिसाल पेश की है जिससे बेटियों को बोझ समझने वालों के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी.डबवाली के दिवानखेड़ा गांव की रहने वाली अनामिका के माता-पिता घरेलू हिंसा के कारण अलग हो गए थे.मां ने दूसरा घर बसा लिया और पिता ने बेटे को अपनाते हुए बेटियों को बेसहारा छोड़ दिया था। इस मुश्किल घड़ी में वीरपाल कौर ने अपनी भांजियों को अपना सहारा दिया और उनका पालन-पोषण किया।
अनामिका, जो अब एक सफल योग खिलाड़ी हैं, ने नेपाल में आयोजित यूथ गेम्स इंटरनेशनल प्रो-लीग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। अनामिका के इस स्वर्णिम सफर की शुरुआत छठी कक्षा में हुई थी, जब उन्होंने योग में दिलचस्पी ली और धीरे-धीरे राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। नेपाल जाने के लिए 22 हजार रुपये की आवश्यकता थी, जो वीरपाल कौर ने अपनी सोने की चेन गिरवी रखकर जुटाए। अनामिका ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए इस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता, और अपनी जीत के बाद मौसी को सम्मानित करते हुए उनके गले में सोने का मेडल पहनाया। वीरपाल कौर ने सिलाई का काम और विधवा पेंशन से अनामिका और उसकी बहन की पढ़ाई और परवरिश की। उनकी इस कड़ी मेहनत और समर्थन ने अनामिका को एक सफल खिलाड़ी बनाया। अनामिका का कहना है कि उनकी मौसी ही उनकी असली मां हैं, और उन्होंने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।