image

image

image

image
App for Store created a new article
2 yrs - Translate

How to Increase Sales with Your Shopify Mobile App | #shopifymobileapp # shopifymobileappbuilder # shopifyappbuilder # mobileappbuilderforshopify # convertshopifystoretoapp # shopifyinbox

App for Store changed his profile picture
2 yrs

image
2 yrs - Translate

आज का युग ऐसा है, कि यदि आप कोई तथ्य रखकर तथ्यात्मक कुछ कहना या लिखना चाहते हैं।
बहुत सरलता से सब कुछ उपलब्ध है।
लेकिन यह हैरान करने वाली बात होती है। लोग अपने पेशे के साथ भी न्याय नही कर पाते।
ऐसा लगता है ,कुछ कथित बुजुर्ग पत्रकार जीवन भर जूता ही उठाये है कि कुछ पढ़े लिखे नहीं है।
शम्भूनाथ शुक्ला का लेख पढ़िये तो लगता है जैसे कोई ग्वार व्यक्ति लिखा हो। उस पर अहंकार भी है।
भगवान राम को तुलसीदास जी ने प्रचारित किया, या यह कि उनका प्राचीनकाल में उतना वर्णन नहीं मिलता।
प्रतिष्ठित लेखक भगवान सिंह ने राम का वर्णन वेदों ( ऋग्वेद) में है। इसको श्लोक और तथ्य से बताया है।
गोस्वामी जी एक महान कवि, रामभक्त है। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन उनके बहुत पूर्व भगवान राम पर दक्षिण में एक महान रचना हुई थी।
'कंब रामायण ' को साहित्यिक दृषि से सबसे श्रेष्ठ रचना माना जाता है।
कंब ऋषि, 1168 में चोल राजा कलोतुंग द्वितीय के राजदरबार में थे।
वाल्मीकि जी भगवान राम को मर्यादापुरुषोत्तम कहा है। लेकिन कंब ऋषि ने परमात्मा कहा है।
रामराज्य का सबसे सुंदर वर्णन कंब रामायण में मिलता है।
न्याययुक्त शासन और शक्तिपूर्ण शासन को विस्तार से बताया गया है।
भारत में 400 से अधिक प्रमुख कवियों ने राम पर काव्य लिखें है। जिनकी रचना वर्णित है।
वेदव्यास रचित आध्यत्म रामायण, रामोपख्यांन, आनंद रामायण।
कालिदास कृत रघुवंश,
बौद्ध साहित्य में अनामक जातक, जैन में पउमचरिय।
यह सभी रचनाएं ईसा पूर्व कि है।
तिब्बत में तिब्बती रामायण,
इंडोनेशिया में ककबिन रामायण,
वर्मा में यूतोकि रामायण,
जावा में सेरतराम रामायण।
यह सभी वहां के मूल कवियों ने लिखा है।
यह वर्णन करने में एक पुस्तक लिखनी पड़ेगी।
वासुदेव शरण अग्रवाल की पुस्तक पढ़ रहा था। वह लिखते है कि महाभारत युद्घ होने के पीछे एक प्रमुख कारण यह भी था। कि रामचंद्र जी ने जो जीवन मूल्य स्थापित किये थे। वह सभी तोड़े जा रहे थे।
कौन सा वह काल है, जब राम लोकप्रिय नहीं थे। किस काल के कवि ने राम पर लिखा नही है।।

2 yrs - Translate

हस्तिनापुर में राजनीतिक संकट पैदा हो गया तो भीष्म वेदव्यास को लेने के लिये उनके आश्रम गये।
भगवान वेदव्यास ने कहा- "आपके रथ पर चलना उचित नहीं है। आप चलें, हम आ रहे हैं।"
विश्वामित्र, वशिष्ठ जैसे ऋषि जिनका रघुवंशियों में इतना आदर था, अपनी कुटिया में रहते थे। चाणक्य, विदुर जैसे प्रभावशाली, विद्वान मंत्री अपने आश्रमों में रहते थे। हमारे गोस्वामी जी अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिये कि हमारे राजा तो राम हैं। द्रोपदी विदुषी नारी हस्तिनापुर की सभा मे धृतराष्ट्र से कहती है- "लोभ और धर्म का बैर है, राजन!" 'धर्म' राजप्रसादों, धन-वैभव से सैदव दूर रहा है। राजकुमारों को भी धर्मज्ञ बनने के लिये राजप्रसादों को त्यागना पड़ा।
सनातन धर्म, इब्राहिमिक मजहब नहीं है, जहां पोप, खलीफा, पादरी जैसे लोग सत्ता प्राप्ति के संघर्ष में सम्मिलित होते हैं। आश्रम, गुरुकुल से निकले प्रभावशाली व्यक्तित्व सत्ता संभालते है। धर्म की शिक्षाएं उन्हें अनुशासित रखती हैं, उनके कर्तव्यों के प्रति दृढ़ बनाती हैं।

2 yrs - Translate

यदि मुगलों के शासन में औरंगजेब न आता तो मुगल का अंत इतनी तेजी से न होता।
हजारों मंदिरों को तोड़कर उसने थक चुके समाज को उसका पौरुष याद दिला दिया।
मुगलों का विनाश ऐसे हुआ जैसे रेत का पहाड़ , तूफान में उड़ जाता है।
जब मुगल सल्तनत के अंत के कारणों को खोजा जाता है।
इतिहासकार औरंगजेब की भूमिका को प्राथमिक मानते है।
औरंगजेब कि कट्टरपंथी नीति के विरुद्ध संपूर्ण भारत में विद्रोह हुआ। नेतृत्व अवश्य क्षत्रियों और मराठों के हाथ में था लेकिन इस विद्रोह में हर वर्ग सम्मलित हुआ।
उत्तर , दक्षिण , पूरब पश्चिम हर तरफ युद्ध हो रहे थे।
युद्घ में भागते दौड़ते औरंगजेब को दिल्ली की मिट्टी भी नसीब नहीं हुई।
औरंगजेब के बाद जो भी मुगल सत्ता में आये उनको धधकते भारत का सामना करना पड़ा। इनके शासन कि सीमाएं पल्लम तक सीमित हो गई।
कट्टरता के विरुद्ध भारत सैदव लड़ा है। बड़े बड़े आक्रमणकारियों और शासकों को ध्वस्त किया है।
यहां बनी कब्रे और उनके वंशजो की दुर्दशा इसकी गवाह है।
1947 में गाँधी जी ने भारतीय जनमानस के साथ विश्वासघात किया। यह घोषणा करके कि भारत का विभाजन हमारी लाश पर होगा। बाद में रात के अंधेरे में कांग्रेस ने विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
संघर्ष से थक चुका समाज आवक , स्तब्ध रह गया। जो भारत हजार साल तक कट्टरता , अत्याचार के सामने घुटने नहीं टेका, वह विश्वासघात से विभाजित हो गया।
यह शिक्षा है ! जब कट्टरता से लड़े तो अपने जीवन मूल्यों के साथ छद्मम छवियों से सावधान रहे । जो अपनी कायरता को अहिंसा , उदारता , प्रगतिशीलता का आडंबर ओढ़ते है।।

2 yrs - Translate

यूनिवर्सिटीज में प्रवेश के लिए नस्ल और जाति के उपयोग पर बैन, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने छह दशक पुराने कानून को किया खत्म
#usuniversities #ussupremecourt

image