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सर्दियों के मौसम में एक बूढी औरत अपने घर के कोने में ठंड से तड़फ रही थी।।
जवानी में उसके पति का देहांत हो गया था
घर में एक छोटा बेटा था, उस बेटे के उज्जवल
भविष्य के लिए उस माँ ने घर-घर जाकर काम किया।
काम करते-2 वो बहुत थक जाती थी, लेकिन फिर भी आराम नही करती थी वो सोचती थी जिस दिन बेटा लायक हो जाएगा उस दिन आराम करूंगी।।
..
देखते-2 समय बीत गया!
माँ बूढी हो गयी और बेटे
को अच्छी नौकरी मिल गयी।
कुछ समय बाद बेटे की शादी कर
दी और एक बच्चा हो गया।
अब बूढी माँ खुश थी कि बेटा लायक हो गया
.......
लेकिन ये क्या
.......
बेटे व बहू के पास माँ से बात करने तक का वक़्त नही होता था
बस ये फर्क पड़ा था माँ के जीवन में
पहले वह बाहर के लोगो के बर्तन व कपड़े
धोती थी। अब अपने घर में बहू-बेटे के...
फिर भी खुश थी क्योंकि औलाद उसकी थी।
सर्दियों के मौसम में एक टूटी चारपाई पर,
बिल्कुल बाहर वाले कमरें में एक फटे से कम्बल में सिमटकर माँ लेटी थी!
...
और सोच रही थी
...
आज बेटे को कहूँगी तेरी माँ को बहुत
ठंड लगती है एक नया कम्बल ला दे।।
शाम को बेटा घर आया तो माँ ने बोला...
बेटा मै बहूत बूढी हो गयी हूँ,
शरीर में जान नही है, ठंड सहन
नही होती मुझे नया कम्बल ला दे।।
..
तो बेटा गुस्से में बोला, इस महीने घर के राशन में और बच्चे के एडमिशन में बहुत खर्चा हो गया!
कुछ पैसे है पर तुम्हारी बहू के लिए शॉल लाना है वो बाहर जाती है। तुम तो घर में
रहती हो सहन कर सकती हो।।
ये सर्दी निकाल लो, अगले साल ला दुंगा।।
..
बेटे की बात सुनकर माँ चुपचाप सिमटकर कम्बल में सो गयी...
अगले सुबह देखा तो माँ इस दुनियाँ में
नही रही...
सब रिश्तेदार, पड़ोसी एकत्रित हुए, बेटे ने
माँ की अंतिम यात्रा में कोई कमी नही छोड़ी थी।
माँ की बहुत अच्छी अर्थी सजाई थी!
बहुत महंगा शॉल माँ को उढाया था।।
सारी दुनियां अंतिम संस्कार देखकर कह
रही थी।
हमको भी हर जन्म में भगवान ऐसा ही बेटा मिले!
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..
मगर उन लोगो को क्या पता था कि मरने के
बाद भी एक माँ तडफ रही थी।।।
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सिर्फ एक कम्बल के लिए
सिर्फ एक कम्बल के लिए.....
हमारा उद्देस्य इन्सानो के अंदर मर
चुकी इंसानियत को जिंदा करना है ।
अगर हमारी कहानी आपके दिल को छु
गयी हो तो अपने सभी दोस्तों को भेजो ।
हो सकता है ऐसे बहू बेटा हमारे दोस्तों में
भी हों। जिनहें इस बात का एहसास हो जाऐ।