नोहर के मशहूर बिजनेस मैन अग्रवाल जी का शहर में एक नया इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का भव्य शोरूम खुलने वाला था ! जिसका उदघाटन वे मंत्री भादर भाई जी के कर कमलों से करवाना चाहते थे ।
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समय लेकर एक दिन अग्रवाल जी पहुंच गए मंत्री भादर भाई की कोठी पर और अपने दोनों हाथ जोड़कर मंत्री भादर भाई से विनती करते हुए बोले :-- साहब, मेरे नए शोरूम का उदघाटन करना है !
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मंत्री भादर भाई :-- ठीक है , ठीक है , तुम दिन औऱ तारीख़ मेरे पीए को नोट करा दो , मैं कोशिश करूंगा !
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अग्रवाल जी ने बेचारगी दिखाते हुए कहा :-- नहीं साहब, आपको आना ही होगा, आपसे निवेदन है !
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मंत्री भादर भाई :-- ठीक है !
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तय वक़्त औऱ दिन मंत्री भादर भाई अपने लावलश्कर के साथ अग्रवाल जी के नए शोरूम का उदघाटन करने के लिए प्रकट हो गए !
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ढ़ोल-नगाड़ों औऱ फूल मालाओं से आवभगत के बाद मंत्री भादर भाई जी ने फीता काटकर, अग्रवाल जी के भव्य शोरूम का उदघाटन किया औऱ फ़िर शोरूम के अंदर घुसकर मुआयना करने लगे !
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तरह-तरह के आकर्षक औऱ उन्नत किस्म के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को देखकर मंत्री भादर भाई चकित रह गए ! टीवी, फ्रीज़, वाशिंग मशीन, ओवन, एसी, म्यूजिक सिस्टम आदि को देख मन ही मन उनके अंदर तृष्णा कौतूहल करने लगी !
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उनसे जब रहा नहीं गया तो उन्होंने अग्रवाल जी से पूछा :-- ये बड़ी वाली टीवी कितने की है अग्रवाल !
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अग्रवाल जी ने चहकते हुए कहा :-- साहब, तक़रीबन सवा लाख का !
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मंत्री भादर भाई की जुबान ने चंचलता दिखाई और बोले :-- बहुत अच्छी है !
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पेशे से पक्के मझे हुए व्यवसायी अग्रवाल जी को समझते देर नहीं लगी कि, मंत्री भादर भाई को ये टीवी भा गया है !
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कुछ देर तक अपने मन में गुणा-भाग करने के बाद अग्रवाल जी ने सोचा कि अगर ये टीवी वे मंत्री भादर भाई को उपहार स्वरूप दे देते हैं तो भविष्य में उन्हें सेलटैक्स औऱ इनकमटैक्स के झमेलों से राहत मिल जाएगी !
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ये सब सोचकर अग्रवाल जी ने दूर की देख फुदकते हुए मंत्री भादर भाई जी से कहा :-- साहब, ये टीवी मैं आपको उपहार स्वरूप देता हूँ, आप इसे लेते जाइए !
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मन ही मन मंत्री भादर भाई जी के हृदय में मोतीचूर के लड्डू फूटने लगे, उनकी इच्छा जो पूरी होने के क़रीब थी !
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लेकिन उन्होंने झट अपनी भावनाओं का बेहद कठोरता से दमन करते हुए कहा :-- अग्रवाल, मैं मुफ़्त की कोई चीज़ नहीं लेता ! पूरे इलाके में लोग मेरी ईमानदारी की कसमें खाते हैं, तुम्हें इस टीवी के बदले मुझसें इसकी वाज़िब कीमत लेनी होगी, नहीं तो रहने दो फ़िर ! ये बोल मंत्री भादर भाई जी अब शोरूम से निकलने लगे !
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अग्रवाल जी ने तुरंत मैच की आख़री गेंद पर बाउंड्री मारने के मक़सद से कहा :-- ठीक है साहब, चलिए इस टीवी के बदले आप मुझें सिर्फ पाँच रुपए दे दीजिए !
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मंत्री महोदय भादर भाई ने बिना देर किए झट अपनी जेब में हाथ डाला और एक दस रुपये का नोट बाहर निकालते हुए उसे अग्रवाल जी की ओर बढ़ा दिया !
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अब अग्रवाल जी दस का नोट थामकर अपनी जेब को टटोलते हुए पाँच रुपए छुट्टा ढूंढ़ने लगे, ताकि मंत्री जी को बाकी रक़म लौटाई जा सके !
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लेकिन अग्रवाल जी को बेहद मायूसी हुई जब उन्हें अपनी जेब में पाँच रुपए छुट्टे नहीं मिले ! आनन-फानन में उन्होंने एक-एक करके शोरूम के तमाम सदस्यों से पाँच रुपए खुदरा लेना चाहा, लेकिन इत्तेफ़ाक़न उस वक़्त किसी के पास भी खुल्ले नहीं थे !
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अब मज़बूरी में अग्रवाल जी ने मंत्री महोदय भादर भाई से विनती करते हुए कहा :-- साहब, फ़िलहाल पांच रुपए खुल्ले तो नहीं हैं लेकिन ये टीवी आप लेते जाइए !
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अब मंत्री भादर भाई जी ने हँसते हुए अग्रवाल जी के कंधों पर अपना हाथ रखा औऱ धीरे से कहा :-- मायूस क्यों होते हो अग्रवाल, खुल्ले नहीं हैं तो क्या हुआ, अगर उतने में ये फ्रीज़ भी आ जाए तो उसे भी साथ में पैक करा दो !
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अग्रवाल जी ने अपना माथा पकड़ लिया क्योंकि मंत्री भादर भाई सवा लाख के टीवी के साथ पैतालीस हज़ार का फ्रीज़ भी ले उड़े !
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मंत्री भादर भाई के जाने के बाद अग्रवाल जी ने शोरूम के प्रत्येक सदस्य को अपने पास बुलाया और सबको दो-दो जूता मारते हुए चिल्लाने लगे :-- कमीनों, तुम लोग खुल्ले क्यों नहीं रखते, ये तो ऊपरवाले का शुक्र मनाओ कि, मंत्री जी ने मुझे बीस का नोट नहीं थमाया नहीं तो आज वो अपने साथ एसी औऱ वाशिंग मशीन भी उठा ले जाता !
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