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Your One-Stop Guide to Pairing Bridal Jewellery with Various Outfits | #jewelry #bracelets #ear cuffs
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मैं होश पूर्वक मरा। इसलिए मुझे होशपूर्वक जन्म लेने का अवसर मिला। मैंने अपने माता-पिता को चुना। पृथ्वी पर हजारों मूर्ख प्रतिक्षण संभोग कर रहे है और लाखों अजन्मी आत्माएं किसी भी गर्भ में प्रवेश करने को तैयार है। मैंने उपयुक्तो क्षण की प्रतीक्षा में सात सौ साल इंतजार किया। और अस्तित्व का धन्यवाद कि वह क्षण मुझे मिल गया। लाखों वर्षो की तुलना में सात सौ साल कुछ भी महत्व नहीं रखते है। केवल सात सौ साल! हां मैं कह रहा हूं, केवल!
और, मैंने एक बहुत ही गरीब, लेकिन बहुत ही अंतरंग दंपति को चुना। मेरे पिता के ह्रदय में मेरी मां के लिए इतना प्रेम था कि मैं नहीं सोचता हूं कि कभी उन्होंने किसी दूसरी स्त्री को उस दृष्टि से देखा हो। यह कल्पना करना भी असंभव है--मेरे लिए भी, जो कि कुछ भी कल्पना कर सकता है--कि मेरी मां ने स्वप्न में भी किसी और पुरूष के बारे में सोचा हो--यह असंभव है।
मैंने दोनों को जाना है। वे इतने घनिष्ठत थे, एक-दूसरे के प्रति इतने प्रेमपूर्ण थे, इतने संतुष्ट थे, हालांकि गरीब थे--गरीब फिर भी अमीर। इस घनिष्ठरता और परस्पमर प्रेम के कारण ही वे गरीबी में भी इतने समृद्ध थे। जब मेरे पिता की मृत्यु हुई तो मैं अपनी मां के बारे में चिंतित था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि वे जिंदा रह पाएंगी। उन दोनों ने एक-दूसरे को इतना प्रेम किया था कि लगभग एक ही हो गए थे। वे बच पाईं क्यों कि वे मुझे प्रेम करती है। उनके बारे में मैं हमेशा चिंतित रहा हूं। मैं उन्हें अपने पास ही रखना चाहता था, ताकि उनकी मृत्यु परम संतुष्टि में हो सके। अब तुम्हारे द्वारा एक दिन सारे संसार को मालूम होगा--कि वे बुद्धत्व को उपलब्ध हो गई है। मैं उनका अंतिम मोह था। अब उनके लिए कोई मोह नहीं रह गया है। वे एक संबुद्ध महिला हैं--अशिक्षित, सरल, उनको तो यह भी नहीं मालूम कि बुद्धत्व क्या होता है। यही तो सौंदर्य है। कोई बुद्ध हो सकता है, बिना यह जाने कि बुद्धत्व क्या है। और इससे उल्टा भी हो सकता है: कोई बुद्धत्व के बारे में सब जान सकता है और फिर भी अबुद्ध बना रहा सकता है। मैंने इस दंपति को चुना-सीधे-सादे सरल ग्रामीण। मैं राजाओं और रानियों को भी चुन सकता था। यह मेरे हाथ में था। सब प्रकार के गर्भ उपलब्ध थे। पर मैं बहुत ही सरल और सादी रूचि का व्यक्ति हूं--मैं हमेशा सर्वोत्तम से संतुष्ट हो जाता हूं। यह दंपति गरीब थी, बहुत गरीब। तुम समझ न सकोगे कि मेरे पिता के पास केवल सात सौ रूपये थे। यही उनकी कुल संपत्ति थी। फिर भी मैंने उनको अपना पिता चुना। उनके पास एक संपन्नता थी, जिसे आंखें नहीं देख सकतीं; एक अभिजात्य था जो दिखाई नहीं देता। तुममें से बहुतों ने उन्हें देखा है और निश्चित ही उनके सौंदर्य को अनुभव किया होगा। वे सीधे, बहुत सीधे और सरल थे, तुम उन्हें ग्रामीण कह सकते हो। लेकिन वे समृद्ध थे--सांसारिक अर्थों में नहीं, लेकिन अगर कोई पारलौकिक अर्थ है । सात सौ रूपये, यहीं उनकी कुल पूंजी थी।
मुझे तो पता भी न चलता लेकिन जब उनके व्यापार का दिवाला निकल रहा था। और वे बहुत प्रसन्न थे। मैंने उनसे पूछा : ‘दद्दा’--‘मैं उन्हेंक दद्दा कहता था।‘ आप जल्दी ही दिवालिया होने वाले है और आप खुश है, क्या बात है, क्या‘ अफवाहें गलत है?’ उन्होंने कहा : ‘नहीं अफवाहें बिलकुल सही है। दिवाला निकलेगा ही। लेकिन मैं खुश हूं क्यों कि मैंने सात सौ रूपये बचा लिए है। जिससे मैंने शुरूआत की थी। और वो जगह तुम्हें दिखाऊ…वे सात सौ रूपये अभी भी जमीन में कहीं गड़े हुए है और वे वहीं गड़े रहेगें जब तक कि संयोगवश कोई उन्हें पा न लें। मैंने उनसे कहा, ‘हालांकि आपने मुझे वो जगह दिखा दी है, लेकिन मैंने देखा नहीं है।‘ उनहोंने पूछा : ’क्याै मतलब है तुम्हारा?’ ‘मैं किसी भी विरासत का हिस्सा नहीं हूं--बड़ी या छोटी, अमीर या गरीब।‘
लेकिन उनकी और से वे बहुत ही प्यार करने वाले पिता थे। जहां तक मेरा सवाल है, मैं प्यार करने वाला बेटा नहीं हूं