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7 साल की उम्र में पिता को खो दिया, 16 की उम्र में ट्रॉली की टक्कर से कटा आधा पैर, लेकिन मां ने शेरनी बनकर देश को दिया एक वीर पूत 🙏🙏गोल्ड मेडलिस्ट सुमित अंतिल का जन्म 7 जून 1988 को हरियाणा के सोनीपत जिले के खेवरा गांव में हुआ। सुमित के पिता, राम कुमार अंतिल, इंडियन एयरफोर्स में थे, लेकिन जब सुमित मात्र 7 साल के थे, तब उन्होंने लंबी बीमारी के बाद अपने पिता को खो दिया। तीन बहनों के इकलौते भाई सुमित पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई, जिसे उनकी मां ने अपने कंधों पर उठा लिया। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, उनकी मां ने हार नहीं मानी और दिन-रात मेहनत करके सुमित और उनकी बहनों को पाला-पोसा। बचपन से ही सुमित का कद-काठी काफी अच्छा था, और वे पहलवान बनना चाहते थे। उन्होंने अपने पिता की तरह इंडियन आर्मी जॉइन करने का सपना देखा, लेकिन किस्मत ने एक ऐसा मोड़ लिया, जिसने उनका यह सपना तोड़ दिया। 16 साल की उम्र में, जब सुमित 12वीं कक्षा में थे, उनकी बाइक को एक सीमेंट के कट्टों से लदी ट्रॉली ने टक्कर मार दी। इस हादसे में सुमित ने अपना एक पैर और आधी टांग खो दी, जिससे उनका सपना चकनाचूर हो गया। इस कठिन परिस्थिति में, सुमित की मां ने अपने बेटे के टूटते सपनों को देखा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। एक मां ने अपने बेटे को भी हारने नहीं दिया और उसे कृत्रिम पैर लगवाकर खेलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। 2015 में हादसे के दो साल बाद, सुमित ने कृत्रिम पैर के साथ खेलों की दुनिया में कदम रखा। 2017 में, पैरा एथलीट राजकुमार से मुलाकात ने सुमित को जेवलिन थ्रो में करियर बनाने की दिशा दिखाई। सुमित ने नवल सिंह को अपना कोच बनाया और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरू की। सुमित ने अपनी मेहनत और समर्पण से इतिहास रचते हुए टोक्यो पैरालंपिक के बाद पेरिस में भी गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। 🙏 सुमित की इस अद्वितीय यात्रा को सलाम और उनकी मां को नमन, जिन्होंने अपने बेटे को एक सच्चा योद्धा बनाया। उनके पिता को विनम्र श्रद्धांजलि। 🙏🙏