सोचिए हाशिम अंसारी जो अयोध्या में एक छोटी सी टेलर की दुकान चलाता था वह 60 सालों तक बाबरी मस्जिद का पक्षकार के तौर पर मुकदमा लड़ा क्योंकि उसका कहना था कि बाबरी ढांचा एक मस्जिद था और अयोध्या के तत्कालीन डीएम नैयर साहब ने मेरे सामने मूर्तियां रखी थी

उसके मरने के बाद उसका बेटा इकबाल अंसारी पक्षकार बना जिसकी एक छोटी सी पंचर की दुकान है

अब आप सोच रहे होंगे कि मैं यह सब बातें आपको क्यों बता रहा हूं

दरअसल आप समझिए हिंदुओं की सोच और शांति दूतों की सोच में क्या फर्क होता है। इतनी गरीबी में रहने के बाद भी यह कभी नहीं बिका.. अगर इसकी जगह कोई हिंदू होता तो शायद कब का बिक चुका होता और हिंदुओं का क्या कहें जब इसका घर एक दुर्घटना में जल गया था तब अयोध्या के हिंदुओं ने ही हाशिम अंसारी का नया घर बनवाने में मदद किया इतना ही नहीं उसे मुकदमे के लिए बार-बार कोर्ट जाना पड़ता था तो हिंदुओं ने उसे अंबेसडर कार खरीद कर दिया था और हाशिम अंसारी के निधन पर मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू जुटे थे

और यह बड़े गर्व से बताता था कि मुझे मुकदमा के लिए मुस्लिमों से ज्यादा डोनेशन हिंदू देते हैं

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सोचिए हाशिम अंसारी जो अयोध्या में एक छोटी सी टेलर की दुकान चलाता था वह 60 सालों तक बाबरी मस्जिद का पक्षकार के तौर पर मुकदमा लड़ा क्योंकि उसका कहना था कि बाबरी ढांचा एक मस्जिद था और अयोध्या के तत्कालीन डीएम नैयर साहब ने मेरे सामने मूर्तियां रखी थी

उसके मरने के बाद उसका बेटा इकबाल अंसारी पक्षकार बना जिसकी एक छोटी सी पंचर की दुकान है

अब आप सोच रहे होंगे कि मैं यह सब बातें आपको क्यों बता रहा हूं

दरअसल आप समझिए हिंदुओं की सोच और शांति दूतों की सोच में क्या फर्क होता है। इतनी गरीबी में रहने के बाद भी यह कभी नहीं बिका.. अगर इसकी जगह कोई हिंदू होता तो शायद कब का बिक चुका होता और हिंदुओं का क्या कहें जब इसका घर एक दुर्घटना में जल गया था तब अयोध्या के हिंदुओं ने ही हाशिम अंसारी का नया घर बनवाने में मदद किया इतना ही नहीं उसे मुकदमे के लिए बार-बार कोर्ट जाना पड़ता था तो हिंदुओं ने उसे अंबेसडर कार खरीद कर दिया था और हाशिम अंसारी के निधन पर मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू जुटे थे

और यह बड़े गर्व से बताता था कि मुझे मुकदमा के लिए मुस्लिमों से ज्यादा डोनेशन हिंदू देते हैं

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सोचिए हाशिम अंसारी जो अयोध्या में एक छोटी सी टेलर की दुकान चलाता था वह 60 सालों तक बाबरी मस्जिद का पक्षकार के तौर पर मुकदमा लड़ा क्योंकि उसका कहना था कि बाबरी ढांचा एक मस्जिद था और अयोध्या के तत्कालीन डीएम नैयर साहब ने मेरे सामने मूर्तियां रखी थी

उसके मरने के बाद उसका बेटा इकबाल अंसारी पक्षकार बना जिसकी एक छोटी सी पंचर की दुकान है

अब आप सोच रहे होंगे कि मैं यह सब बातें आपको क्यों बता रहा हूं

दरअसल आप समझिए हिंदुओं की सोच और शांति दूतों की सोच में क्या फर्क होता है। इतनी गरीबी में रहने के बाद भी यह कभी नहीं बिका.. अगर इसकी जगह कोई हिंदू होता तो शायद कब का बिक चुका होता और हिंदुओं का क्या कहें जब इसका घर एक दुर्घटना में जल गया था तब अयोध्या के हिंदुओं ने ही हाशिम अंसारी का नया घर बनवाने में मदद किया इतना ही नहीं उसे मुकदमे के लिए बार-बार कोर्ट जाना पड़ता था तो हिंदुओं ने उसे अंबेसडर कार खरीद कर दिया था और हाशिम अंसारी के निधन पर मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू जुटे थे

और यह बड़े गर्व से बताता था कि मुझे मुकदमा के लिए मुस्लिमों से ज्यादा डोनेशन हिंदू देते हैं

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"मुसलमान 99% मांसाहारी होता है वो शुद्ध कहाँ से आ गया। फिर भी अगर काम(कारोबार) नहीं चल रहा है तो मैं तो कहता हूं सनातन धर्म अपना लो"

-एक सुन्नी की आवाज
#kanwaryatra #yogiaditynath
#muslim #nameplate

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श्री राम भक्त हनुमान जी के कुछ महत्वपूर्ण मंत्र सभी प्रकार के कस्ट का निवारण करते हैं
#मंत्र श्री हनुमान #मूल_मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥
द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र: हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
फल: से इस मंत्र के बारे शास्त्रो में वर्णित हैं की यह मंत्र स्वतंत शिवजी ने श्रीकृष्ण को बताया और श्रीकृष्ण नें यह मंत्र अर्जुन को सिद्ध करवाया था जिसे अर्जुन ने चर-अचर जगत् को जीत लिया था।
प्रेत बाधा दूर करे चमत्कारी हनुमान मंत्र:
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हनुमानजी का नाम लेने से भूत-प्रेत आदि सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। यदि आप भी ऐसी ही किसी बाधा से पीडि़त हैं तो नीचे लिखे हनुमान मंत्र से इस समस्या का हल संभव है। यदि इस मंत्र का जप विधि-विधान से किया जाए तो कुछ ही समय में ऊपरी बाधा का निवारण हो सकता है। यह हनुमान मंत्र इस प्रकार है
#मंत्र :हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:। अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।।
#जप_विधि : स्वच्छ अवस्था में यानी स्नान आदि करने के बाद हनुमानजी की पूजा करें और उन्हें सिंदूर तथा गुड़-चना चढ़ाएं। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश का आसन ग्रहण करें। तत्पश्चात लाल चंदन की माला से ऊपर लिखे मंत्र का जप करें। इस मंत्र का प्रभाव आपको कुछ ही समय में दिखने लगेगा।
मुसीबतों को दूर करे हनुमान मंत्र
हिन्दू धर्म शास्त्रों श्री हनुमान की इसी शक्ति और महिमा का गान करते हुए उनको शक्ति स्वरूपा माता सीता के शोक का नाश करने वाले देवता बताकर जानकी शोक नाशनम् कहकर पुकारा गया है। संकेत है कि श्री हनुमान की उपासना जीवन से हर शोक दूर रखती है। चूंकि श्री हनुमान मंगलमूर्ति भगवान शिव के अवतार भी हैं। यही कारण है कि संकट और शोक नाश के लिए श्री हनुमान की उपासना परंपराओं में शिव भक्ति की तरह आसान उपाय भी बताए गए हैं। इनको श्री हनुमान की उपासना में आचरण व विचारों की पवित्रता के साथ अपनाना निर्भय और बेदाग जीवन का मंत्र भी माना गया है। नीचे बताई पूजा सामग्री और विशेष छोटे-पर असरदार हनुमान मंत्र से श्री हनुमान की उपासना आज करना न चूकें !

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𝗧𝗼𝗱𝗮𝘆'𝘀 𝗕𝗲𝘀𝘁 𝗣𝗮𝗶𝗻𝘁𝗶𝗻𝗴 🙏

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(1) 1910 से 1947 तक भारत का मुसलमान कहता था कि हमे अलग मुल्क चहिये हम अलग इस्लामिक देश “पाकिस्तान” बनायेंगे। हम काफिर हिंदूओ के साथ नहीं रह सकते।

(2) 14 अगस्त 1947 के दिन 10 लाख 38000 Sq Km की ज़मीन तथा करोड़ो रुपये लेकर अलग हुए, अलग होने के बाद भी गांधी को ब्लैकमेल करके फिर से करोडो रूपये लिये।

(3) 14 अगस्त 1947 की रात लाखों मुसलमान भारत में ही रह गये, वो पाकिस्तान नहीं गए, वर्षों से धर्म के आधार पर बटवारा चाहने वाले अचानक एक रात में ही अपना विचार क्यों बदल दिये और भारत में रुक गये। ( ये विषय सरदार पटेल ने भी असेंबली में उठाया था)

धर्म के आधार पर हुए बटवारे के 77 वर्ष बाद आज हम फिर उसी परिस्तिथि में आ गये है। अंतर केवल इतना है कि तब इन्हें अलग मुल्क पाकिस्तान चाहिए था अब इन्हें पूरा भारत चाहिए और हिंदूओ को कही और चले जाने की चेतावनी दे रहे।

अब हिंदूओ को सोचना है कि वे कहा जाये, हे कोई हिंदूओ का अपना देश?

सिर्फ़ दो ही विकल्प है हिंदूओ के पास “संघर्ष या समर्पण”।

“संघर्ष” करके अपना देश “हिंदुस्थान” बचा ले
या फिर “समर्पण” करके इस्लाम स्वीकार ले।

मैं संघर्ष के लिए तैयार हूँ, और आप ?

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अंबानी परिवार की वो 10 बातें जिनसे अब तक आप भी होंगे अनजान, तस्वीरों के जरिए जानिए
जरूरी जानकारी: अंबानी परिवार की वो 10 बातें, जिनसे हर कोई है आज भी अंजान, यहां जानें सबकुछ
1. दरअसल, धीरूभाई अंबानी का जन्म गुजरात के चोरवाड में हुआ था। इसी गांव में धीरूभाई के पिता स्कूल में पढ़ाया करते थे। धीरूभाई ने काफी छोटे स्तर पर अपना बिजनेस शुरु किया था और कई मुश्किलों के बाद वो आगे बढ़ पाए।
2. धीरूभाई अंबानी पांच भाई-बहन थे और वो तीसरे नंबर की संतान थे। साल 1955 में धीरूभाई ने कोकिलाबेन संग विवाह रचाया, और इसके बाद उनके जीवन में काफी खुशियां आने लगी।
3. साल 1958 में मुंबई आकर धीरूभाई ने अपना बिजनेस शुरु किया था।
4. धीरूभाई अंबानी कभी भी रिस्क लेने से नहीं डरा करते थे, इसीलिए वो काफी कामयाब हुए।
5. धीरूभाई के चार बच्चे मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, दीप्ति सालगांवकर और नीना कोठारी हैं। भले ही मुकेश और अनिल अंबानी का नाम हर वक्त सुर्खियों में रहता है, लेकिन दूसरी तरफ दीप्ति और नीना दोनों ही लाइमलाइट से कोसों दूर रहती हैं।
6. मुकेश अंबानी में उनके पिता धीरूभाई अंबानी की झलक देखने को मिलती है, जो हर किसी को धीरूभाई की याद दिलाते हैं।
7. धीरूभाई ने यमन में एक कर्मचारी के तौर पर काम किया था, और जब वो भारत आए तो वो अपने साथ एक हजार रूपये लेकर आए थे।
8. धीरूभाई को काम से इतना प्यार था कि वो हमेशा ही नए-नए प्रोजेक्ट्स पर काम करते रहते थे। लेकिन वो अपने काम के साथ ही अपने परिवार पर भी पूरा ध्यान दिया करते थे।
9. नीता अंबानी को अपने बेटे मुकेश अंबानी के लिए धीरूभाई अंबानी ने ही पसंद किया था।
10. भले ही आज मुकेश अंबानी का परिवार एंटीलिया जैसे लग्जरी और महंगे घर में रहता है, लेकिन एक वक्त था जब उनके पिता धीरूभाई अपने शुरुआती दिनों में अपने परिवार संग 2 कमरे के फ्लैट में रहा करते थे।
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जहाँ कांग्रेस की सरकार वहाँ यही हाल है , वोट देकर जिताओ और अपने गाल उनके हाथों बजाओ सनातनियों 🙏