🌹 🌷 ।। श्री ।। 🌷 🌹
जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ४०६, बालकाण्ड दोहा ९०/५-८, सप्तर्षि लग्न पत्रिका ले कर ब्रम्हा जी के पास आये।
पत्री सप्तरिषिन्ह सोइ दीन्ही।
गहि पद बिनय हिमाचल कीन्ही।।
जाइ बिधिहि तिन्ह दीन्ही सो पाती।
बाचत प्रीति न हृदयॅं समाती।।
लगन बाचि अज सबहि सुनाई।
हरषे मुनि सब सुर समुदाई।।
सुमन बृष्टि नभ बाजन बाजे।
मंगल कलस दसहुॅं दिसि साजे।।
भावार्थ:- हिमाचल ने वह लग्न पत्रिका सप्तर्षियों को दे दी और चरण पकड़कर उनकी विनती की। उन्होंने जा कर वह लग्न पत्रिका ब्रह्मा जी को दी। उसको पढ़ते समय उनके हृदय में प्रेम समात न था। ब्रम्हा जी ने लग्न पढ़कर सब को सुनाया, उसे सुनकर सब मुनि और देवताओं का सारा समाज हर्षित हो गया। आकाश में से फूलों कि वर्षा होने लगी, बाजे बजने लगे और दसों दिशाओं में मंगल - कलश सजा दिये गये।
🌹🙏🏽🌷🙏🏽🌷🙏🏽🌹