Telecom Managed Services Market Emerging Opportunities with Growth Analysis 2030 | #telecom Managed Services Market # Telecom Managed Services
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Telecom Managed Services Market Emerging Opportunities with Growth Analysis 2030 | #telecom Managed Services Market # Telecom Managed Services
जितने भी फेसबुक फ्रेंड्स मेरे माता पिता बहन भाइयों से निवेदन है और प्रार्थना है कि आपलोग मुझे सपोर्ट कीजिए की मैं एक बार अपने धोनी तेंदुलकर भगवान से मिलना चाहता हूं आपलोग की बिना मिलना बहुत मुश्किल है मेरा एक ही सपना है कि मैं अपने भगवान धोनी तेंदुलकर से मिल सकू प्लीज सपोर्ट मैं आपलोगो का बहुत बहुत आभार रहूंगा 🙏🙏🙏 तहेदिल से प्रणाम करता हूं आप सभी को
#जयश्रीराम । जय श्री हरि ।
दीन बंधु वाही दिना , देह देत सब देत ।
नर अपने अज्ञान सौ , वृथा सोच कर लेत भोजन विधि का वैज्ञानिक रहस्य ।
भोजन का स्थान पवित्र, गोमय आदि से लिपा हुआ अथवा जल आदि से शुद्ध होना चाहिए, अपवित्र व्यक्ति का सम्पर्क न होना चाहिए।
इन सब में वैज्ञानिक रहस्य है। कहा गया है...
"आयुष्यं प्राङ, मुखो भुङ क्ते यशस्यं दक्षिणामुखः।"
अर्थात् आयु की इच्छा वाले को पूर्वमुख तथा यशेच्छुक को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए। इसका कारण यह है कि पूर्व दिशा से प्राणशक्ति का उदय होता है। सूर्य देवता प्राणस्वरूप हैं, जो इस दिशा से उदय होते हैं। अतः इस पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से आयु बढ़ेगी।
दक्षिण की ओर पितृ देवताओं का वास रहता है उस ओर मुख करके भोजन करने से यश प्राप्त होता है।
प्राणशक्ति पूर्व दिशा में रहने के कारण पूर्व की ओर पैर करके सोने का भी निषेध किया गया है क्योंकि प्राणशक्ति पैरों के द्वारा निकल कर मनुष्य को क्षीण बना देगी।
यह विज्ञानसिद्ध है कि मनुष्य के पैरों की ओर से विद्युत्शक्ति और प्राण शक्ति सदा निकला करती है। पैर निकलने का स्थान है और मस्तिष्क तथा शिखा से शक्ति प्रहण की जाती है वह ग्रहण करने स्थान है। इसलिए जो लोग माता पिता गुरुजन आदि के चरणों पर शिर रखकर प्रणाम करते हैं वे अपने माता पिता, यादि के गुण तथा आशीर्वाद इत्यादि जो विद्युत् शक्ति के द्वारा हाथ व पैर से निकलते रहते हैं। मस्तक द्वार से अपने में ग्रहण करते हैं। प्रसन्नता पूर्वक आशीर्वाद देते हुए माता पिता आदि अपना हाथ भी पुत्र आदि के सिर पर रखते हैं इससे भी विद्युत शक्ति के रूप में शुभ भावना प्रवेश कर जाती है पूर्व की ओर मुख करके उपासना करने से भी पूर्व की प्राणशक्ति को उपासक अपनी ओर खींचता रहता है और अपनी शक्ति बढ़ाता है।
। इसका रहस्य यह है कि भोजन करते समय जो क्रिया होती है उससे शरीर में ऊष्मा (गरमी) पैदा होती है। उस के निकलने के दो ही मुख्य मार्ग हैं एक तो सिर और दूसरा पांव। अतः यदि ये दोनों ही बन्द या ढके होंगे तो ऊष्मा निकलने के लिए जोर लगावेगी अतः कुपित होकर सारे शरीर को हानि पहुंचायेगी जिससे स्वास्थ्य की हानि होगी ।
इस प्रकार यह सारी क्रियायें विज्ञान की कसौटी पर कस कर ऋषियों ने हमारे लाभ के लिए बनाई हैं।
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