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रणजीत सिंह एक महान सिख सरदार थे, जिन्होंने 18वीं सदी में सिखों के लिए अपने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 1780 ईसा पूर्व में हुआ था और उन्होंने भारतीय इतिहास में अपनी शौर्यगाथाएं बनाईं। रणजीत सिंह को महाराजा रणजीत सिंह या महाराजा शेर-ए-पंजाब के रूप में भी जाना जाता है। उनकी गवाही में ही 1809 ईसा में एक महत्वपूर्ण लड़ाई हुई, जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को हराकर उन्होंने अपनी शक्ति और साहस का प्रदर्शन किया था।
#बाहर बारिश हो रही थी और अन्दर क्लास चल रही थी, तभी टीचर ने बच्चों से पूछा कि अगर तुम सभी को 100-100 रुपये दिए जाए तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे.. ?? #किसी ने कहा कि मैं वीडियो गेम खरीदुंगा, किसी ने कहा मैं क्रिकेट का बेट खरीदुंगा, किसी ने कहा कि मैं अपने लिए प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी, तो किसी ने कहा मैं बहुत सी चॉकलेट्स खरीदुंगी | एक बच्चा कुछ सोचने में डुबा हुआ था, टीचर ने उससे पुछा कि तुम क्या सोच रहे हो ?? तुम क्या खरीदोगे ?? #बच्चा बोला कि टीचर जी, मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा ! #टीचर ने पूछाः तुम्हारी माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते है, तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना ? बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी गला भर आया | बच्चे ने कहा कि मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है | #मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है और #कम दिखाई देने की वजह से वो ठीक से कपड़े नहीं सिल पाती है #इसीलिए मैं मेरी माँ को चश्मा देना चाहता हुँ ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ, #बड़ा आदमी बन सकूँ और माँ को सारे सुख दे सकूँ ! #टीचर:-बेटा तेरी सोच ही तेरी कमाई है। #ये 100 रूपये मेरे वादे के अनुसार और ये 100 रूपये और उधार दे रहा हूँ। जब कभी कमाओ तो लौटा देना। और मेरी इच्छा है तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सर पे हाथ फेरते वक्त मैं धन्य हो जाऊं। 15 वर्ष बाद......बाहर बारिश हो रही है, अंदर क्लास चल रही है।अचानक स्कूल के आगे जिला कलेक्टर की बत्ती वालीगाड़ी आकर रूकती है। स्कूल स्टाफ चौकन्ना हो जाता हैं।स्कूल में सन्नाटा छा जाता है। मगर ये क्या ? जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैंऔर कहते हैं:-" सर मैं दामोदर दास उर्फ़ झंडू... !! #आपके उधार के 100 रूपये लौटाने आया हूँ #पूरा #स्कूल #स्टॉफ #स्तब्ध !!! वृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान कलेक्टर को उठाकर भुजाओं में कस लेता है और रो पड़ता हैं। #हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते है और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां हमारा भाग्य लिख देंगी... !!
बेटी कान्या की शादी के बाद पहली पर पिता जी बेटी से मिलने उनके ससुराल पहुंचे
पिता को लगा था मुझे देखते ही कान्या मेरे गले से लग। जायेगी , अंत सोचते विचारते पिता बेटी के ससुराल पहुंचे घर में बैठते ही बेटी के बारे में पूछा तो उसकी सास ने बताया की कान्या रसोई घर में है अभी बुला देती हूं सास ने कान्या को आवाज लगाई अन्दर से आवाज आई हांजी मम्मी जी कान्या जल्दी जल्दी में बाहर आई पिता को देखते ही चेहरे पर चमक और खुशी साफ दिख रही थी परंतु जैसे अपने घर पर मिलती वैसे चाह कर भी मिल नही पाई, कान्या पिता को नमस्ते बोलकर उनके साथ बैठी ही रही थी की सास ने कहा चाय बना लो अपने पिताजी के लिए थके हारे आए है कान्या उठी रसोई घर जाने के लिए पिताजी ने कहा बाद में बना लेना थोड़ी देर बैठ मेरे पास बहुत दिन बाद तो आज देखा है अपनी लाडली को
इतने में देवर ने बोल दिया भाभी मेरी पेंट प्रेस नहीं की क्या आपने, कान्या ने उत्तर दिया सॉरी भईया भूल गई अभी करती हूं ननंद ने भी हुकुम सा चलाते हुवे कहा मेरा भी सूट प्रेस कर देना इतने रघु की आवाज आई रघु कन्या का पति
कान्या खाना लगाओ बहुत जोर की भूख लगी है कान्या ने दबे स्वर में उतर दिया हांजी आप बैठिए अभी लगती हूं
पिता ये सब देख कर सोच में पड़ गए की क्या ये मेरी वही बैठी है जो मुझे कहती थी में तो अपने ससुराल में ऐश करूंगी जैसे यहां रहती हूं वैसे ही रहूंगी अपनी मर्जी से सोऊंगी उठूंगी मन करेगा तो काम करूंगी वरना नही करूंगी
सब पर हुकुम चलाऊंगी में तो
सोचते सोचते पिता की आंखे भर आई मन में विचार किया मेने जो विदा की थी वो बेटी थी पर यहां जो मिली है वो किसी की बहु हैं कान्या के रसोई घर में जाते ही पिता ने सबको नमस्ते की और जल्दी में हू कहकर चल पड़े क्योंकि एक पिता अपनी बेटी से मिलने आया था जो उसे वहा नही मिली 😥
सत्य ही है हस्ती खेलती बेटियां जिमेदारियो में बंध के सब भूल जाती है
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