मंदिरो के भव्य स्वरूप पर जो तल्ख़ी से पूछ रहे हैं कि इनसे क्या मिल रहा है,वो बताएँ, कि उनके समय हज सब्सिडी,मौलवियों को तनख़्वाह, क़ब्रिस्तान को पैसे व शरिया के हिस्से को संविधान की मान्यता दे कर बिना रोज़ा रखे रोज़ा इफ़्तारी दावत दे कर अर्थव्यवस्था व गरीब का कल्याण हो रहा था ?
मस्जिद में रहने वाले मौलवी मौलाना को तनखा दी जाती है मंदिर में रहने वाले संत महात्माओं को तनखा क्यों नहीं दी जाती यह हिंदू राज है या औरंगजेब का मुसलमान राज या तो तनख्वाह सभी को दी जाए या इनकी भी बंद कर दी जावे हिंदू भाइयों क्या मैं गलत कह रहा हूं