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बिल्कुल हिटलर की राह पर चल रहे मोदी - शाह ..
विपक्ष - विरोधियों के दमन का एक और हथियार लाने जा रही मोदी की फ़ासीवादी सरकार .. इस बिल को लाने का मकसद सिर्फ एक है "झूठे मामलों में विपक्ष के लोगों को फंसा कर जेल में डाला जाएगा और न्यायालय में बिना दोष साबित हुए सत्ता पलट का खेल खुल्लम खुल्ला चलेगा ".. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और आम आदमी पार्टी के सत्येंद्र जैन के मामलों पर ही गौर फ़रमाया जाए " कैसे झूठे मामलों में फंसा कर बिना दोष साबित हुए इन दोनों को महीनों जेल में डाला गया " ..
जब कानून व् सर्व्वोच्च न्यायालय के ही मुताबिक न्यायालय के द्वारा किसी को दोषी करार दिए जाने के बाद ही किसी को दोषी कहा जा सकता है , तो ऐसे में महज ३० दिनों के लिए जेल में डाल दिए जाने पर किसी को उसके पद से कैसे हटाया जा सकता है ?
मोदी सरकार, विशेषकर मोदी - शाह , के पैरों के नीचे से जमीन खिसक रही है , वोट चोरी के फर्जीवाड़े ने सरकार के साथ - साथ दोनों गुजरातियों की हालत पतली कर रखी है , गुजरात लॉबी पर संघ के साथ - साथ अपनी ही पार्टी के एक बड़े धड़े व् घटक दलों का दबाब बढ़ता जा रहा है , तो ऐसी परिस्थिति से निबटने और विरोधियों को डराने व् उनके दमन के लिए ये बिल ला रहे हैं मोदी - शाह ..
स्वाभाविक सी बात है निशाने पर सबसे पहले होंगे राहुल गाँधी - तेजस्वी यादव - ममता बनर्जी - विपक्ष शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री - मुखर विपक्षी सांसद और अगर संघ व् भाजपा के कुछ बड़े चेहरों को भी जेल में डाल दे गुजरात लॉबी तो कोई आश्चर्य नहीं ... गडकरी - गोरखपुर के महंत जी के लिए भी खतरे की घंटी है , ये बिल..
"पिताजी संग बिताए बचपन के वो छोटे-छोटे पल… शायद उस वक़्त मामूली लगे हों,
लेकिन ज़िंदगी की दौड़ में यही पल
सबसे बड़े ख़ज़ाने बन जाते हैं।
पापा का कंधा, उनकी हँसी, उनकी डाँट,
उनका सहारा—सब यादें आज भी
दिल को सुकून देती हैं।
समय बीत जाता है, पर बचपन की वो मासूमियत और पिता का साथ… उम्रभर दिल में ज़िंदा रहता है।" ❤️🌿
#पिता #बाप #पिताजी #बापपेज #बापाचेमहत्व
नीदरलैंड ने प्रकृति और विकास के बीच अद्भुत संतुलन बनाया है। यहाँ 600 से अधिक वाइल्डलाइफ क्रॉसिंग बने हैं, जिससे जानवर सुरक्षित रूप से सड़कों और रेलवे को पार कर पाते हैं।
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सात महीने तक तहसील के चक्कर काटती रही महिला, लेकिन अफसरों के कानों में भनक तक न पहुँची। आज जब गाड़ी के पहिए के आगे लेट गई तो व्यवस्था के पहिए अचानक रुक गए और साहब का हृदय भी "पिघल" गया।
लगता है हमारे सिस्टम में फरियाद सुनने का नियम ही उल्टा है "कागज़ पर लिखो तो रद्दी, पैरों में गिरो तो गारंटी"
अब सवाल ये है कि क्या इंसाफ पाने के लिए हर किसी को गाड़ी के आगे लेटना पड़ेगा?
या फिर ये नया फॉर्मूला है “पहले थकाओ, फिर झुकाओ, तब जाकर सुनो।”
वीडियो बाराबंकी जनपद कि हैं !