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हड्डी के ट्यूमर की वजह से लोग पलक कोहली को 'कैरियर खत्म' कहकर हिम्मत तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनकी वापसी इससे भी ज्यादा धमाकेदार रही। "केवल एक एथलीट ही अपने जुनून की कीमत जानता है," यह कहना है पलक का, जो हड्डी के ट्यूमर से लड़कर फिर से पैरालिंपिक्स में वापसी कर रही हैं।
जब स्कूल के एक उबाऊ टीचर ने पलक को खेल छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा था, तब भी उन्होंने हार नहीं मानी और टोक्यो पैरालिंपिक्स में भाग लिया। लेकिन जब दो साल पहले हड्डी के ट्यूमर का पता चला और वह व्हीलचेयर तक सीमित हो गईं, तो लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि "पलक का करियर खत्म हो गया है।"
पलक ने अपने बचपन से ही अपने एक हाथ की कमी को नजरअंदाज करते हुए खेल में आगे बढ़ने की ठानी थी। लेकिन करुणा भरे ये शब्द और 'खत्म' कहकर उन्हें जज करने वालों ने उनमें गुस्से का ज्वालामुखी जगा दिया। "केवल एक एथलीट ही अपने जुनून की कीमत जानता है," वह कहती हैं, उन अज्ञानी लोगों को चुप कराते हुए जो किसी एथलीट के मेहनत से बनाए करियर को जल्दी खत्म करना चाहते हैं।
पलक कोहली की इस संघर्षपूर्ण यात्रा ने उन्हें और भी मजबूत बना दिया है। उनकी कहानी सिर्फ एक एथलीट की नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला की है जिसने सभी बाधाओं को पार करके अपनी मेहनत और दृढ़ता से सफलता हासिल की है। पलक ने साबित कर दिया है कि सच्ची मेहनत और जुनून के आगे कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती। उनकी यह वापसी न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में किसी भी चुनौती का सामना कर रहे हैं।