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जिस महिला कथावाचिका की अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं है, पिता, माता की भावनाओं को कद्र न करके एक विधर्मी से विवाह करके विधर्मी हो गई हो और हिंदु धर्म को भ्रष्ट करके इसके पतन पे लगी हुई है वह आम लोगों को क्या आध्यात्मिक मार्ग का दर्शन करवाएगी? हास्यास्पद...
शादी के समय ना मांग में सिंदूर ना माथे पर बिंदी ना गले में मंगलसूत्र, क्या आपने कभी किसी हिन्दू महिला को इस रुप मे देखा हैं?? क्या कोई हिंदू महिला अपनी शादी में #श्वेत_वस्त्र कभी धारण करती है क्या?? स्वेत वस्त्र धारण करने का मतलब हिन्दू धर्म में क्या होता है?? यह सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं। सुहागन रहते हिन्दू महिलाएं अपने जीवन में गलती से भी स्वेत वस्त्र धारण नहीं करती हैं क्योंकि यह विधवा की निशानी होती है।
मोहतरमा चित्रलेखा का शौहर, सही पढ़ा आपने, सूत्रों के मुताबिक चित्रलेखा का शौहर कभी चित्रलेखा का ही ड्राईवर हुआ करता था और #मुस्लिम भी है, शादी के बाद इसने अपना नाम #माधव_राज रखा, ताकि कथा बेचने में कोई दिक्कत न हो, और धंधा आराम से चलता रहे l
जो महिला खुद ही एक विधर्मी हैं वह आपको कैसे अध्यात्मिक मार्ग बता सकती हैं??
कितनी शर्म की बात है !
बंगाल में एक महिला के साथ अत्याचार हो रहा है और पूरा देश चुप है!
कैंची लेकर महिला के बाल काट दिए गए, महिला डर के मारे चुपचाप सहती रही!
अबुल हुसैन, सायमा, मकबूल अली, इस्रायल, अरबाज, मेहबुल्लाह इन सबने मिलकर महिला को प्रताड़ित कर रहे हैं!
मामला बंगाल के हावड़ा के डोमजूर का है, जो कोलकाता से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर है!
लव जिहाद की इससे भयानक खबर अपने पहले नही पढ़ी होंगी |
एक सना चालीस हिंदू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाने की हिम्मत रखती है |
हर जिले में ऐसी 40 सना हैं | सोचो कितनी हिंदू लड़कियां मुगलों का बिस्तर गरम करने की राह पर ढकेली जा रही है |
ऐसे पोस्ट को शेयर कर दिया करो हिंदूओ |
हो सकता है आपके एक शेयर से ही किसी हिंदू लड़की की आंख खुल जाए |
आदिगुरु शंकराचार्य एक बार शाक्तमत का खंडन करने के लिए कश्मीर गए थे। लेकिन कश्मीर में उनकी तबीयत खराब हो गई । उनके शरीर में कोई ताकत नहीं थी । वे एक पेड़ के पास लेटे हुए थे ।
वहां एक गोवालन सिर पर दही का बर्तन लेकर निकली । आचार्य का पेट जल रहा था और वे बहुत प्यासे थे। उन्हों ने गोवालन से दही मांगने के लिए उनके पास आने को इशारा किया । गोवालन ने थोड़ी दूर से कहा "आप यहाँ दही लेने आओ"
आचार्य ने धीरे से कहा, “मुझमें इतनी दूर आने की शक्ति नहीं है। बिना शक्ति के कैसे?
हंसते हुए गोवालन ने कहा, 'शक्ति के बिना कोई एक कदम भी नहीं उठाता और आप शक्ति का खंडन करने निकले हैं?'
इतना सुनते ही आचार्य की आंखें खुल गईं । वह समझ गए कि भगवती स्वयं ही इस गोवलन के रूप में आयी हैं। उनके मन में जो शिव और शक्ति के बीच का अंतर था वो मिट गया और उन्होंने शक्ति के सामने समर्पण कर दिया और शब्द निकले "गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी"
समर्पण का यह स्तवन "भवानी अष्टकम" के नाम से प्रसिद्ध है, जो अद्भुत है । शिव स्थिर शक्ति हैं और भवानी उनमें गतिशील शक्ति हैं.... दोनों अलग-अलग हैं... एक दूध है और दूसरा उसकी सफेदी है... नेत्रों पर अज्ञान का जो आखिरी पर्दा भी माँ ने ही हटाया था इसी लिए शंकर ने कहा "माँ, मैं कुछ नहीं जानता"।