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51 की उम्र होने के बावजूद भी क्यों कुंवारी है ये करोड़पति कोरियोग्राफर?..पूरा पढ़े..कॉमेंट सेक्शन में..

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क्या आप सोच सकते हैं, एक ऐसी महिला जिसने कभी दुनिया को अपनी आँखों से देखा ही नहीं, उसने दुनिया के लिए मिसाल बनकर दिखाया?
यह कहानी है नागपुर, महाराष्ट्र की कंचनमाला पांडे की, जो पूरी तरह से नेत्रहीन होते हुए भी साहस और जज़्बे की अनोखी मिसाल हैं। 🌟
कंचनमाला ने वह कर दिखाया, जो सामान्य व्यक्ति के लिए भी किसी सपने से कम नहीं होता। 2017 में मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। वह अंतरराष्ट्रीय पैरा-स्विमिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला तैराक हैं। 🏅💦
उनकी यात्रा संघर्षों से भरी रही। आर्थिक कठिनाइयों और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद कंचनमाला ने कभी हार नहीं मानी। उनके परिवार और दोस्तों का समर्थन उनकी ताकत बना, लेकिन असली जीत उनकी अटूट इच्छाशक्ति और मेहनत की रही।
उनकी कहानी हमें सिखाती है कि असली रोशनी आँखों में नहीं, बल्कि इरादों और हौसलों में होती है। कंचनमाला आज हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा हैं, जो सपने देखने की हिम्मत करता है। 👏❤️

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