2 yrs - Translate

SDM Jyoti मौर्या के पत्ती सफाई कर्मी में नियुक्ति आलोक की । की कहानी कुछ गजब है,फिल्म अमिताभ बच्चन के सूर्यवंशम के खास उल्टा है।

image
2 yrs - Translate

ये वो हनुमान थे जिसने कलयुग में सनातन धर्म की जड़ो को फिर से सींचने का काम किया।
स्व. श्री हनुमान प्रसाद पौद्दार जी जिन्होंने गीता प्रेस गोरखपुर की स्थापना की ओर कलयुग में भारत के घर घर मे वैदिक धर्म ग्रंथों, शास्त्रौ को पहुचाने का काम किया। आज भारत के घर मे जो सनातन शास्त्र पहुच रहे है वो स्व श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी की देन है। वास्तव में हनुमान प्रसाद पोद्दार जी हनुमान ही थे जब हिन्दू समाज अपने ज्ञान , विज्ञान, गौरव को भुल अंग्रेजी सभ्यता का दास बन रहा था, तब इन्होंने हनुमान की भांति संजीवनी रुपी गीता प्रेस गोरखपुर (सनातन शक्तिपुंज) की स्थापना कर जो सनातनियों को जड़ से जोड़े रखने का भगीरथी प्रयास किया । उसके लिए भारत का समाज हमेशा इनका ऋणी रहेगा। इन लोगो ने अभावो में रहकर भी कैसे संस्थान खड़े किए होंगे जो सम्पूर्ण विश्व मे वैदिक ग्रंथ पहुचाने वाले सबसे बडे संस्थान बनकर उभरे।
न पैसा न संसाधन फिर भी समाज की आने वाली पीढ़ियों तक शास्त्रो का अमर ज्ञान पहुचाने के लिए अपना सबकुछ वार दिया।
हनुमान प्रसाद पोद्दार जी जैसे महापुरुषों के द्वारा ही वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ज्ञान पहुंचाने वाली ऋषि परम्परा जीवित है।
जो समाज अपने इतिहास और महापुरुषों को भुल जाते है वो समाज कुछ समय में ही नष्ट हो जाता है , इसलिए हनुमान प्रसाद पोद्दार जी जैसे महात्माओं को कभी मत भूलो ये ही भारत के संस्कृति के इस अक्षय वृक्ष की जड़ है।
कोटि कोटि नमन 🙏🙏

image

image

image
2 yrs - Translate

जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज...
एक बालक जिसने 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिख दी। एक बालक जिसने 5 साल की उम्र में पूरी श्रीमदभगवत गीता के 700 श्लोक विद चैप्टर और श्लोक नंबर के साथ याद कर लिए। एक बालक जिसने 7 साल की उम्र में सिर्फ 60 दिन के अंदर श्रीरामचरितमानस की 10 हजार 900 चौपाइयां और छंद याद कर लिए। वही बालक गिरिधर आज पूरी दुनिया में जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी के नाम से जाने जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1950 को चित्रकूट में उनका जन्म हुआ था। 2 महीने की उम्र में ही वो नेत्रहीन हो गए लेकिन वो 22 भाषाओं में बोल सकते हैं इसके अलावा 100 से ज्यादा पुस्तकें और 50 से ज्यादा रिसर्च पेपर बोलकर लिखवा चुके हैं। एक नेत्रहीन बालक इतना बड़ा विद्वान बन गया कि जब रामजन्मभूमि केस में मुस्लिम पक्ष ने ये सवाल खड़ा किया कि अगर बाबर ने राममंदिर तोड़ा तो तुलसी दास ने जिक्र क्यों नहीं किया ?
ये सवाल इतना भारी था कि हिंदू पक्ष के लिए संकट खड़ा हो गया लेकिन तब संकट मोचन बने श्रीरामभद्राचार्य जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट (हाईकोर्ट का नाम अब भी वही है) में गवाही दी और तुलसी दास के दोहाशतक में लिखा वो दोहा जज साहब को सुनाया जिसमें बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा राम मंदिर को तोड़ने का जिक्र है।
रामजन्म मंदिर महिं मंदिरहि तोरि मसीत बनाय ।
जबहि बहु हिंदुन हते, तुलसी कीन्ही हाय ।।
दल्यो मीर बाकी अवध, मंदिर राम समाज ।
तुलसी रोवत हृदय अति, त्राहि त्राहि रघुराज ।।
चहुं ओर जय जय कार हो गई, रामभद्राचार्य जी महाराज की
उनके प्रोफाइल पर गौर कीजिए आध्यात्मिक नेता, शिक्षक, संस्कृत के विद्वान, कवि, विद्वान, दार्शनिक, गीतकार, गायक, साहित्यकार और कथाकार। 24 जून 1988 को काशी विद्वत परिषद ने उनको जगदगुरु रामभद्राचार्य की उपाधि दी। उनका बचपन का नाम था गिरिधर। प्रयागराज में कुंभ मेले में 3 फरवरी 1989 में सभी संत समाज द्वारा स्वामी गिरिधर को श्री रामभद्राचार्य की उपाधि दे दी गई।
श्री रामभद्राचार्य तुलसी पीठ के संस्थापक हैं और जगदगुरु रामभद्राचार्य हैंडिकैप्ड यूनिवर्सिटी के आजीवन कुलपति भी हैं विश्व हिंदू परिषद के रूप में भी वो हिंदुओं को प्रेरणा दे रहे हैं।
प्रणाम है ऐसे महान संत को...🙏

image
W Y created a new article
2 yrs - Translate

Benfica 23-24 oprema pred tekmo temelji na predlogi TIRO23 PRO | #any

image

image

image

image