image

image

image

imageimage

image

image

imageimage

image
2 yrs - Translate

अब अमिताभ बच्चन जी होगें अंतरराष्ट्रीय टकला महासंघ के उपाध्यक्ष
अध्यक्ष पद पर अमित शाह जी बने रहेंगे।

image
2 yrs - Translate

"श्री " #must_read
📷 - श्रीराम और कमल लिए हुए श्रीजी
श्री का अर्थ क्या है ? यह वेदो से लिया शब्द है जिसका अर्थ लक्ष्मी से है वैभव से कालांतर में यह चरित्र का भी पर्याय बन गया उसका कारण है यह विश्लेषण ' राम ' के साथ जुड़ा तो उनके मर्यादित आचरण से जुड़ गये।
भारत के विचार जिन चार दार्शनिक शब्दों के साथ चलते है वह है अर्थ , काम , धर्म , मोक्ष।
अर्थ धर्म के समकक्ष है और उतना ही महत्व रखता है अर्थ को चाणक्य ने धर्म कि ऊर्जा माना है।
राज्य का आधार अर्थ है और अर्थ का नियंता धर्म है यह विपुल अर्थ ही श्री अभिव्यक्त करता है !
श्रीहीन; होना प्राचीन से लेकर आधुनिक काल तक सबसे दुःखद श्राप और अपशब्दों में से है।
श्री का अधिकतम विश्लेषण राम के साथ क्यों है ? श्रीराम ऐसा सभी देवों के साथ नहीं है यदि हुआ है तो श्रीराम का अनुसरण है।
हमारे लिये यह कठिन चुनौती है कि मैं यह चिंतन आपके सामने रखूं कि श्री क्यों राम के साथ महत्वपूर्ण हो जाता है ।
यह कहते चले मौलिक नहीं है
शास्त्रों विद्वानों अर्थशास्त्र से समन्वय किया है जिसकी चर्चा यहां संभव नहीं है।
रावण मात्र राक्षस नहीं है वह असुर है वह समृद्धि का विरोधी है वह समता विरोधी है वह संस्कृति विरोधी है उसके विरुद्ध राम का युद्ध और वध किसी अपरहण के कारण नहीं है उसकी भी लाक्षणिक व्याख्या है।
रावण धन का अकूत संचय करता है वह अपनी राजधानी सोने और मणियो से बनाता है वह धन के देवता सम्रद्धि के देवता अश्वनीकुमारों आदि देवो को बंधक बना लेता है। सोने कि लंका यह संकेत है रावण सारे वैभव का केन्द्रीयकरण कर रहा है शेष समाज विपन्नता में जीने पर बाध्य है इस अभाव में कृषक कृषि नहीं कर सकता ऋषि यज्ञ नहीं कर सकता वैज्ञानिक शोध नहीं कर सकते सारा समाज दरिद्रता में बदल गया।
राम इसके विरुद्ध है वह रावण जैसे ही बाली को मारते है जो धन संपत्ति पर एकाधिकार किया था यही कारण है जनसमुदाय राम के साथ है!
इतना व्यापक जनसमर्थन जिसमें ऋषि , आदिवासी , कपि , भील आदि सभी उनके साथ है यह बताता है समाज अपने अस्तित्व के अंतिम सीढ़ी पर खड़ा है यहां इस बात कि चर्चा आवश्यक है राम इतने मर्यादित है कि सूक्ष्म से सूक्ष्म अनैतिक अधार्मिक कृत्य को रोकते है लेकिन उनके दूत द्वारा रावण के सोने के महलों को जला देने पर वह उसकी निंदा नहीं करते न अनुचित कहते है वास्तव में उनका युद्ध भी इसी के विरुद्ध था ।
उनका विद्रोह 14 वर्ष तक प्रतिदिन निरंतर था उन्होंने जो भी धन अर्जित किया सामान्य जन में ही दे दिया उसे सत्ता सौंप दी जो समता , वैभव , शिक्षा , संस्कृति कि रक्षा कर सकता है ।
ऐसे बहुत से शोध बताते है 12वी शताब्दी तक भारत के वैभव का एक कारण राम के प्रति श्रद्धा भी है जो कर्म में विश्वास करते है कभी भी नहीं कही भी नहीं वह अर्थ का तिरस्कार करते है , जिस रामराज्य कि चर्चा बार बार शास्त्रो और महापुरुषों द्वारा कि गई है उसको हिंदी के कवियों ने कल्पनातीत बना दिया न अपराध न घृणा न युद्ध जैसे किसी भावहीन राज्य कि चर्चा हो !
नहीं ऐसा नहीं है रामराज्य वैभवशाली था किसी वस्तु का अभाव नहीं था लोग समृद्ध थे ऐसी स्थिति में कला , दर्शन , संगीत का विकास होता ही है।
राम ! श्रीराम है और श्री सबके शुभनाम के आगे आता है वैभव सबके लिये है सुख सबके लिये है एकाधिकार नहीं यही राम का संघर्ष है यही श्री कि महत्ता है।

image