Descubrir MensajesExplore contenido cautivador y diversas perspectivas en nuestra página Descubrir. Descubra nuevas ideas y participe en conversaciones significativas
शिकागो में सन 1893 में एक सामान्य सा व्यक्ति गया। जिसे सभा मे ठीक से आमंत्रित भी नहीं किया गया। जब कुछ कहने का नम्बर आया तो उसे शून्य दिया गया। जीहाँ ज़ीरो।
किन्तु जब शून्य के बारे में जब उस व्यक्ति ने बोलना शुरू किया तो लोगों के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं था। एक साधारण सा दिखने वाला नरेंद्र नाथ तब स्वामी विवेकानंद बन गए।
जब उन्होंने यह कहा 'कोटी ब्रम्हांडों का लय भी शून्य में ही हो जाता है। अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक को सनातन धर्म ग्रंथों में महाविष्णु कह गया है वे नीलवर्ण ही अनंत कोटी ब्रम्हांड के उत्पत्ति के कारक हैं जिनके ब्रह्मांड का नाद ॐ है जिसकी लय पर ब्रह्माड गति करता है यह ॐ ब्रह्म का नाद है, इसीलिए हम नादब्रह्म के उपासक हैं।' सारी दुनिया उनके ज्ञान के आगे नतमस्तक हो गई ।
स्वामी विवेकानंदजी के बारें में मैंने बहुत पढ़ा है, उनके बहुत से किस्से पढ़े हैं। उसमे से एक जो मुझे बहुत पसंद है...और बहुत से लोगों की जिज्ञासा का जवाब भी है, वो इस तरह है।
एक समय स्वामी जी को एक धनी व्यापारी ने अपने यहाँ भोजन पर आमंत्रित किया। नियत समय पर पहुंचने पर व्यापारी ने उनका स्वागत किया। उन्हें प्रेम पूर्वक भोजन करवाया। और उसके पश्चात वो व्यापारी उन्हें अपने साथ अपनी बैठक में ले गया।
उन दोनों के बीच जीवन -धर्म-दर्शन अध्यात्म, ईश्वर पर चर्चा होने लगी। व्यापारी नास्तिक था। वो ईश्वर को नहीं मानता था। उसने जानबूझकर स्वामी जी के सामने प्रश्न उठाया:
“मूर्ति पूजा क्यों की जाती हैं? एक बेजान मूर्ति आखिर किसी को क्या दे सकती हैं? ऐसी मूर्तियों के आगे हाथ जोड़ना पुरुषार्थ नहीं है, यह तो धर्मभीरुता ही कहलाएगी!"
विवेकानंद जी ने मुस्कराते हुए अपनी नजर बैठक की दीवारों पर डाली तो सामने दीवार पर उन्हें एक तस्वीर दिखाई दी। उस पर ताजा फूलों की माला डाली हुई थी।
विवेकानंद जी उठकर उस फोटो के पास गये और बोले -” ये तस्वीर किसकी हैं ?”
व्यापारी ने कहा;
ये मेरे स्वर्गीय पिताजी हैं कुछ साल पहले इनका निधन हो गया था।
विवेकानंद जी उस तस्वीर को दीवार से उतारा और उसे व्यापारी के हाथ में देते हुए बोले;
” अब इस तस्वीर पर थूकों और इसे नीचे पटक दो “
यह सुनकर व्यापारी सन्न रहा गया, उसे स्वामी जी से यह आशा नहीं थी। वह गुस्से से आगबबूला हो गया और क्रोध में बोला;
आप ये कैसे कह सकते हैं? ये मेरे पूज्य पिताजी की तस्वीर हैं।
इस पर विवेकानंद जी ने मुस्कराते हुए और बहुत ही शांत स्वर में कहा;
यह आपके पिताजी नहीं हैं, यह तो सिर्फ एक तस्वीर हैं। आप क्रोधित क्यों हो रहें हैं, जबकि आपके पिताजी को गुजरे हुए तो एक अरसा हो गया हैं अब तो ये बेजान हैं, इसमें न तो प्राण हैं और न ही इसमें आवाज हैं।
यह सुनते ही व्यापारी के चेहरे के भाव बदलने लगे। स्वामी जी ने आगे कहना जारी रखा;
देखिए आप इस तस्वीर का अनादर नहीं कर सकते, और अनादर के किए जाने की कल्पना मात्र से आप असहज हो गए, और जिसने अनादर के लिए कहा उस पर क्रोधित हो गए। क्योकि आप इसमें अपने पिता का स्वरूप देखते हैं।
इसी प्रकार मूर्ति पूजा करने वाले मूर्ति में भगवान का स्वरूप देखते हैं।
हम जानते हैं कि ईश्वर सर्वव्यापी हैं, कण -कण में हैं। किन्तु मन को एकाग्र करने के लिए हम मूर्ति पूजा करते हैं। हमारे लिये भी ईश्वर परमपिता और सदैव पूजनीय हैं।
यह सुनकर व्यापारी को अपनी भूल का अहसास हो गया और वह विवेकानंद जी के चरणों में गिरकर माफ़ी माँगने लगा।
स्वामी जी ने उस व्यक्ति को प्यार से गले लगाकर सदैव के लिये आस्तिक बना लिया।
ओजस्वी वक्ता, युगपुरुष, विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति का जयघोष करने वाले भारतीय संस्कृति के पुरोधा और करोड़ों युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद जी की आज जयंती है
🙏 कोटि कोटि नमन🙏
एक बाप ने अपने बेटे को बिजली बिल जमा करने के लिए रुपये दिए....!!
पता नहीं बेटे को क्या सूझी कि उसने उस रुपए से लॉटरी की टिकट ख़रीद ली....!!
बाप ने पूछा.. "तूने बिजली बिल भर दिया था न क्योंकि कल बिल जमा करने का आख़री दिन था "...??
बेटे ने डरते हुए बताया....."नहीं, उस रुपए से लॉटरी की टिकट ख़रीद ली ,क्योंकि हम लॉटरी में एक नई चमचमाती बोलेरो गाड़ी जीत सकते हैं "........!!
बाप ने बेटे को खूब मारा....!!
उसके बाद जब बाप ने अगले दिन सुबह घर का दरवाजा खोला तो सामने एक बिल्कुल नयी चमचमाती हुई बोलेरो गाड़ी खड़ी थी….!!
पूरे परिवार की आँखों में आंसू थे। सभी एक दूसरे को आश्चर्य औऱ बेहद उत्सुकता से देख रहे थे। सबसे ज्यादा आंसू बेटे की आँखों में थे औऱ वह बहुत बेचैन दिख रहा था...
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
..
क्योंकि वो बोलेरो गाड़ी बिजली विभाग की थी....औऱ
कुछ लोग बिजली की लाइन काटने आए थे...!!
बाप ने बेटे को फ़िर पटक पटककर बहुत मारा....!!
.
.
.
.
.......
इसलिए घर के बेहद जरूरी कामों के लिए अपने नालायक बेटों के भरोसे बिलकुल भी न रहें औऱ समय से अपना बिजली बिल ख़ुद जमा करें..........!!
#बिजली_काट_डिपार्टमेंट द्वारा जनहित में जारी......!