झारखंड में सौ से ज्यादा स्कूलों में पिछले एक वर्ष से शुक्रवार को छुट्टी हो रही थी, प्रार्थना भी बदल दी गई थी। लेकिन तब इस सस्ते रवीशकुमार के मुंह में दही जमी हुई थी। ये दोगलापंथी की पैदाइश हैं।
जीवन को पूर्ण करने के लिए आपको प्राप्त करना ही नहीं अपितु त्यागना भी है और आत्म-चिन्तन के बाद क्या प्राप्त करना है और क्या त्याग करना है ? यह भी आप सहज ही समझ जाओगे।
पुष्प को सबका प्रिय बनने के लिए खुशबू तो लुटानी ही पड़ती है।