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धन से सुख नहीं मिलता,
धन से शांति नहीं मिलती।
धन आवश्यकता है ! भौतिक जीवन को पूरा करने के लिये।
यह कोई दार्शनिक तथ्य नहीं है। NRCB 2022 कि रिपोर्ट यही कहती है।
आत्महत्या करने वालो में सबसे अधिक, सपंन्न राज्यों के लोग है।
उत्तरप्रदेश में उन राज्यों में से है। जहाँ सबसे कम लोग आत्महत्या करते है। उसमें भी NCR क्षेत्र सबसे आगे है।
आत्मनिर्भरता में एक खतरा है।
सहअस्तित्व का भाव खत्म होने लगता है।
यदि मेरे पास सब कुछ है, तो दूसरे को सहयोग करने या सहयोग लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।
आत्मनिर्भर व्यक्ति धीरे धीरे समाज को छोड़ता चला जाता है।
यह सबसे गम्भीर भूल है।
जितना समाज को आपकी आवश्यकता है, उससे अधिक समाज, आपके लिये आवश्यक है।
शहर, सहअस्तित्व को ठुकरा कर आगे बढ़ रहे है। यह मनोरोग को आमंत्रण है।
एक दिन आप भी अकेले पड़ेंगे, तब वही समाज न होगा। जिसको आप ने कभी ठुकरा दिया था।
मैं प्राचीन भारतीय इतिहास को पढ़ता हूँ। हर तरह के अपराध का वर्णन है लेकिन कहीं भी आत्महत्या का वर्णन नहीं है।
वर्ण व्यवस्था में कमियाँ रही होंगी, लेकिन सहअस्तित्व का इससे अच्छा सफल प्रयोग, मानव इतिहास में नहीं हुआ। हजारों वर्ष यह व्यवस्था चलती रही, इसके पीछे एक कारण यह भी है।
यही कारण है, भारतीय समाज के हजारों वर्ष के इतिहास में कभी क्रांति, गृहयुद्ध नहीं हुये। जब हमारा अस्तित्व, दुसरो पर निर्भर है। कैसे हम सामुहिक रूप से एक दूसरे से लड़ सकते है।
उस व्यवस्था का कुछ अंश अभी बचा है, जिसे शादियों में देखा जा सकता है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, नाऊ, कहार, धोबी सब एक साथ संपूर्ण करते है।
गाँव मे रहे या शहर में, इस संस्कृति के वह गुण न छोड़े। जिसमें सहयोग, सामाजिक बंधन है।
एक दिन में भारत मे 500 लोग आत्महत्या करते है। वर्ष में 2 लाख लोग और 20 % पूरे विश्व मे होने वाली आत्महत्या का भाग है।
यह पुलिस के पास रिकॉर्ड से है। इससे अनुमान लगा सकते है। वास्तविक आंकड़ा क्या होगा।

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