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राजपूताना साम्राज्य
भारत से लोग रेगिस्तान के नाम पर सहारा मरूस्थल ,अफ्रीका महाद्विप या अरबी रेगिस्तान ( सऊदी अरब या UAE की तारीफ करते नही थकते..
वो वँहा की चर्चा इसलिए करते हैं,किंयुकि उन्होंने अभी तक भारत का रेगिस्तान नही देखा,और भारत के रेगिस्तान का कोहिनूर रेगिस्तान में बने एक शहर जैसलमेर को नही देखा....
दुनिया भर के मरुस्थल में कई देश ब शहर विश्व प्रसिद्ध हैं, जिसमे, माली,मोरक्को,इजिप्ट ,सूडान व सऊदी अरब व UAE भी शामिल हैं.....इजिप्ट के अलावा दुनियाभर के रिगिस्तान में किसी शहर का इतिहास तारीफ करने लायक नही है,वो भी सिर्फ यंहा पर बने पिरामिड की बजह से...पर इन सभी शहरों में वो बात नही जो जैसलमेर में है..
UAE ( दुबई ) के चर्चे वर्तमान में पूरे विश्व मे होते हैं, किंयुकि आधुनिक तकनीक से उन्होंने उस रेगिस्तान में वो दुबई शहर बसाया जिसकी और कोई सिर्फ कल्पना ही कर सकता है...पर वँहा भी 200-400 साल पहले कुछ नही था,वो भी कबीलों व टेंटो में दिन गुजारा करते थे.......
पर भारत मे ऐसा नही था, भारत का थार मरुस्थल जो जोधपुर शहर से शुरू होता है और पाकिस्तान तक जाता है..... इस विशाल रेगिस्तान के बीचों बीच एक जगह है,उसका नाम है जैसलमेर , रेगिस्तान के बीच मे एक शहर का होना ,किसी चमत्कार से कम नही है, और ये आधुनिक शहर नही है, ये शहर 900 वर्ष पहले स्थापित किया था, रेगिस्तान में चूना और पत्थर से बना 900 वर्ष प्राचीन विशालकाय किला ,जो खुदमे एक कस्वा है, उसे देखकर ,दुनिया के सभी रेगिस्तान भी शर्म से सर झुक जाएं......
जिस रेगिस्तान में वर्तमान में भारत सरकारें कोई आर्किटेक्चर खड़ा नही कर पाई, उसी रेगिस्तान के बीच मे आज से 1400 वर्ष पूर्व 6ठी शताव्दी में भगवान श्री कृष्ण के वंशजो ने, इस जगह को रहने के लिये चुना और धीरे धीरे राज्य को गति देते देते 11 वीं शताव्दी में जैसलमेर राजधानी का निर्माण कराया, जिसमे महाराज जैसल भाटी जी द्वारा अद्भुत, अकल्पनीय विशाल सुनार किले का निर्माण किया गया, जनता के जल पूर्ति हेतु, मानव निर्मित गड़सीसर झील भी इस रेगिस्तान में बनाई गई.... ये वो दौर था,जब अरव देशो में लोग कबीलों में रहती थी.
बाद में इसी शहर में,अद्भुद शिल्पकारी वाले मंदिरों का निर्माण कराया गया, विश्व प्रसिद्ध हवेलियों का भी निर्माण हुआ...जिससे शहर धीरे धीरे बढ़ता चला गया, जहां आज करीब सवा लाख से ज्यादा जनसख्या निबास करती है.....
विश्वभर के रेगिस्तान में बने शहरों में भारत का जैसलमेर, अपनी एक अलग ही जगह ,रखता है, इस शहर को भारतीयों से ज्यादा विदेशी पर्यटक हर वर्ष देखने आते है,और रेगिस्तान में बने इस अविश्वसनीय शहर को देखकर पागल से हो उठते हैं, वो रेगिस्तान पर बने इस 900 वर्ष पुराने महल को देखकर आपस मे खुसर-फुसर करते हैं, और इच्छुक रहते हैं, इस महल के ऐतिहासिक रहस्य जानने को , वो ये भी जानना चाहते हैं,की इस रेगिस्तान में इतने विशाल मंदिर कैसे बनाये गए, इन मंदिरों में इतनी बारीक नक्काशी कैसे की होगी...
फलाना फलाना
लेकिन भारतीयों को इस कोहिनूर के बारे में पता ही नही ,भारतीय तो अपनी अलग धुन में रहते हैं....
#जैसलमेर शहर, वहां सिर्फ रेगिस्तान है,दूर दूर तक,ना कोई व्यवसाय ना ही कोई इंडस्ट्रीज...
पर उस शहर की किस्मत है कि वो इतिहास से जुड़ा है, वँहा के राजवंश ने उस रेगिस्तान में विशाल किले बनवाये, ऐतिहासिक मन्दिर बनवाये, यंहा तक कि पानी की झील भी बनवाई... वर्तमान में रेगिस्तान के इस कोहिनूर को लाखों लोग देखने आते हैं,जिसमे सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक होते हैं..
● आप हैरान होंगे सुनकर,जैसलमेर का टूरिज़्म रेवन्यू 500 करोड़ रुपये ,प्रति वर्ष का है..मतलब बिना कुछ किये जैसलमेर में रह रहे करीब 1 लाख लोगों का जीबन यापन आराम से होता है.यंही टूरिस्ट आकर जैसलमेर के पास रेगिस्तान(डिजर्ट) में जाकर केमिल सफारी, डिजर्ट टेंट का आनन्द लेते हैं, जिससे जैसलमेर के आस पास के गांव वालों को भी रोजगार प्रदान होता है.....
● जैसलमेर में हर साल 5 लाख लोग घूमने आते हैं, जो यंहा ,रहना,खाना,आना,जाना,घूमना,खरीदने पर 500 करोड़ का रेवन्यू देकर जाते है.....
सबकुल मिलाकर, ये समझिये की वर्तमान में , इस शहर व इस शहर के आस पास के लोगों का जीबन यापन सिर्फ टूरिज्म की बजह से है,
अगर हम लोग विदेशों की फर्जी संस्क्रति, व आधुनिक आर्किटेक्चर को नकारकर, अपनी सैकड़ो व हज़ारो बर्षो पुरानी संस्कृति, शिल्पकला से जुड़ें जिससे उन्हें सही पहचान भी मिलेगी, व साथ साथ इस टूरिज्म सेअपने लोगों को रोजगार ,व्यवसाय में सहयोग भी होगा......
लोकल टूरिज़्म से हमारा और हमारे बच्चों का, अपने इतिहास,अपनी।परम्पराओं का ज्ञान होगा व लगाव भी बढ़ेगा..जो कि एक मजबूत राष्ट्र के लिए बहुत जरूरी है...
कुछ लोग कहेंगे कि जो मजा ,नज़ारा बिदेशो में है, वो भारत मे कहाँ ?????
ये सिर्फ हमारी मानसिकता है, दरसल हमने भारत को सही देखा ही कहाँ है,या देखना ही नही चाह ,हमने 2-4 बड़े मेट्रो शहर देख लिए,तो हमे लगता है हमने भारत देख लिया ..
भारत मे देखने को इतना कुछ है, और उसे देखकर सीखने को इतना कुछ है कि बताना मुश्किल है....जिस भारत को हम देखना नही चाहते ,उसे देखने बिदेशो से लाखों पर्यटक हर वर्ष भारत आते हैं.
भारत के टूरिज्म की खास बजह ये है, की यंहा का 80% टूरिज्म ऐतिहासिक है, लोग दुनिया भर से हमारे इतिहास, हमारी परम्पराओं को देखने आते हैं,जो बिलुप्त होती जा रही है....
● हम मानते हैं,भारत मे टूरिज्म मंत्रालय थोड़ा कमजोर है, सरकारे सुस्त हैं, पर अगर हम तेजी से देशी पर्यटन पर रुख करें,तो हमारे यंहा भी व्यवस्था दुरुस्त होगीं..... किंयुकि सम्भावनाएं अपार हैं..
टूरिज्म सबसे ज्यादा रोजगार देता है,वो भी बिना किसी लागत के...