2 ans - Traduire

आज काशी तमिल समागम मे जाने का अवसर मिला। वैसे तो काशी का स्वभाव ही है उत्सव, यहां उत्सव कभी भी नहीं बंद होता ..लेकिन काशी तमिल समागम मोदी जी के द्वारा एक अद्वितीय एवं सराहनीय प्रयास है, काशी अपने में एक भारत को समेटे हूये है , यहां भारत के प्रत्येक क्षेत्र संस्कृति के लोग है ..और उत्तर दक्षिण के मेल का अनुपम प्रयास है।

image
2 ans - Traduire

आज काशी तमिल समागम मे जाने का अवसर मिला। वैसे तो काशी का स्वभाव ही है उत्सव, यहां उत्सव कभी भी नहीं बंद होता ..लेकिन काशी तमिल समागम मोदी जी के द्वारा एक अद्वितीय एवं सराहनीय प्रयास है, काशी अपने में एक भारत को समेटे हूये है , यहां भारत के प्रत्येक क्षेत्र संस्कृति के लोग है ..और उत्तर दक्षिण के मेल का अनुपम प्रयास है।

image
2 ans - Traduire

आज काशी तमिल समागम मे जाने का अवसर मिला। वैसे तो काशी का स्वभाव ही है उत्सव, यहां उत्सव कभी भी नहीं बंद होता ..लेकिन काशी तमिल समागम मोदी जी के द्वारा एक अद्वितीय एवं सराहनीय प्रयास है, काशी अपने में एक भारत को समेटे हूये है , यहां भारत के प्रत्येक क्षेत्र संस्कृति के लोग है ..और उत्तर दक्षिण के मेल का अनुपम प्रयास है।

image
2 ans - Traduire

आज काशी तमिल समागम मे जाने का अवसर मिला। वैसे तो काशी का स्वभाव ही है उत्सव, यहां उत्सव कभी भी नहीं बंद होता ..लेकिन काशी तमिल समागम मोदी जी के द्वारा एक अद्वितीय एवं सराहनीय प्रयास है, काशी अपने में एक भारत को समेटे हूये है , यहां भारत के प्रत्येक क्षेत्र संस्कृति के लोग है ..और उत्तर दक्षिण के मेल का अनुपम प्रयास है।

image
image
image
2 ans - Traduire

देखिये ईहै है...
मोदी जी ने एंबुलेंस को पास दिया तो ..वाह वाह ..और हमारे लतफत गांधी ने दिया तो प्रोपेगैंडा है, दिखावा है!!!
मोदी जी सामान्य नागरिक की तरह वोट दिये तो सोशल मीडिया पर चर्चा ए आम हो गया ....
और ऊ बेचारा फेविक्विक का बाल्टी लेकर भारत को जोड़ रहा है, समय समय माहौल बोरियत वाला न हो तो स्टेज पर आकर मुफ्त मनोरंजन भी करवा रहा है ..तो उसका कोई चर्चै नहीं है ...!!
यह देश बदल गया ..
बदल गया यह देश दोस्तों बदल गया यह देश ...।।

2 ans - Traduire

देख रहा है बिनोद ...बिनोद सब देख रहा है
ईहा समर्थक विचारधारा की लड़ाई मे लहुलुहान हूये पड़े है और ईधर नेता जी लोग आल पाटी मिटिंग बुलाकर मऊज कर रहे है.।।

image
2 ans - Traduire

आप विश्वास न करे पर यह बरगद का पेड़ है मान्यता है 7000 साल से आज तक ऐसा ही है इस पेड़ पर सिर्फ तीन पत्ते आते हैं जबकि बरगद का पेड़ बहुत विशाल होता है इस पेड़ का तना आज तक 1 इंच से ज्यादा नहीं हुआ और तीन पत्ते के अलावा चौथा पत्ता नहीं आया और यह तीन पत्ते ब्रह्मा विष्णु महेश के संकेत है।
यह पेड सूरत के पास तापी नदी पर स्थित है यह महाभारत के योद्धा अंगराज कर्ण की समाधि है । अब आप सोच रहे होंगे कि युद्ध तो कुरुक्षेत्र हरियाणा में हुआ था तो कर्ण को समाधि सूरत में क्यों दी गई। इसके पीछे कर्ण द्वारा मांगा गया वह वरदान था जिसे भगवान कृष्ण ने पूरा किया जब कर्ण ने कवच और कुंडल इंद्र को दान किए थे तब इंद्र से एक शक्ति बांण और एक वरदान मांगा था कि मैं अधर्म का साथ दे रहा हूं इसलिए मेरी मृत्यु निश्चित है परंतु मेरा अंतिम संस्कार कुंवारी जमीन पर किया जाए अर्थात जहां पहले किसी का अंतिम संस्कार ना किया गया हो।
युद्ध में अर्जुन के हाथों जब कर्ण का वध हुआ. तो कृष्णा ने पांचों पांडवों को बताया कि ये तुम्हारे बड़े भाई है इनकी अंतिम इच्छा थी कि इनका अंतिम संस्कार कुंवारी जमीन पर किया जाए और मेरी दृष्टि में इस पृथ्वी पर सिर्फ एक ही जगह ही तापी नदी के पास नजर आ रही है तब इंद्र ने अपना रथ भेजा और कृष्ण पांचो पांडव और कर्ण के शरीर को आकाश मार्ग से तापी नदी के पास लाए यहां भगवान कृष्ण ने उस ऐक इंच जमीन पर अपना अमुक बांण छोड़ा बांण के ऊपर कर्ण का अंतिम संस्कार हुआ।
कृष्ण ने कहा था कि युगो युगांतर तक इस जगह ऐक बरगद का पेड़ रहेगा जिस पर मात्र तीन पत्ते ही आयेगें तब से आज तक इस बरगद के पेड़ पर चौथा पत्ता नही आया और ना ये ऐक इंच से ज्यादा चोड़ा हुआ यहां कर्ण का मंदिर बना हुआ है यहां सभी की मनोकामनाएं पूरी हो जाती दानवीर कर्ण किसी को खाली हाथ नहीं जाने देता।
हर हर महादेव🔱🙏🏻

image
2 ans - Traduire

It’s the season 🎄

image
2 ans - Traduire

No cabe la menor duda, que tenemos a la mejor Primera Dama🇸🇻.

image
2 ans - Traduire

No cabe la menor duda, que tenemos a la mejor Primera Dama🇸🇻.

image