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ये है सरिता कश्यप...
पिछले 20 साल से #अकेली_महिला (सिंगल मदर) है, एक बेटी है जो कालेज में पढ़ती है! घर खर्चे के लिए पीड़ागढ़ी मे सीएनजीपंप के पास अपने स्कूटी पर राजमाचावल का स्टाल लगाती हैं!
रेट ;: छोटा प्लेट 40 रुपये, फुल प्लेट 60 रुपये
अगर आपके पास पैसे नहीं है तो भी आपको ये भूखा नहीं जाने देंगी ,"खाना खा लो ,पैसे जब हो तब दे जाना , या मत देना " ये कहकर आपको खिला देगी, ये अपने पास के गरीब बच्चों को मुफ्त मे खिलाती है और उनके स्कुल के कापी,किताब ,ड्रेस ,जुते यानी कुछ भी कम हो तो खरीद कर देती हैं , और हां....खाली समय मे बच्चों को पढ़ाती भी हैं!
क्या इस महिला को किसी भी चैनल ने हाईलाइट किया ? नही...
क्योकि इस महिला की खबर में कोई ग्लैमर नही है....
खैर इस महिला को इस नेक काम के लिये धन्यवाद और ये दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करें, यही कामना है ! 🙏

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देख लो बाज़ार की बर्फ के हाल 🥺

बाज़ार की ठंडी चीज़ें कृपया सोच समझकर इस्तमाल करें 🙏
जनहित में जारी 🙏🙏🙏

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क्या आप जानते हैं कि आज़ादी के केवल एक साल के अंदर ही भारत ने अपना पहला जहाज़ बनाकर पानी में उतारा था! यह जहाज़ भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी शिपयार्ड कंपनी हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (तब सिंधिया स्टीम नेविगेशन) द्वारा विशाखापत्तनम में 'एस एस जल उषा' प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया था।
पूरी तरह से स्वदेशी यह 8000 टन की एक स्टीमशिप थी, जिसे 15 मार्च, 1948 के दिन लांच किया गया। इसी के साथ जल उषा ने समुद्र में उतरने वाला भारत का पहला स्वनिर्मित जहाज़ बनकर देश के इतिहास की टोपी में एक और पंख जड़ दिया।

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