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उत्तर प्रदेश बरेली जिला के गंज गांव में वर पक्ष की मांगो से आश्चर्यचकित हुआ वधु परिवार,
विवाह पूर्व एक लड़के की अनोखी मांगों से लड़की वाले हैरान हैं
☆लड़के की मांगों की चर्चा पूरे शहर में हो रही है।
☆यह मांगें दहेज को लेकर नहीं बल्कि विवाह संपन्न कराने के तरीके और अनुचित परंपराओं को लेकर हैं !!
मांगें इस प्रकार से हैं::
01 कोई प्री वैडिंग शूट नहीं होगा.
02 🌹 दुल्हन शादी में लहंगे की बजाय साड़ी पहनेगी.
03 🌹 मैरिज लॉन में ऊलजुलूल अश्लील कानफोड़ू संगीत की बजाय, हल्का इंस्ट्रूमेंटल संगीत बजेगा.
04🌹 वरमाला के समय केवल दूल्हा दुल्हन ही स्टेज पर रहेंगे.
05🌹 वरमाला के समय दूल्हे या दुल्हन को.. उठाकर उचकाने वालों को विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा.
06🌹 पंडितजी द्वारा विवाह प्रक्रिया शुरू कर देने के बाद कोई ,उन्हें रोके टोकेगा नहीं.
07🌹 कैमरामैन फेरों आदि के चित्र दूर से लेगा न कि बार बार पंडितजी को टोक कर..!
ये देवताओं का आह्वान करके उनके साक्ष्य में किया जा रहा विवाह समारोह है.. ना की किसी फिल्म की शूटिंग.
08🌹 दूल्हा दुल्हन द्वारा कैमरामैन के कहने पर उल्टे सीधे पोज नहीं बनाये जायेंगे.
09🌹विवाह समारोह दिन में हो और शाम तक विदाई संपन्न हो। जिससे किसी भी मेहमान को रात 12 से 1 बजे खाना खाने से होने वाली समस्या जैसे अनिद्रा, एसिडिटी आदि से परेशान ना होना पड़े।
इसके अतिरिक्त मेहमानों को अपने घर पहुंचने में मध्य रात्रि तक का समय ना लगे और असुविधा ना हो।
10🌹नवविवाहित को सबके सामने.. आलिंगन के लिए कहने वाले को तुरंत विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा.
11. विवाह में किसी प्रकार का मांस मदिरा वर्जित होगा, विवाह में देवी देवताओं का आवाह्न किया जाता है, मांस मदिरा देखकर देवी देवता रूष्ट होकर , दुल्ले दुल्हन को बिना आशीर्वाद दिए चले जाते हैं।
🌹ज्ञात हुआ है लड़की वालों ने लड़के की सभी मांगे सहर्ष मान ली है..!!
समाज सुधार करने के लिए सुंदर सुझाव.! सभी के लिए अनुकरणीय..!!
🙏🏻शादी एक पवित्र बंधन है.. मर्यादाओं मे रहे ..🙏🏻अपनी पुरानी परंपरा ही ठीक है.....दिखावे से बचे।💐!!
नोट = लगभग इसी तरह हमारा भी विवाह संपन्न हुआ था 🙏🏻

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आप सभी के प्यार और आशीर्वाद से आप सभी मित्रों को यह बताते हुए अति प्रसन्नता हो रही है कि आज मेरी बेटी समृद्धि बिष्ट ग्राम लेकुली पोस्ट ऑफिस किलबौखाल ब्लाक रिखणिखाल तहसील लैंसडाउन जिल्ला पौड़ी गढ़वाल उत्तराखण्ड का चयन चंडीगढ़ की अंडर 15 महिला क्रिकेट टीम में हुआ
आप सभी का आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा हमेशा इसी तरह बना रहे

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उत्तराखंड में स्वरोजगार को प्रत्मिकता देते हुए।
चलो मालू - सालू रिवाज को रोज़गार बनाते है
चलो प्लास्टिक थर्माकोल छोड़ मालू - सालू अपनाते है ।।
भागो नही जागो...
चलो कुछ नया करते है। मालू सालू के पत्तों का प्रयोग करते है। पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है और खुद के स्वास्थ्य का ख्याल भी रख सकते है।
यह प्रयोग हम ने इस वजह से किया है कि अगर प्लास्टिक व थर्माकोल के पत्तल दोनों का हम प्रयोग करते है तो प्लास्टिक व कैमिकल के गुण हमारे शरीर में चले जाते है। जिस ने अनेकों बीमारियों का जन्म होता है। अगर हमारे जूठन जानवर खाते है तो उन के पेट में प्लास्टिक व थर्माकोल चला जाता है जिस की वजह से हर साल अनेकों पालतू जानवर अपनी जान गंवा देते है। वनस्पतियों से बने उपकारों से न हमारे स्वास्थ्य को नुकसान होगा न किसी पालतू जानवर की जान जाएगी। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में पतझड़ के बाद जंगलों में पेड़ों प पत्ते झड़ जाते है कुछ महीनों बाद ग्रीष्म ऋतु में हरवर्ष जंगलों में आग लग जाती है जिस की वजह से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। हम सभी पत्तों का स्तेमाल तो नही कर सकते है मगर जितना हो सके कोशिस कर रहे है कि पत्तों का स्तेमाल दोने पत्तल बनाने के लिए करे और रोज़गार के रूप में कर सकते है। ग्रामीण क्षेत्र में सब से बड़ी बिडम्बना रोज़गार की है अगर आमदनी हो जाये तो शिक्षा स्वास्थ्य व अनेकों मूलभूत सुविधाओं का जुड़ना सुरु हो जाएगा। बस यही हमारा लक्ष्य है कि हर किसी का अपना रोज़गार हो हर कोई स्वलम्बी बने....
यह यूनिट जुई गाँव रिखणीखाल जिला पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में लगी है खुद का कार्य करने के लिए आप हम से नीचे दिए नम्बर पर सम्पर्क कर सकते है,,,आप हम से पत्तल दोने भी खरीद सकते है...आपका स्वरोज़गार लगाने में हम आप की मदद करेंगे और आप के बने समान को खरीदने के लिए हम वचनबद्ध है....आप को हर प्रकार की मदद व आप के रोजगार को स्टेबल करना हमारा दायित्व है....

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उत्तराखंड में स्वरोजगार को प्रत्मिकता देते हुए।
चलो मालू - सालू रिवाज को रोज़गार बनाते है
चलो प्लास्टिक थर्माकोल छोड़ मालू - सालू अपनाते है ।।
भागो नही जागो...
चलो कुछ नया करते है। मालू सालू के पत्तों का प्रयोग करते है। पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है और खुद के स्वास्थ्य का ख्याल भी रख सकते है।
यह प्रयोग हम ने इस वजह से किया है कि अगर प्लास्टिक व थर्माकोल के पत्तल दोनों का हम प्रयोग करते है तो प्लास्टिक व कैमिकल के गुण हमारे शरीर में चले जाते है। जिस ने अनेकों बीमारियों का जन्म होता है। अगर हमारे जूठन जानवर खाते है तो उन के पेट में प्लास्टिक व थर्माकोल चला जाता है जिस की वजह से हर साल अनेकों पालतू जानवर अपनी जान गंवा देते है। वनस्पतियों से बने उपकारों से न हमारे स्वास्थ्य को नुकसान होगा न किसी पालतू जानवर की जान जाएगी। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में पतझड़ के बाद जंगलों में पेड़ों प पत्ते झड़ जाते है कुछ महीनों बाद ग्रीष्म ऋतु में हरवर्ष जंगलों में आग लग जाती है जिस की वजह से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। हम सभी पत्तों का स्तेमाल तो नही कर सकते है मगर जितना हो सके कोशिस कर रहे है कि पत्तों का स्तेमाल दोने पत्तल बनाने के लिए करे और रोज़गार के रूप में कर सकते है। ग्रामीण क्षेत्र में सब से बड़ी बिडम्बना रोज़गार की है अगर आमदनी हो जाये तो शिक्षा स्वास्थ्य व अनेकों मूलभूत सुविधाओं का जुड़ना सुरु हो जाएगा। बस यही हमारा लक्ष्य है कि हर किसी का अपना रोज़गार हो हर कोई स्वलम्बी बने....
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उत्तराखंड में स्वरोजगार को प्रत्मिकता देते हुए।
चलो मालू - सालू रिवाज को रोज़गार बनाते है
चलो प्लास्टिक थर्माकोल छोड़ मालू - सालू अपनाते है ।।
भागो नही जागो...
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