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क्या होता अगर मै रुक जाती?
अगर कोई मेरी काबिलियत पे शक करता है
तो मैं क्या यूहीं झुक जाती?
अगर एहसास नहीं होता मुझे अपनी खूबियों का तो क्या कभी आगे बढ़ भी पाती?
चलो माना की तारीफों से हौसला बढ़ता है
पर अगर कोई साथ नहीं दे
तो क्या कोई अकेले अपने लिए लड़ता है?
ये सावल सिर्फ मेरा ही नहीं सबका होना चाहिए खुद से यहां तारीफ़ करने वाले तो लाखो ही मिल जाएंगे पर तलाश करो तो उसकी जो आपकी बुरिए भी बताएं सिर्फ दिखावा ही नहीं
बल्कि सच को जताए
लोग तो यह आईना बनके तुम्हारी खुबसूती दिखाएंगे पर कभी खुद से पूछना की अगर वहीं कांच टूटकर तुम्हारे पैरों में चुभा
तो क्या वो तुम्हें बचाएंगे
Madam ji की कलम से ✍️