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'मुसलमान हिंसक होता है।'
'मुसलमान नफरत फैलाता है।'
'मुसलमान आतंकवाद फैलाता है।'
'ये मैंने अजमल कसाब के लिए कहा है, सभी मुसलमानों को नहीं कहा है।'
क्या राहुल गांधी ऐसा बयान संसद में दे सकते हैं ?
अगर नहीं तो पार्टी पर हमला करने की आड़ में "हिन्दू" को क्यों बीच में लाए राहुल गांधी।
(नोट : ऊपर की पंक्तियां उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत की गई हैं। पाञ्चजन्य किसी पंथ-मजहब को हिंसा से जोड़ने का समर्थन नहीं करता है)
इंदिरा और राजीव के काल में मारे गये मुसलमानों की लिस्ट देखिये :
1980 मुरादाबाद –
400 लोग मारे गये, ईद के दिन नमाज़ पढ़ रहे मुसलमानों पर फायरिंग की गई, दर्जनों मुसलमान उसी वक्त मारे गये... तब यूपी के मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के वी.पी. सिंह...
1981 बिहार शरीफ –
45 लोग मारे गये... मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के जगन्नाथ मिश्र
1983 नीली, असम –
2191 लोग मारे गये... ज्यादातर बंग्लादेशी मुसलमान... राज्य में राष्ट्रपति शासन था, केंद्र में कांग्रेस की इंदिरा सरकार थी
1984 भिवंडी, मुंबई –
278 लोग मारे गये... मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के वसंत दादा पाटिल
1985 अहमदाबाद –
275 लोग मारे गये... मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के माधव सिंह सोलंकी... जी हां, तब गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी नहीं थे
1987 मेरठ –
346 लोग मारे गये, जिसमें हाशिमपुरा कांड में 42 मुसलमान मारे गये थे... मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के वीर बहादुर सिंह...
1989 भागलपुर, बिहार –
900 से ज्यादा मारे गये... ज्यादातर मुसलमान... मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के सत्येंद्र नारायण सिन्हा