Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
🌹 🌷 ।। श्री ।। 🌷 🌹
जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ३७०, बालकाण्ड दोहा ७९/५-८, पार्वती ने सप्तर्षि से कहा।
सत्य कहेहु गिरिभव तनु एहा।
हठ न छूट छूटै बरु देहा।।
कनकउ पुनि पाषान ते होई।
जारेहुॅं सहजु न परिहर सोई।।
नारद बचन न मैं परिहरऊॅं।
बसउ भवनु उजरउ नहिं डरऊॅं।।
गुरु के बचन प्रतीति न जेही।
सपनेहुॅं सुगम न सुख सिधि तेही।।
भावार्थ:- पार्वती जी सप्तर्षि से कह रही है, आपने यह सत्य ही कहा कि मेरा यह शरीर पर्वत से उत्पन्न हुआ है। इसलिये हठ नही छूटेगा, शरीर भले ही छूट जाय। सोना भी पत्थर से ही उत्पन्न होता है, सो वह जलाये जाने पर भी अपने स्वभाव को नहीं छोड़ता। अतः मैं नारदजी के वचनों को नही छोडुंगी; चाहे घर बसे या उजड़े, इससे में नहीं डरती। जिसको गुरु के वचनों में विश्वास नहीं है, उसको सुख और सिद्धि स्वप्न में भी सुगम नही है।
🌹🙏🏽🌹🙏🏽🌹🙏🏽🌹