ओवैसी का बड़ा बयान !

"बाबरी मस्जिद गिराई गयी तो कांग्रेस ने वहां मस्जिद बनाने का संकल्प लिया।

ये कांग्रेस का संकल्प है, ये संकल्प कांग्रेस ने तब लिया था जब बाबरी मस्जिद गिराई गयी थी।"

मुंबई में फिर गरमाया बकरा काटने का मुद्दा...

सोसायटी में बकरा काटने की तैयारी में थे जिहादी...

जिहादियों ने हिंदुओं को दी जान से मारने की धमकी...

#bakrid #mumbai #maharashtra

🚨NIA in Action 🔥🔥

जलील मियां हर महीने 200 रोहिंग्याओं की तस्करी कर रहा था और उन्हें 14 राज्यों में अवैध रूप से शरण दिला रहा था।

अवैध घुसपैठिए को में छिपने के लिए स्थानीय भाषा और संस्कृति का प्रशिक्षण भी बाकायदा दिया गया था l

गर्व है।

चाँदनी चौक,पुरानी दिल्ली में बक़रीद में बकरों की क़ुर्बानी देने से पहले ही अपनी जेब से 11 लाख रुपये देकर 100 से ज्यादों बकरों को जैन समाज ने कटने से बचा लिया।

2047 तक भारत को इस्लामिक देश बनाने की थी तैयारी..?
मुंबई हाई कोर्ट,,ने भी इस बात को माना!

बंटवारे के समय इसी काम को अंजाम देने के लिए लेहरू ,गांधी ने इन कुछ सपोलों को यहां रख लिया था!!

*अगर मदरसो मे ऐसी नफरती शिक्षा दी जाती है*

*तो सरकार को तत्काल प्रभाव से तुरंत मदरसा शिक्षा पद्धति बन्द करनी चाहिये*

*और हमारे टैक्स के पैसो को देश और संस्कृति विरोधी ताकतो को ना देकर*

*देश हित और विकाश में लगाना चाहिए*

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क्या आप जानते हैं कि IRCTC आपको सीट चुनने की अनुमति क्यों नहीं देता है? क्या आप विश्वास करेंगे कि इसके पीछे का तकनीकी कारण PHYSICS है।
ट्रेन में सीट बुक करना किसी थिएटर में सीट बुक करने से कहीं अधिक अलग है।
थिएटर एक हॉल है, जबकि ट्रेन एक चलती हुई वस्तु है। इसलिए ट्रेनों में सुरक्षा की चिंता बहुत अधिक है।
भारतीय रेलवे टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह टिकट इस तरह से बुक करेगा जिससे ट्रेन में समान रूप से लोड वितरित किया जा सके।
मैं चीजों को और स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण लेता हूं: कल्पना कीजिए कि S1, S2 S3... S10 नंबर वाली ट्रेन में स्लीपर क्लास के कोच हैं और प्रत्येक कोच में 72 सीटें हैं।
#train #rail #आपकी #बात
इसलिए जब कोई पहली बार टिकट बुक करता है, तो सॉफ्टवेयर मध्य कोच में एक सीट आवंटित करेगा जैसे कि S5, बीच की सीट 30-40 के बीच की संख्या, और अधिमानतः निचली बर्थ (रेलवे पहले ऊपरी वाले की तुलना में निचली बर्थ को भरता है ताकि कम गुरुत्वाकर्षण केंद्र प्राप्त किया जा सके)
और सॉफ्टवेयर इस तरह से सीटें बुक करता है कि सभी कोचों में एक समान यात्री वितरण हो और सीटें बीच की सीटों (36) से शुरू होकर गेट के पास की सीटों तक यानी 1-2 या 71-72 से निचली बर्थ से ऊपरी तक भरी जाती हैं।
रेलवे बस एक उचित संतुलन सुनिश्चित करना चाहता है कि प्रत्येक कोच में समान भार वितरण के लिए होना चाहिए।
इसीलिए जब आप आखिरी में टिकट बुक करते हैं, तो आपको हमेशा एक ऊपरी बर्थ और एक सीट लगभग 2-3 या 70 के आसपास आवंटित की जाती है, सिवाय इसके कि जब आप किसी ऐसे व्यक्ति की सीट नहीं ले रहे हों जिसने अपनी सीट रद्द कर दी हो।
क्या होगा अगर रेलवे बेतरतीब ढंग से टिकट बुक करता है? ट्रेन एक चलती हुई वस्तु है जो रेल पर लगभग 100 किमी / घंटा की गति से चलती है।
इसलिए ट्रेन में बहुत सारे बल और यांत्रिकी काम कर रहे हैं।
जरा सोचिए अगर S1, S2, S3 पूरी तरह से भरे हुए हैं और S5, S6 पूरी तरह से खाली हैं और अन्य आंशिक रूप से भरे हुए हैं। जब ट्रेन एक मोड़ लेती है, तो कुछ डिब्बे अधिकतम अपकेंद्र बल (centrifugal force) का सामना करते हैं और कुछ न्यूनतम, और इससे ट्रेन के पटरी से उतरने की संभावना अधिक होती है।
यह एक बहुत ही तकनीकी पहलू है, और जब ब्रेक लगाए जाते हैं तो कोच के वजन में भारी अंतर के कारण प्रत्येक कोच में अलग-अलग ब्रेकिंग फोर्स काम करती हैं, इसलिए ट्रेन की स्थिरता फिर से एक मुद्दा बन जाती है।
मुझे लगा कि यह एक अच्छी जानकारी साझा करने लायक है, क्योंकि अक्सर यात्री रेलवे को उन्हें आवंटित असुविधाजनक सीटों/बर्थों का हवाला देते हुए दोष देते हैं।

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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली से मिलकर खिले कनाडाई क्रिकेटर्स के चेहरे ❤️

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टीम छोटी है लेकिन दिल बहुत बड़ा है, कनाडा की टीम ने अपनी टीम की जर्सी पर सिग्नेचर कर राहुल द्रविड़ को गिफ्ट की ❤️

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