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जय जय श्री राम 🚩

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वास्तव में विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस मनाने की सार्थकता तब होगी जब हम उन्हें परिवार में सम्मान के साथ-साथ उन्हें अपने तरीके से जीवन जीने के लिए प्रेरित करेंगें। आप सभी प्रार्थना अपने बुजुर्गों का सम्मान करें।

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वैसे तो मैं इस ग्राफ का उपयोग गणित में नार्मल कर्व पढ़ाने के लिए करता हूँ पर आज इसका उपयोग केजरीवाल की राजनीतिक यात्रा समझाने के लिए कर रहा हूँ ।

बंदा राजनीति में जिस तेजी से ऊपर चढ़ा उसी तीव्रता नीचे गिर गया ।

जिस तेजी से ईमानदार की छवि बनाई उसी तेजी से भ्रष्टाचारी की छवि बना ली ।

जिस तेजी से CM बना उसी तेजी से तिहाड़ी बना ।

बेचारा शीशमहल का सुख भी नही भोग पाया ।

वो अपने को क्रांतिकारी बताते हैं । क्रांति राजनीति की उम्र बहुत लंबी नही होती ।

अभी उनकी राजनीति का ढ़लान चल रहा है और अगले 5 साल ढ़लान की यात्रा चलती रहेगी । उसके बाद मायावती जी की तरह उनकी राजनीतिक यात्रा लगभग विलुप्त हो जाएगी ।

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Health Advice की पोस्ट :
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
"सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़"
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है??
आइये, आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है — एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt" सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है।
पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ हैं सुरंगे हैं। वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है।
यह हृदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन में मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है। इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकलें। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करें, क्यूँकि ये प्रकृति का बनाया है।
भारत में 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था! विदेशी कंपनियाँ भारत में नमक के व्यापार में आज़ादी के पहले से उतरी हुई हैं, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा, कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई। और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था... उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनियाँ के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया — अमेरिका में नहीं है, जर्मनी मे नहीं है, फ्रांस में नहीं, डेन्मार्क में नहीं, डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता। वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline).... क्षारीय चीज जब अम्ल मे मिलती है तो वो न्यूट्रल हो जाता है और रक्त अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते हैं। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बड़ा जोखिम होता है। सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।

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मंगल कसेरा जी की वॉल पर Mann Jee की पोस्ट :
ऐतिहासिक अपानवायु
(मेरे शब्दों में अलीफ़ लैला की एक कहानी)
यमन के कौक़बान शहर में अबू हसन नामक एक अमीर रण्डुआ सौदागर रहता था। भरी जवानी में अबू की बेगम फ़ौत हो गई थी- लिहाज़ा अबू हसन विधुर का जीवन व्यतीत कर रहा था। दौलत अच्छी ख़ासी थी- और बद्दू जाती के इस आदमी की तो ख़ैर माशा अल्लाह जवानी अभी ठंडी ना पड़ी थी। अबू को एक अदद बेगम की दरकार थी। इसके चलते अबू ने यमन की अनेक कुटनियों, बुढ़िया खूसटो को खिला पिला अपने पक्ष में कर लिया था। नतीजन एक कुटनी ने उसका निकाह एक कमसिन नाज़नीं से तय करवाया। निकाह वाले दिन अबू हसन ने एक बड़ी दावत दी।
निकाह के वलीमा में अबू हसन ने शहर के तमाम फ़क़ीर, उलेमा, दोस्त, दुश्मन, रिश्तेदार, ससुरालियो आदि को बुलाया। खाने में पाँच प्रकार के पुलाव, दस प्रकार के शरबत, मेवा से भरे भुने हुए अनेक दुंबे और एक पूर्ण भुना हुआ ऊँट परोसा गया। मनोरंजन के लिए भांड नकलची वेश्या आदि भी बुलाई गई। सबने खूब खाया पिया, खुशगप्पियाँ उड़ाई और आनंद मनाया। अबू हसन ने भी खूब डट कर भोजन किया।
निकाह की रस्म हेतु जब क़ाज़ी ने अबू को दुल्हन के निकट बुलाया तो शहर के समस्त बड़े लोग हस्तियाँ काजी के पास आ गये। क़ाज़ी ने अबू से पूछा- क़ुबूल है?
इस से पहले अबू “क़ुबूल है “कह पाता, खाये पिये अगहाये अबू ने एक अपनी तशरीफ़ से बमविस्फोट किया- एक लंबवायु कर्णफड़क अपानवायु छोड़ दिया- गैस पास कर दी। इस अपानवायु का स्वर सब ने सुना, इसकी बू सबने सूँघी। सब मेहमानों में कानाफूसी और खिलखिला कर हँसना शुरू हो गया। शर्मसार अबू हसन अपना मुँह छिपाए वहाँ से भाग निकला। एक गधे पर सवार हो अबू ने शहर के बाहर का रास्ता लिया और लहेज़ शहर जा पहुँचा जहां हिंदुस्तान के मालाबार जाने के लिए एक पानी का जहाज़ तैयार था। अबू उस जहाज़ में सवार हो हिंदुस्तान जा पहुँचा और वहाँ के काफिर बादशाह की ख़िदमत में लग गया।
इस काफिर बादशाह का वो दस बरस मुलाजिम रहा- बड़ी जतन से अबू हसन ने बादशाह की सेवा की। बादशाह का वो प्रिय मुसाहिब भी बन गया किंतु इन दस बरस में अबू को लगातार अपने वतन यमन की याद सताती रही। फिर एक दिन अबू ने फिर पानी का जहाज़ पकड़ा और वापस अपने शहर जाने का ख़्याल बनाया।
यमन के बंदरगाह पहुँच अबू ने एक फ़क़ीर, दरवेश का रूप धारण किया। वो अपने शहर में पहचाना नहीं जाना चाहता था। अबू ने सोचा यदि उसके शहर वाले उसके अपानवायु वाले कांड को भूल गए होंगे तो वो अपनी बेगम और अपने घर जाएगा अन्यथा नहीं। दरवेश के रूप में अबू अपने शहर में घुसा और बाहर बनी एक झोपड़ी के पास बैठ सुस्ताने लगा। झोपड़ी में एक दस साल की लड़की अपनी अम्मी से बात कर रही थी।
लड़की- अम्मी जान, मेरा जन्म किस साल हुआ था? अगर आप बता देंगी तो नजूमी मेरा भविष्य बाँच देगा।
अम्मी- अरी लड़की, तेरा जन्म उस बरस हुआ था जिस बरस अबू हसन ने अपने वलीमा में वो ऐतिहासिक विस्फोट किया था।
ये सुन अबू हसन के होश फ़ाख्ता हो गए- अबू बुदबुदाया- लाहोल विला, ये स्याले शहर वाले तो मेरे अपानवायु को तारीख़ बना कर याद रखें हुए है।
ये बोल अबू ने वहाँ से दुड़की लगाई और पानी के जहाज़ में बैठ वापस हिंदुस्तान की राह ली और अपना शेष जीवन काफिर बादशाह की ख़िदमत में लगाया। कम से कम हिंदुस्तान में अबू हसन को एक पदोडे के रूप में तो कोई ना जानता था।
नोट-कहानी रिचर्ड बर्टन की एक हज़ार एक अरबियन नाइट्स अर्थात् अलीफ़ लैला से ली गई है!

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Jai Bholenath 🙏🙏🙏🙏🙏

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