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सावधान कहीं आपका कोई चिराग रेल हादसे में न बुझ जाये क्यूंकि देश के जिम्मेदार नागरिक अपना जिहादी सहयोग कर रहे हैं, ये वही हैं जो, सभी का खून शामिल है का स्लोगन गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाते रहते हैं... इनकी असली देशभक्ति यही है.. विरोध करिये, लोगों को बताइये देश की शांतिप्रिय कौम किस तरह आपके अपनों की दुश्मन है और ये कभी नहीं सुधरेंगे.... #रेल_जिहाद #कालिंदी_एक्सप्रेस

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Having the right card means being not only more employable but also contributing to promoting a safer, efficient environment in the construction industry. So, what is holding you back? Make all the correct moves now to get your CSCS card and unlock newer opportunities in the field of construction.
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CSCS Card: How to Get Your CSCS Card - The Ultimate Guide to Unlock Your Construction Career
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जय माता दी

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*शेर दहाड़ते रह गये, भेड़िए जंगल पर कब्जा बनाकर बैठ चुके हैं!*
*हिन्दू एक मरती हुई नस्ल*
*Hindu, a dying race*
साल 1914 में *यूएन मुखर्जी साहब* ने एक छोटी सी पुस्तक लिखी, नाम था...
*"हिन्दू - एक मरती हुई नस्ल'"*
सोचिए 108 साल पहले उन्हें पता था !
1911 की जनगणना को देखकर ही, 1914 में मुखर्जी ने पाकिस्तान बनने की भविष्यवाणी कर दी थी।
उस समय संघ नहीं था,
सावरकर नहीं थे,
हिन्दू महासभा नहीं थी।
तब भी मुखर्जी ने वो देख लिया, जो पिछले 100 सालों में एक दर्जन नरसंहार और एक तिहाई भूमि से हिन्दू विलुप्त करा देने के बाद भी, राजनैतिक विचारधारा वाले सेक्युलर हिन्दू नहीं देख पा रहे हैं ।
*इस किताब के छपते ही सुप्तावस्था से कुछ हिन्दू जगे। अगले साल 1915 में पं मदन मोहन मालवीय जी के नेतृत्व में हिन्दू महासभा का गठन हुआ। आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन शुरू किया जो एक मुस्लिम द्वारा स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के साथ समाप्त हो गया।*
*फिर 1925 में हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से संघ बना।*
लेकिन ये सारे मिलकर भी वो नहीं रोक पाए जो *यूएन मुखर्जी* ने 1915 में ही देख लिया था।
गांधीवादी अहिंसा ने इस्लामिक कट्टरवाद के साथ मिलकर मानव इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार को जन्म दिया और काबुल से लेकर ढाका तक हिन्दू शरीयत के राज में समाप्त हो गए ।
*जो बची भूमि हिन्दुओं को मिली वो हिन्दुओं के लिए मॉडर्न संविधान के आधार पर थी*
और
*मुसलमानों के लिए*
*शरीयत की छूट*
*धर्मांतरण की छूट*
*चार शादी की छूट*
*अलग पर्सनल लॉ की छूट*
*हिन्दू तीर्थों पर कब्जे की छूट*
सब कुछ स्टैंड बाय में है।
*जहां हिन्दू एक बच्चे पर आ गए हैं। वहां आज भी आबादी बढ़ाना शरीयत है।*
जो लोग इसे केवल राजनीति समझते हैं, उन्हें एक बार इस स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाना चाहिए 2015 में 1915 से क्या बदला है?
आज भी साल के अंत में वो अपना नफा गिनते हैं, हम अपना नुकसान।
हमें आज भी अपने भविष्य के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है।
आज भी संयुक्त इस्लामिक जगत हम पर दबाव बनाए हुए हैं कि हम, अपने तीर्थों पर कब्जा सहन करें, लेकिन उपहास और अपमान की स्थिति में उसी भाषा में पलटकर जवाब भी न दें।
मराठों ने बीच में आकर 100-200 साल के लिए स्थिति को रोक दिया, जिससे हमें थोड़ा और समय मिल गया है। लेकिन ये संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।
अपने बच्चों को देखिए, आप उन्हें कैसा भविष्य देना चाहते हैं ? मरती हुई हिन्दू नस्ल जैसा कि 1915 में यूएन मुखर्जी लिख गए थे?
*इसीलिए अपने समय का, अपनी कमाई का एक हिस्सा, बिना किसी स्वार्थ के, हिन्दू जनजागरण में लगाइये, अगर ये कोई भी दूसरा नहीं कर रहा, तो खुद करिए।*
नहीं तो.... आपके बच्चे अरबी मानसिकता के गुलाम, चौथी बीवी या फिदायन हमलावर बनेंगे और इसके लिए सिर्फ आप जिम्मेदार होंगे।
Hindu dying race नहीं है, हम सनातन हैं।
और ये आखिरी सदी है। जब हम लड़ सकते हैं। इसके बाद हमारे पास भागने के लिए कोई जगह नहीं है।
*बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए........*
*एक हिन्दू महिला (नुपुर शर्मा ) के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं, जान से मारने के फतवे दे रहे हैं, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं। और ये हाल तब है। जब ये मात्र 25% है।*
*गम्भीरता से सोचिए......*
आपके सामने आपकी महिला को, कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं। पोस्टर चिपका रहे हैं। जहां आप बाहुल्य समाज हैं।
उनका दुस्साहस देखिए, आपके इलाके में जाकर आपकी महिला के विरुद्ध प्रदर्शन में, आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नही माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया l
ये हाल तब है, जब वे 20 दिनों से लगातार फव्वारा चिल्ला रहे हैं।
यहां मसला केवल एक महिला का नही, बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है, जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है।
समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है, वरना देश जंगलराज हो जाएगा।
*इसे यही रोकिये, हल्के में मत लीजिए।*
मानवता वाली भूमि को, रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए....
आप घिर चुके हैं.......
ठीक उसी प्रकार जैसे...
शतरंज में राजा को प्यादे,
जंगल मे शेर को भेड़िए,
और चक्रव्यूह में अभिमन्यु.......
शरजील इमाम ने "चिकेन नेक" की बात की थी, क्या आप जानते हैं हर शहर का एक चिकन नेक होता है! हर बाजार का एक चिकेन नेक होता है और सभी चिकन नेक पर उनका कब्जा हो चुका है।
आप अपने शहर के मार्केट में निकल जाइए, अपना लैपटाप बनवाने, मोबाईल बनवाने या कपड़े सिलवाने l आप को अंदाजा नही है कि चुपचाप "बिजनेस जिहाद" कितना हावी हो चुका है ।
गुजरात का जामनगर हो,
लखनऊ का हजरतगंज,

सुबह एक भगव

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