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🌹 🌷 ।। श्री ।। 🌷 🌹
जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ३६०, बालकाण्ड दोहा ७६/१-४, शिवजी कि स्विकृती।
कहि सिव जदपि उचित अस नाहीं।
नाथ बचन पुनि मेटि न जाहीं।।
सिर धरि आयुस करिअ तुम्हारा।
परम धरम यह नाथ हमारा।।
मात पिता गुरु प्रभु के बानी।
बिनहिं बिचार करिअ सुभ जानी।।
तुम्ह सब भांति परम हितकारी।
अग्या सिर पर नाथ तुम्हारी।।
भावार्थ:- श्रीराम जी के कहने पर शिवजी ने कहा - यद्यपि ऐसा उचित नहीं है, परन्तु स्वामी की बात भी मेटी नहीं जा सकती है। हे नाथ! यही परम धर्म है कि मैं आपकी आज्ञा को सिर पर रखकर उसका पालन करूॅं। माता, पिता, गुरु और स्वामी की बात को बिना ही विचारे शुभ समझकर मानना चाहिए। फिर आप तो सब प्रकार से मेरे परम हितकारी हैं। हे - नाथ! आपकी आज्ञा मेरे सिर पर हैं।
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