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नकारात्मक राजनीति करने वाले नकारे जा रहे
पूर्वी यूपी-बिहार के प्रति पिछली सरकारों का रवैया निराशाजनक रहा है। यहां से वोट लिए गए व राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पूरी की गई...
आज हम इसी इलाके में विकास की गंगा बहा रहे हैं...
पढ़े Hindustan में प्रकाशित आदरणीय प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी का साक्षात्कार...
मोहग्रस्त व्यक्ति को युद्ध भूमि में नहीं जाना चाहिये।
अर्जुन शांति का समर्थक होता तो भगवान रथ युद्धभूमि से लौटा लाते। वह मोहग्रस्त था तो गीता उपदेश देना पड़ा। जिसको मोह है उसकी पराजय निश्चित है।
पुत्र वियोग में आचार्य द्रोण युद्धभूमि में वैरागी बन गये। अभिमन्यु कि मृत्यु के बाद अर्जुन दुगुनी शक्ति से युद्ध किया। यह गीता उपदेश का ही प्रभाव है।।
यदि पृथ्वी पर कोई बड़ा परिवर्तन किसी कारण से आता है तो सबसे पहले आकर में जो जीव बड़े होते हैं। वह खत्म हो जाते है।
पिछले सौ वर्षों में मनुष्य द्वारा जंगल काट दिये गये। घास के मैदान पर शहर बस गये।
80 % जंगली जीव नष्ट हो गये। इस नष्ट होने में प्रमुख कारन बना कि उनके नवजात बच्चे नही बचे।
जो बचे है वह सरंक्षण के द्वारा ही बचे है। वह भी प्रदर्शन के लिये बचाये गये।
लेकिन एक जीव जो आकार में बहुत बड़ा था। वह अपना अस्तित्व बचा ले गया।
वह है हाथी।
इसका एक ही कारण है। हाथियों में पारिवारिक व्यवस्था बहुत प्रगाढ़ है। यहां तक कि हाथियों के बच्चों को उनकी मौसी, चाची पाल देती है।
किसी कारणवश माँ के न रहने पर भी हाथियों के बच्चे मरते नहीं है। हाथी सैदव समूह में रहते है। अमूनन उनका यह परिवार ही होता है। जिसमें माता पिता, चाची मौसी सभी होते है।
आज हमें लगता है कि एकांकी परिवार सुखमय होता है। लेकिन लोग यह समझते नही कि अकेलेपन से बड़ा कोई अभिशाप नहीं है।
आज्ञा देना और आज्ञा का पालन करना, बड़े सौभाग्य कि बात है। इसे बोझ भी समझा जा सकता है। लेकिन यह अस्तित्व के लिये खतरा है।
भगवान जब शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर गये तो उन्होंने धृतराष्ट्र से कहा-
हे राजन, आप भरत के वंशज है। आप धर्म, न्याय को समझते है। जो कुटुंब आपका बिखर रहा है। उसको रोकिये, जब कुटुंब ही नहीं होगा तो सारा सुख, वैभव धूल के समान है।।
Ravishankar Singh