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हे मां पार्वती और भक्तवत्सल भोले बाबा मैं बस यहीं समझा हु कि आपके अनुकूल हुए बिना राम जी कृपा नहीं करते, और जब राम जी कृपा करते है तो सभी दिशाएं अनुकूल, विष भी अमृत और शत्रु भी मित्र हो जाते है। भगवान की कथा कलयुग के पाप रुपी वृक्षों को काटने वाली कुल्हाड़ी है। जीवन के संसय रुपी पंछियों को उड़ाने के लिए हाथ की ताली के सामान है। मोह रूपी जो विशाल महिसाशुर है उसको वध करने के लिए मां काली के समान है।
मैथिली ठाकुर (जन्म 25 जुलाई 200 एक भारतीय पार्श्व गायिका हैं, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय और लोक संगीत में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने हिंदी, बंगाली, मैथिली, उर्दू, मराठी, भोजपुरी, पंजाबी, तमिल, अंग्रेजी और अन्य कई भाषाओं में मूल गीत, कवर और पारंपरिक लोक संगीत गाया है, जो उन्हें एक बहुभाषी गायिका के रूप में पहचान दिलाता है।
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🌡️ बढ़ता हुआ तापमान: हम क्या कर सकते हैं? 🌡️
भारत में तापमान आसमान छू रहा है, जिससे लू चल रही है और गर्मियां बहुत तेज हो गई हैं। ये समस्याएं मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग और 🪓 पेड़ों की कटाई के कारण पैदा हो रही हैं।
हम सब मिलकर कैसे काम कर सकते हैं? 🌍
🌳 पेड़ लगाएं:अपने घर, ऑफिस और आसपास हरियाली बढ़ाएं। हर पेड़ मायने रखता है!
🪴 पेड़ लगाना: हमारे शहरों को ठंडा रखता है, जलवायु परिवर्तन से लड़ता है!
🌿 पेड़ बहुत जरूरी छाया देते हैं, CO2 (एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस) को सोखते हैं, मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और जंगली जीवों को रहने का ठिकाना देते हैं।
आप वृक्षारोपण के बारे में जागरूकता बढ़ाने में कैसे मदद कर सकते हैं?
🌱 खुद एक पेड़ लगाएं!हर पेड़ मायने रखता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा।
👫 एक सामुदायिक वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित करें! अपने दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों को शामिल करें।
📢 जागरूकता फैलाएं! सोशल मीडिया और अपने समुदाय में पेड़ों के महत्व के बारे में जानकारी साझा करें।
🌍 पेड़ लगाने वाले संगठनों का समर्थन करें!
स्थानीय या राष्ट्रीय पहल खोजें जिनका आप समर्थन कर सकते हैं।
साथ मिलकर, आइए भारत को फिर से हरा-भरा बनाएं! 🇮🇳
⚡ ऊर्जा बचाएं:बिजली के बल्ब बंद रखें, कम बिजली खाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करें और AC का कम इस्तेमाल करें ❄️।
🚿 पानी बचाएं: कम शॉवर लें, टपकते नलों को ठीक करें और बारिश का पानी इकट्ठा करें। हर बूंद महत्वपूर्ण है!
🚶♀️🚴♂️ सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें: जब भी संभव हो पैदल चलें, साइकिल चलाएं या बस लें। अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करें।
🛒 स्थानीय और टिकाऊ उत्पाद चुनें: स्थानीय उत्पाद खरीदें और प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करें ♻️।
🥦 मांस का सेवन कम करें: मांस उत्पादन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में काफी योगदान देता है। अधिक बार पौधे आधारित भोजन चुनें।
📣 अपनी आवाज उठाएं:जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाएं, इस मुद्दे पर चर्चा करें और नीति निर्माताओं से कार्रवाई करने का आग्रह करें!
🌲🌳🌴🪴🍀☘️🏞️🏝️साथ मिलकर हम एक स्थायी भविष्य बना सकते हैं! 🌱
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मूर्ख महिलाओ की ओछी सोच…
1)पुरुष हमारी तरक्की से जलते है इसीलिए वो हमें आगे बढ़ता नहीं देख सकते
उत्तर–अगर पुरुष औरतो की तरक्की से जलते तो आज भी औरत घर में चूल्हा सुलगा रही होती,न की ऑफिस में कंप्यूटर चला रही होती औरत को हवाई जहाज हो या साइकिल चलाना,कंप्यूटर हो या कैलकुलेटर चलाना,तलवार हो या बन्दूक चलाना… सब मर्दों ने ही सिखाया है क्रिकेट का बैट पकड़ना और टेबल टेनिस हो या फुटबॉल खेलना या फिर शतरंग खेलना… सब कुछ पुरुषो ने सिखाया है…अगर पुरुष महिलाओ की तरक्की से जलते तो क्या आज महिलाये ये सभी कार्य कर पाती???
2) दहेज़ लेना पुरुष प्रधान समाज का सूचक है
उत्तर– जब कोई नयी दुल्हन घर पर आती है तो उसको देखने आस पास का महिला मंडल आता है फिर सास कहती है–कुछ भी दहेज़ नहीं लायी…तब दूसरी महिला कहती है–अरे मेरी बहु तो 5 लाख दहेज़ लेकर आई थी और एक किलो सोना भी…. उसके बाद बाक़ी औरते लंबी लंबी फेंकना शुरू करती है..अरे मेरी तो 10 लाख ..मेरी तो इतना उतना ..इत्यादि..
ससुर को बहु से कोई समस्या नहीं,पति को पत्नी से कोई समस्या नहीं लेकिन ननद को भाभी से,सास को बहु से और देवरानी को जेठानी से या जेठानी को देवरानी से इसी बात की समस्या है की दहेज़ में जो उनको साडी मिली वो सस्ती थी..घटिया क्वालिटी की…
अरे वाह… अब भी क्या पुरुष दहेज़ मांगते है?? पूरी दुनिया गुनाह करे और अंत में दोष पुरुष के ऊपर मढ़ दिया जाता है ईमानदारी से बताये ये औरते की “जब इनके भाई या बेटे की शादी हुयी और इनको लाखो के गहने दहेज़ में मिले तब क्या इन औरतो ने विरोध किया था?? और आज कितनी औरते विरोध करती है???
3)शादी के बाद लड़के तो माँ बाप की सुनते नहीं।
उत्तर– अगर शादी हो जाए और लड़का अगर माँ की सुने तो वो”माँ के पल्लू वाला” कहलाता है और अगर बीबी की सुने तो ” जोरू का गुलाम”
सच तो ये है की स्त्री की मानसिकता ये रहती है की हुकूमत तो सिर्फ मेरी चलनी चाहिए और इसी मानसिकता के साथ एक घर “नारी वर्चस्व” का कुरुक्षेत्र बन जाता है.. जहां उद्देश्य और कोई नहीं बल्कि अभागा लड़का होता है… जिसको हासिल करने के लिए या अपना गुलाम बनाने के लिए माँ और पत्नी रणक्षेत्र में कूद पड़ती है ।।
कई बार माँ की गलती होती है और बेटा माँ को समझाता है लेकिन माँ समझना ही नहीं चाहती।।बेटा सोचता है की अगर कुछ और दिन माँ के साथ रहा तो कही मेरी प्राणप्यारी आत्महत्या न कर ले ..कही मेरी माँ जेल न चली जाए..इसीलिए बेटा सभी की भलाई के लिए राम बनकर सीता को अपनी कैकेयी जैसी माँ से दूर कर देता है…तब समाज कहता है ” कितना पापी बेटा है,माँ को ही भूल गया”
और अगर पत्नी दुष्टा हो तब बेटा ये सोचता है की इसका त्याग कर देता हु..जैसे ही बेटा ये सोचता है वैसे ही पत्नी देवी 498a ठोंक देती है और पूरा परिवार अंदर..और अगर वो सभी की भलाई के लिए पत्नी को लेकर अलग हो जाए तो भी ऊँगली उसी पर उठेगी…
निष्कर्ष—मुर्ख औरतो की बातो को एक कान से सुनकर दुसरे कान से निकाल दो…क्योंकि उन बातो में न सिर होता है और न पैर….
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