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जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ३४५, बालकाण्ड दोहा ७१/१-४, हिमाचल का मैना जी को संदेश।
अब जौं तुम्हहि सुता पर नेहु।
तौंअस जाइ सिखावनु देहु।।
करै सो तपु जेहिं मिलहिं महेसू।
आन उपायॅं न मिटहि कलेसू।।
नारद बचन सगर्भ सहेतू।
सुंदर सब गुन निधि बृषकेतु।।
अस बिचारि तुम्ह तजहु असंका।
सबहि भाॅंति संकरु अकलंका।।
भावार्थ:- हिमाचल जी मैना से कह रहे हैं, अब यदि तुम्हें कन्या पर प्रेम है तो जाकर उसे यह शिक्षा दो कि वह ऐसा तप करे जिससे शिवजी मिल जायॅं। दूसरे उपाय से यह क्लेश नही मिटेगा। नारदजी के वचन रहस्य से युक्त और सकारण हैं और शिवजी समस्त सुन्दर गुणों के भण्डार हैं। यह विचार कर तुम मिथ्या संदेह को छोड़ दो। शिवजी सभी तरह से निष्कलंक है।
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