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हिन्दू मन्दिर, अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात...🙏🚩
मन्दिर की ऊँचायी ३२.९२ मीटर (१०८ फीट), लम्बायी ७९.८६ मीटर (२६२ फीट) और चौड़ाई ५४.८६ मीटर (१८० फीट) है।
मन्दिर का निर्माण २७ एकड़ भूमि पर दिसम्बर २०१९ में शुरू हुआ।
अबू मुरीखाह में स्थित है, जो दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल रहबा के पास है।
राजस्थान से गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी ले जाया गया ५० डिग्री सेल्सियस (१२२ डिग्री फ़ारेनहाइट) तक चिलचिलाती गर्मी के तापमान का सामना करने की क्षमता के लिये चुना गया था, नींव के कंक्रीट मिश्रण में फ्लायी ऐश का उपयोग किया गया था। यह सम्पूर्ण डिजिटल मॉडलिंग और भूकम्पीय सिमुलेशन से गुज़रने वाला पहला हिन्दू मन्दिर है।
पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा मन्दिर है इसमें १०,००० लोग आ सकते हैं। इसमें दो घुमट (गुम्बद), सात शिखर १२ सम्रान और ४०२ स्तम्भ।
यह मन्दिर कुशल कारीगरों द्वारा तराशे गये पत्थर के २५,००० से अधिक टुकड़ों से बना है।
प्रत्येक शिखर के भीतर रामायण, शिव पुराण, भागवत पुराण, महाभारत तथा पौराणिक कथाओं को चित्रण किया गया है।जगन्नाथ, स्वामिनारायण, वेंकटेश्वरा और अयप्पा के जीवन को चित्रित किया गया है। एक हिन्दू के जन्म से मृत्यु तक की प्रत्येक घटना को उकेरा गया है।
गुम्बद' पाँच प्राकृतिक तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अन्तरिक्ष को प्रदर्शित करता है। घोड़े और ऊँट की प्रत्येक नक्काशी बिना दोहराव के उकेरी गयी है। मन्दिर में कोई भी दो अलंकरण एक जैसा नहीं है, हर नक्काशी अद्वितीय है।
परिसर में एक आगंतुक केंद्र, प्रदर्शनियाँ, सीखने के क्षेत्र, बच्चों के लिये खेल क्षेत्र, विषयगत उद्यान, पानी की सुविधायें, फूड कोर्ट, पुस्तकें, उपहार की दुकान शामिल है, मन्दिर की नींव में १०० सेंसर हैं और भूकम्प गतिविधि, तापमान भिन्नता और दबाव परिवर्तन पर डेटा प्रदान करने के लिये पूरे मन्दिर में ३५० से अधिक सेंसर लगाये गये हैं।
यहाँ एक झरना है जो तीन पवित्र नदियों - गंगा, यमुना और सरस्वती के स्रोत का प्रतीक है। मन्दिर में स्वामिनारायण, अक्षर-पुरुषोत्तम, राधा-कृष्ण, राम-सीता, लक्ष्मण, हनुमान, शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, पद्मावती-वेंकटेश्वर, जगन्नाथ और अय्यप्पा की मूर्तियाँ हैं...!
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दुनिया का पहला हवाई जहाज बनाने वाला राइट ब्रदर्स नहीं बल्कि एक भारतीय था...🙏😎🛫😍
आपको बस यह पता है कि राइट ब्रदर्स ने अमेरिका के कैरोलीन तट पर 17 दिसम्बर सन् 1903 को यह कारनामा किया था, और उनका बनाया हवाई जहाज करीब 120 फीट की ऊँचायी तक उड़ कर गिर गया था। क्योंकि हमें यही पढ़ाया गया है लेकिन सच्चायी यह है कि एक भारतीय कई वर्षों पहले यह कारनामा कर चुका था। जिन्होंने सन् 1895 में बहुत बड़ा विमान बनाया था और उसे मुम्बई की चौपाटी के समुद्र तट पर उड़ाया था। यह हवाई जहाज 1500 फिट ऊपर उड़ा और तब नीचे आया था। इनका नाम “ शिवकर बापूजी तलपड़े" था ,जो मुम्बई के चिरा बाजार के रहने वाले थे और मुम्बई स्कूल ऑफ आर्ट्स के अध्यापक व वैदिक वैदिक विद्वान थे। उन्होंने महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखे विमान शास्त्र नामक पुस्तक पढ़कर ऐसा किया था, जिसके 8 अध्याय में विमान बनाने की तकनीक का वर्णन है।
इस विमान का नाम शिवकर बापूजी तलपड़े ने 'मरुत्सखा' रखा था जिसका अर्थ 'हवा का मित्र' होता है। इस घटना को बाल गंगाधार तिलक ने अपने पंजाब केसरी के सम्पादकीय में भी जगह दी थी, साथ ही इस मौके पर दो अंग्रेज़ पत्रकार भी वहाँ मौजूद थे, और लन्दन के अखबारों में भी यह खबर छपी थी। तत्कालीन भारतीय जज महादेव गोविन्दा रानाडे और बरोडा के राज सय्याजी राव गायकवाड़ भी इस घटना के गवाह रहे थे।
18 वीं सदी से पहले पूरे विश्व में हवाई जहाज की कोई कल्पना भी नहीं थी, जब अंग्रेज़ भारत में आये तो उन्होंने हमारे धर्म ग्रन्थों को पढ़ने समझने के लिये संस्कृत सीखी।
लार्ड मकौले ने 25 वर्ष तक संस्कृत में हिन्दू ग्रन्थों का अध्यन किया। भारत को ज्ञान रूप से इतना समृद्ध देख कर उसको विश्वास हो गया कि बौद्धिक ज्ञान-विज्ञान की समृद्धि के वजह से वो लम्बे समय तक भारत को गुलाम बनाने में असफल रहेंगे.. अतः उसने हमारे धर्म ग्रन्थों में मिलावट तथा झूठी बातों का प्रचार प्रसार करना शुरू किया और राम और पुष्पक विमान को कोरी कल्पना कहना शुरू कर दिया। वो कहते कि दिखाओ कहा कुछ हवा में उड़ता है,यह रामायण काल्पनिक है।
शिवकर बापूजी तलपड़े ने इस कथित कल्पना को सत्य सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अंग्रेज़ों के सामने गुलामी के काल में ही अपने संस्कृत व वेद-उपनिषद के ज्ञान से विश्व का सबसे पहला हवाई जहाज बना के दिखा दिया था।
लेकिन इस घटना के बाद वे हमेशा अंग्रेज़ों के नज़रों में खटकते रहे और उनकी साज़िशों का शिकार होकर गुमनाम हो गये...!
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जय सनातन धर्म जय हिन्द