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कोटा (राजस्थान): लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बेटी "अंजलि" व "अनीस" ने रचाया विवाह…

"अंजलि" व "अनीस" को आशीर्वाद देने कई मंत्री, सांसद, विधायक, अधिकारी व सेलिब्रिटी कोटा पहुंचे…

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बेटी "अंजलि" एक IAS है और अभी रेल मंत्रालय में कार्यरत है, वहीं "अनीस" कोटा की बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखते हैं…

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जवाहरलाल नेहरू अपने परिवार के बच्चों से काफ़ी प्यार करते थे। उन्होंने अपनी पुत्री को राजनीति में जिस तरह आगे बढ़ाया, वह एक मॉडल है। फिर उनकी बेटी ने अपने बेटे को सत्ता में आगे बढ़ाया। उनके दूसरे बेटे से बहू और फिर बहू से बेटे और अब बेटी तक ये परंपरा जारी है।

इसके बाद की पीढ़ी ने भी इस उपचुनाव में प्रचार कर लिया। ये नेहरू परिवार की लगातार छठी पीढ़ी है। सिर झुकाकर सलाम करो कांग्रेसियों। नए बॉस आ गए हैं।

ये अब हमारी राष्ट्रीय परंपरा या समस्या बन गई। यह अब सर्वत्र है। सर्वव्यापी है। कम अपवाद बचे हैं। वे बहुत दमदार लोग हैं जो नेहरू जैसा पिता न होने के बावजूद राजनीति में आगे बढ़ते हैं।

आदरणीय नेहरू जी की याद में हम बाल दिवस मनाते हैं क्योंकि वे अपने बच्चों को प्यार करते थे। 🙏🏽

नेहरू जी का मैं सम्मान करता हूँ और मैं उस स्तर पर नीचे नहीं उतरना चाहूँगा जितना नीचे गिरकर कांग्रेस नरेंद्र मोदी पर निजी हमला करती है।

कांग्रेस ने मोदी को कभी प्रधानमंत्री वाला सम्मान नहीं दिया।

मोदी जी साधारण परिवार के हैं। गुजराती स्कूल में पढ़ने की ही हैसियत थी।

मोदी को कांग्रेस द्वारा नीच बोलने की वजह उनका ओबीसी होना और इलीट जैसी इंग्लिश न बोल पाना ही है।

वरना वंशवाद शुरू करने के लिए तो किसी ने नेहरू को नीच नहीं कहा। कश्मीर या चीन नीति और ग़लतियों के बावजूद किसी ने नेहरू को नीच नहीं कहा। वे आरक्षण के खिलाफ मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखते थे, पर किसी ने उनको नीच नहीं कहा। उनके कारण बाबा साहब को कैबिनेट से इस्तीफ़ा देना पड़ा पर हम लोग उन्हें नीच नहीं कहते। उनकी समाजवादी सुस्त आर्थिक नीति और दोषपूर्ण शिक्षा नीति के कारण देश गरीब रह गया पर इस वजह से कोई उनको नीच नहीं कहता।

कहना भी नहीं चाहिए। पर हम ये कैसे भूल जाएँ कि मोदी को नीच कहा गया।

नेहरू को लेकर तमाम बातें की जा सकती हैं। पर मैं करूँगा नहीं। मैं प्रधानमंत्री पद का सम्मान करता हूँ। नेहरू हम सबके लिए सम्माननीय हैं। सादर नमन। 🙏🏽

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राहुल गांधी के पुरखों ने मुग़लों और अंग्रेजों दोनों की सेवा की है।

राहुल गांधी ने दस समाचार पत्रों में लेख लिखकर बताया है कि “अंग्रेजों ने कैसे तलवा-चाट राजा महाराजाओं को घूस देकर या डराकर भारत पर राज क़ायम किया।”

लेकिन वे यह बताना भूल गए कि उस समय उनके अपने पुरखे क्या कर रहे थे। या हो सकता है कि उनको पता ही न हो।

राहुल के पूर्वज यानी मोतीलाल नेहरू के दादा लक्ष्मी नारायण तब मुग़ल दरबार में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले वकील थी। यानी ब्रिटिश शासन स्थापित करने में वे नींव की ईंट थे।

लक्ष्मी नारायण के पुत्र यानी मोतीलाल के पिता गंगाधर मुग़लों के शासन में दिल्ली के कोतवाल यानी आज के हिसाब से पुलिस कमिश्नर थे।

जब 1857 में अंग्रेजों की तोपें चली तो गंगाधर परिवार समेत भागकर आगरा चले गए। वहीं उनके निधन के बाद पुत्र मोतीलाल का जन्म हुआ। मोतीलाल जी ने ब्रिटिश कोर्ट में वकालत शुरू की।

स्रोत है कांग्रेस का अपना लिखा हुआ इतिहास।

राहुल के पुरखों ने मुग़लों और अंग्रेजों दोनों की सेवा की है।

आज़ादी के बाद लगभग सारे बड़े राजा महाराजा और नवाब, जो राजनीति में आना चाहते थे, कांग्रेस के सांसद बने।

वैसे भी पुरखों के दोष के लिए अब किसी को बुरा भला नहीं कहना चाहिए। ये न भूलें कि भारत के एकीकरण में सभी हिंदू राजा पहले और दूसरे ही दौर में सहमत हुए। आख़िर तक विरोध हैदराबाद, जूनागढ़ और भोपाल के नवाबों का था।

एकीकृत भारत बनाने में पूर्ववर्ती शासकों की भी भूमिका है। 🙏🏽

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राहुल गांधी के पुरखों ने मुग़लों और अंग्रेजों दोनों की सेवा की है।

राहुल गांधी ने दस समाचार पत्रों में लेख लिखकर बताया है कि “अंग्रेजों ने कैसे तलवा-चाट राजा महाराजाओं को घूस देकर या डराकर भारत पर राज क़ायम किया।”

लेकिन वे यह बताना भूल गए कि उस समय उनके अपने पुरखे क्या कर रहे थे। या हो सकता है कि उनको पता ही न हो।

राहुल के पूर्वज यानी मोतीलाल नेहरू के दादा लक्ष्मी नारायण तब मुग़ल दरबार में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले वकील थी। यानी ब्रिटिश शासन स्थापित करने में वे नींव की ईंट थे।

लक्ष्मी नारायण के पुत्र यानी मोतीलाल के पिता गंगाधर मुग़लों के शासन में दिल्ली के कोतवाल यानी आज के हिसाब से पुलिस कमिश्नर थे।

जब 1857 में अंग्रेजों की तोपें चली तो गंगाधर परिवार समेत भागकर आगरा चले गए। वहीं उनके निधन के बाद पुत्र मोतीलाल का जन्म हुआ। मोतीलाल जी ने ब्रिटिश कोर्ट में वकालत शुरू की।

स्रोत है कांग्रेस का अपना लिखा हुआ इतिहास।

राहुल के पुरखों ने मुग़लों और अंग्रेजों दोनों की सेवा की है।

आज़ादी के बाद लगभग सारे बड़े राजा महाराजा और नवाब, जो राजनीति में आना चाहते थे, कांग्रेस के सांसद बने।

वैसे भी पुरखों के दोष के लिए अब किसी को बुरा भला नहीं कहना चाहिए। ये न भूलें कि भारत के एकीकरण में सभी हिंदू राजा पहले और दूसरे ही दौर में सहमत हुए। आख़िर तक विरोध हैदराबाद, जूनागढ़ और भोपाल के नवाबों का था।

एकीकृत भारत बनाने में पूर्ववर्ती शासकों की भी भूमिका है। 🙏🏽

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राहुल गांधी के पुरखों ने मुग़लों और अंग्रेजों दोनों की सेवा की है।

राहुल गांधी ने दस समाचार पत्रों में लेख लिखकर बताया है कि “अंग्रेजों ने कैसे तलवा-चाट राजा महाराजाओं को घूस देकर या डराकर भारत पर राज क़ायम किया।”

लेकिन वे यह बताना भूल गए कि उस समय उनके अपने पुरखे क्या कर रहे थे। या हो सकता है कि उनको पता ही न हो।

राहुल के पूर्वज यानी मोतीलाल नेहरू के दादा लक्ष्मी नारायण तब मुग़ल दरबार में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले वकील थी। यानी ब्रिटिश शासन स्थापित करने में वे नींव की ईंट थे।

लक्ष्मी नारायण के पुत्र यानी मोतीलाल के पिता गंगाधर मुग़लों के शासन में दिल्ली के कोतवाल यानी आज के हिसाब से पुलिस कमिश्नर थे।

जब 1857 में अंग्रेजों की तोपें चली तो गंगाधर परिवार समेत भागकर आगरा चले गए। वहीं उनके निधन के बाद पुत्र मोतीलाल का जन्म हुआ। मोतीलाल जी ने ब्रिटिश कोर्ट में वकालत शुरू की।

स्रोत है कांग्रेस का अपना लिखा हुआ इतिहास।

राहुल के पुरखों ने मुग़लों और अंग्रेजों दोनों की सेवा की है।

आज़ादी के बाद लगभग सारे बड़े राजा महाराजा और नवाब, जो राजनीति में आना चाहते थे, कांग्रेस के सांसद बने।

वैसे भी पुरखों के दोष के लिए अब किसी को बुरा भला नहीं कहना चाहिए। ये न भूलें कि भारत के एकीकरण में सभी हिंदू राजा पहले और दूसरे ही दौर में सहमत हुए। आख़िर तक विरोध हैदराबाद, जूनागढ़ और भोपाल के नवाबों का था।

एकीकृत भारत बनाने में पूर्ववर्ती शासकों की भी भूमिका है। 🙏🏽

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वक्फ बोर्ड या नमक"हराम" बोर्ड ?

वक्फ बोर्ड या बेगैरत कब्ज़ाखोर बोर्ड ?

कर्नाटक के एक कस्बे में
मुसलमान के शव को कब्रिस्तान वालों ने छोटी जाति
का मुसलमान होने की वजह से दफ़नाने न दिया

तो एक हिन्दू ने इंसानियत के नाते उसे अपने खेत के कोने में दफ़नाने की जगह दे दी

लेकिन अब 11 साल बाद नमकहराम वक्फ बोर्ड उस लगभग 12 एकड़ के खेत पर अपना दावा ठोक रहा है कि

चूंकि यहाँ एक मुसलमान को दफनाया गया इसलिए ये जमीन इस्लाम के कायदे के अनुसार इस्लामिक हो गयी...

ऐसे वक्फ बोर्ड का नमो निशान इस देश से मिटा देना चाहिए जो इस तरफ दूसरों के खून पसीने की कमाई पर कब्ज़ा करता फिर रहा 🖐️

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दुख दर्द पीड़ा भक्तों के लिए... 🤣🤣🤣
सही है ना???

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