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बचपन का समय कई मजेदार किस्सों से भरा होता है, तभी लोग अपने बचपन के दिनों को याद करके बहुत हंसते हैं और खुश होते हैं।
बचपन की यादों में एक कहानी इस हाथ से चलाए जाने वाले पंखे की भी है। पहले के जमाने में जब इतनी सुख सुविधाएं नहीं थी और बिजली भी बहुत कम आती थी। तब बच्चों को सुलाने के लिए बड़े इसकी हवा देते थे।
आजकल तो सबके यहां कुलर, पंखे और एसी आ गई है और ये पंखा कहीं गायब सा हो गया है। पर फिर भी गांवों के कुछ घरों में ये आज भी देखने को मिल सकता है।
बचपन का समय कई मजेदार किस्सों से भरा होता है, तभी लोग अपने बचपन के दिनों को याद करके बहुत हंसते हैं और खुश होते हैं।
बचपन की यादों में एक कहानी इस हाथ से चलाए जाने वाले पंखे की भी है। पहले के जमाने में जब इतनी सुख सुविधाएं नहीं थी और बिजली भी बहुत कम आती थी। तब बच्चों को सुलाने के लिए बड़े इसकी हवा देते थे।
आजकल तो सबके यहां कुलर, पंखे और एसी आ गई है और ये पंखा कहीं गायब सा हो गया है। पर फिर भी गांवों के कुछ घरों में ये आज भी देखने को मिल सकता है।
बचपन का समय कई मजेदार किस्सों से भरा होता है, तभी लोग अपने बचपन के दिनों को याद करके बहुत हंसते हैं और खुश होते हैं।
बचपन की यादों में एक कहानी इस हाथ से चलाए जाने वाले पंखे की भी है। पहले के जमाने में जब इतनी सुख सुविधाएं नहीं थी और बिजली भी बहुत कम आती थी। तब बच्चों को सुलाने के लिए बड़े इसकी हवा देते थे।
आजकल तो सबके यहां कुलर, पंखे और एसी आ गई है और ये पंखा कहीं गायब सा हो गया है। पर फिर भी गांवों के कुछ घरों में ये आज भी देखने को मिल सकता है।