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छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा शाइस्ता खां पर किए गए आक्रमण का रोचक वर्णन :- 5 अप्रैल, 1663 ई. को शाइस्ता खां अपने हरम व शाही फौज के साथ पूना के उसी लाल महल में था, जिसमें बाल शिवाजी का बचपन बिता था। शिवाजी महाराज ने रात्रि के समय हमला करने का फैसला किया।
शिवाजी महाराज ने 1000 मराठा बहादुरों को अपने साथ लिया और अपने पीछे 1-1 हजार की 2 फौजें नेताजी पालकर व मोरोपन्त पेशवा के नेतृत्व में लीं। सबसे पहले शिवाजी महाराज ने एक नकली शादी के बहाने से बाराती बनकर मराठों के साथ पूना नगर में प्रवेश किया।
शिवाजी महाराज ने पूना में अपना बचपन बिताया था, इसलिए वे इस जगह से अच्छी तरह वाकिफ थे। शाइस्ता खां के महल में जश्न चल रहा था व बहुत से मुगल सो गए थे। शिवाजी महाराज ने 400 मराठों व अपने 2 अंगरक्षकों बाबाजी बापूजी व चिमनाजी बापूजी के साथ महल में प्रवेश किया।
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इतिहास जो आपको जानना जरुरी है। गांधार (आज का अफगानिस्तान), जो कभी अखंड भारत का हिस्सा था। आपने महाभारत में गांधारी का नाम तो सुना ही होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि उनका नाम गांधारी क्यो रखा गया था ? क्योकि वह गांधार देश की राजकुमारी थीं। गांधारी का सगा भाई शकुनी इसी जनपद का राजा था।
महाभारत के अनुसार भारत को मुख्यत: 16 जनपदों में स्थापित किया गया था। इन्हीं जनपदों में से एक गांधार था। उस वक़्त गांधार बहुत सक्षम और संभ्रद्ध था।
महाभारत में हमको गांधार नरेश और गांधारी के होने से यह सबूत मिलता है। गांधार कभी भारत का सबसे खुशहाल राज्य या जनपद था। यह बड़े आयुर्वेद अस्पतालों के लिए यह जाना जाता था।
आज के पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र उस काल में भारत का गंधार प्रदेश था। भारत में घुसने के लिए यह एक दरवाजा था। गांधार देश से ही अधिकतर व्यापारी भारत में घुसते थे।
आचार्य चाणक्य का तक्षशिला जो महाभारत काल में गांधार प्रदेश की राजधानी थी। गांधार ही आज कंधार के नाम से जाना जाता है। जो अफगानिस्तान में स्थित है। पहले हमारा भारत कहाँ तक था और आज का वर्तमान भारत कितना सिकुड़ गया है।