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Insightful and forward-thinking, Hardeep Singh Puri explores groundbreaking initiatives in steering governance across India's capital. A commendable article from the Union Minister of Petroleum and Natural Gas, and Housing and Urban Affairs.

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Union minister Hardeep Singh Puri provides insightful commentary on the strategic departure from the Akalis, labeling it as a beneficial decision.

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एक घडी, आधी घडी, आधी में पुनि आध। तुलसी चरचा राम की, हरै कोटि अपराध।।
✍️महाकवि तुलसी दास जी सुसंगति का महत्त्व का बखान करते हुए कहा है कि साधू अर्थात् भले एवं सच्चे लोगों की अतिअल्प संगति भी हमारे जीवन से कई प्रकार के बुरे कर्मो और पापों को हर लेती है। ज्ञानी साधु की संगत से हमारे अनंत कोटि जन्मों के अपराध नष्ट हो जाते हैं और केवल प्रारब्ध कर्मफल ही शेष रह जाता है। जैसे एक अच्छी उपजाऊ मिट्टी में ही एक कुशल फसल होती है, ठीक वैसे ही साधु संत का संग पाकर मनुष्य की सदवृत्तियाँ लहलहाती हैं।
✍️ दीपक शर्मा पारीक

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जो संपत्ति रावण को शिवजी ने दस सिरों की बलि चढ़ाने पर दी थी, वही संपदा श्री रघुनाथजी ने विभीषण को बड़े संकोच के साथ दी (यह सोचते रहे कि मैंने इस शरणागत भक्त को तुच्छ वस्तु ही दी)।
✍️ दीपक शर्मा पारीक

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रामजी की सेना का अद्भुत वृतांत ✍️चिक्करहिं दिग्गज डोल महि गिरि लोल सागर खरभरे।
मन हरष सभ गंधर्ब सुर मुनि नाग किंनर दुख टरे॥
✍️कटकटहिं मर्कट बिकट भट बहु कोटि कोटिन्ह धावहीं।
जय राम प्रबल प्रताप कोसलनाथ गुन गन गावहीं॥
✍️ चारों दिशाओं से हाथी चिंग्घाड़ने लगे, पृथ्वी डोलने लगी, पर्वत काँपने लगे और समुद्र खलबला उठे। गंधर्व, देवता, मुनि, नाग, किन्नर सब के सब मन में हर्षित हुए कि अब हमारे दुःखों का अंत निश्चित है। करोड़ों भयानक वानर योद्धा कटकटा रहे हैं और करोड़ों ही दौड़ लगा रहे हैं। 'प्रबल प्रताप कोसलनाथ श्री रामचंद्रजी की जय हो' ऐसा जयघोष करते हुए वे उनके गुणों का उद्घोष कर रहे हैं॥
✍️ दीपक शर्मा पारीक

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आज मराठा वीर बाजीराव जी का सही इतिहास, शायद ही किसी को मालूम होगा क्योंकि फिल्म में उन्हें देवदास की तरह का दिखा दिया है ।
बाजीराव जी 20 वर्ष की आयु में पेशवा बने बाजीराव जी ने अपनी चतुर रणनीति से निजाम को कई बार हराया, उन्हे मुगल विध्वंसक माना जाता है।
जितनी कम आयु उनकी रही उतनी ही तेजी से और अधिक महत्वपूर्ण काम करके चले गए
वास्तव में वे चाहते थे कि मुगल दक्कन के क्षेत्रों में उन्हे चौथ दे जिसपर मुगल बादशाह मुहम्मद शाह तैयार नहीं हुए, जिसपर उन्होंने दिल्ली में मुगलों को पराजित कर दिया और 3 दिन तक उन्हे बंधक बनाए रखा
किसी की उस समय हिम्मत नही थी कि कोई दिल्ली में हमला कर दे, जब बाजीराव वापस लौटने लगे तब मुगलों ने अवध के नवाब और हैदराबाद के निजाम से सहायता मांगी और उनकी और अपनी संयुक्त सेना से मिलकर भोपाल में हमला कर दिया
लेकिन प्रयास असफल हो गया बाजीराव जी ने उन्हे फिर से हरा दिया, जिससे उनका वर्चस्व उत्तर भारत तक हो गया
इससे पहले उन्होंने मालवा, गुजरात में भी हमला करके जीत लिया था जो पहले मुगलों के वफादार थे।
इसके बाद उन्होंने पुर्तगालियों पर भी हमला किया और उन्हें संधि करने को मजबूर कर दिया
बाद में उनकी मृत्यु मध्यप्रदेश के खरगोन में हो गई कुछ लोग मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताते है तो कुछ लू लगने को ।

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श्री राकेश गोयल जी को व्यपार सैल भाजपा के सैक्टरी नियुक्त होने पर बहुत बहुत शुभ कामनाएँ...

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