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#भूकम्प से कोई नहीं मरता साहब। लोग मरते हैं अपनी अपनी #कोठियों को बनानी की होड़ से।
हमारे #पूर्वजों ने जो घर बनाए थे वो भूकम्प में अवश्य खिसकते थे औऱ दरारें भी पड़ती थी पर किसी की #मौत नही होती थी।
लेकिन वो वर्तमान #बिल्डिंगों की तरह धराशायी नहीं होते थे !
हमारे #पूर्वज एक सीमित जगह में सुखी से जीवन व्यतीत करके चले गए । लेकिन आज का #मानव अपना पूरा जीवन "#कोठी के ऊपर कोठी" बनाने में #बर्बाद कर देते है। !

कबीर साहेब कहते है
कहा चुनावै मेड़िया, लम्बी भीत उसार ।
घर तो साढ़े तीन हाथ, घना तो पौने चार ||

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#नरेगा में #मिट्टी को इधर-उधर करवाने की बजाय #पेड़ #पौधे लगवाने का काम करवायें तो चार-पांच #सालों में #देश #हरा भरा हो सकता है

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