मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश Justice G. R. Swaminathan इन दिनों देशभर में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। वे संवैधानिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं से जुड़े अपने अनेक अहम फैसलों, तेज़ न्यायिक निपटान दर और हालिया विवादों के कारण एक प्रभावशाली लेकिन विवादास्पद न्यायाधीश के रूप में देखे जाते हैं। सात वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने 64,000 से अधिक फैसले और आदेश लिखे हैं, जो भारतीय न्यायपालिका में उनकी असाधारण उत्पादकता को दर्शाता है। उन्होंने स्वयं अपने प्रदर्शन रिपोर्ट सार्वजनिक कर न्यायिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मिसाल पेश की है।
Justice Swaminathan के कई फैसले ऐतिहासिक रहे हैं। तमिलनाडु में इंटरसेक्स बच्चों पर अनावश्यक मेडिकल हस्तक्षेप पर रोक लगाने वाला उनका निर्णय सुप्रीम कोर्ट तक उद्धृत हुआ और संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सराहा गया। इसके अलावा उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कैदियों के अधिकार, पशु कल्याण और दिव्यांग अधिकारों से जुड़े मामलों में भी महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।
हाल ही में थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर कार्तिगई दीपम जलाने से जुड़े आदेश के बाद वे राजनीतिक विवाद में घिर गए। राज्य सरकार द्वारा आदेश लागू न करने पर उन्होंने CISF सुरक्षा में दीप प्रज्वलन की अनुमति दी, जिसके बाद 100 से अधिक विपक्षी सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की सूचना दी। इससे न्यायिक स्वतंत्रता, जवाबदेही और धर्म-निरपेक्षता पर राष्ट्रीय बहस तेज हो गई है।
Justice Swaminathan की स्पष्टवादी शैली और कुछ बयानों को लेकर आलोचना भी होती रही है। उनके फैसले और विचार आज भारत में कानून, धर्म और राजनीति के आपसी संबंधों पर गहन चर्चा का विषय बन चुके हैं।