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हिमाचली बिलासपुरी विवाह# जयमाला स्टेज पर होनी चाहिए या वेदिका में # यह जयमाला वेदिका में हुई हिमाचली पहाड़ी कल्चर

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आप सभी को गौ माता के पूजन पर्व #गोपाष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
आइए, इस पुनीत अवसर पर हम सभी गौ-सेवा हेतु संकल्पित हों।

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“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती!"
यह सिर्फ़ एक पंक्ति नहीं, बल्कि हर किसी की ज़िंदगी का सार है। कुछ लोग इसे सुनकर आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन कुछ इसे साबित कर दिखाते हैं। कोशिश से जीत हासिल करने वाले इन्हीं चंद लोगों में आता है भारतीय शटलर प्रमोद भगत का नाम भी! जिन्होंने लाख परेशानियां देखीं लेकिन खुद पर यक़ीन ऐसा था कि आज पूरी दुनिया उनके जज़्बे के लिए उनको सलाम करती है।
मुश्किलों से लड़ते हुए अपनी मेहनत से सफलता पाने वाले प्रमोद भगत 4 जून 1988 को बिहार के वैशाली के सुभई गांव के एक ग़रीब परिवार में जन्मे। पिता किसान थे और उनका बचपन काफ़ी अभावों में व्यतीत हुआ। ज़िंदगी ने भी उनकी हिम्मत की परीक्षा लेने की ठान ली थी, 5 साल की छोटी-सी उम्र में ही उन्हें पोलियो हो गया और बायां पैर खराब हो गया। घर की आर्थिक स्थिति बिलकुल अच्छी नहीं थी, इलाज करवा पाना मुश्किल था इसलिए प्रमोद के पिता ने उन्हें उनकी बुआ के साथ ओडिशा भेज दिया। वहां इलाज शुरू हुआ और बचपन से अपनी बुआ के साथ रहने वाले प्रमोद का तभी बैडमिंटन के खेल में मन लग गया। उनके भाई अमोद भगत बताते हैं कि फूफाजी प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर थे, सो बुआ के साथ रहते हुए भी गरीबी और अभाव बरकरार रहा। ओडिशा में वह जिस जगह रहते थे, उसके पास ही कुछ लड़के बैडमिंटन खेलते थे। प्रमोद के पास रैकेट नहीं था, तो खेलने की लालसा में दोनों भाई बैडमिंटन कोर्ट की सफ़ाई किया करते थे। बदले में लड़के उन्हें कभी अपना रैकेट दे देते, कभी साथ खिला लिया करते।
यही से शुरू हुआ प्रमोद का इस खेल के प्रति जूनून और फिर मेहनत और संघर्ष कर आज वह सफलता के इस मुक़ाम को हासिल कर सके हैं। मात्र 15 साल की उम्र में ही उन्होंने अपना पहला टूर्नामेंट खेला, जिसके लिए उन्हें लोगों से बहुत प्रशंसा मिली। 2006 में प्रमोद का चयन ओडिशा टीम में हुआ था। इसके बाद अपने करियर को आगे बढ़ाते हुए इन्होंने जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओ में भाग लिया।
उन्होंने 2021 में पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इसके अलावा इस भारतीय शटलर ने विश्व चैंपियनशिप में चार स्वर्ण समेत 45 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं। आज प्रमोद भगत एशियन पैरा गेम्स में जगह बनाने वाले ओडिशा के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। आने वाली प्रतियोगिताओं के लिए देश आपको शुभकामनाएं देता है, प्रमोद! आप दुनिया भर में झंडा गाड़ कर आइए।

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Happened on Kirtpur Sahib-Manali Highway. D/S

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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग की रहने वाली हैं हिमानी भट्ट शिवपुरी आज कोसी पहचान की मोहताज नही है शायद ही कोई होगा जो इनको नहीं जानता होगा, इस बहुमुखी अभिनेत्री ने बॉलीवुड फिल्मों और टेलीविजन ओपेरा में कई उल्लेखनीय भूमिकाएँ निभाई हैं। हिमानी शिवपुरी का जन्म और पालन-पोषण देहरादून में हुआ और वह मूल रूप से उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग की रहने वाली हैं। कसौटी जिंदगी की और क्योंकि सास भी कभी बहू थी जैसे डेली सोप में उनके अद्भुत अभिनय को कई लोगों ने सराहा। उन्होंने 90 के दशक की लोकप्रिय फिल्मों जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995), परदेस (1997), कुछ कुछ होता है (1998), कोयला (1997) में भी दिल छू लेने वाला अभिनय किया है।
#uttarakhand #उत्तराखंड #motivation

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Counter Intelligence Amritsar's big action

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