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सैनी समाज गौरव श्री सालासर बालाजी उच्च माध्यमिक विद्यालय लाम्बिया की छात्रा #साक्षी_सैनी पुत्री श्री पांचाराम राम जी सैनी कांवलिया खुर्द की 17 वर्षीय कब्बडी में नेशनल स्तर पर चयन होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
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वह सूर्य ग्रहण के दौरान पैदा हुई थी, और जन्म के समय उसका सिर असामान्य रूप से छोटा था, साथ ही होंठ और नाक भी थोड़े अलग थे। गांव के लोग उसे चिढ़ाते थे, उसे "पिची" (पागल) और "कोठी" (बंदर) कहकर ताने मारते थे। वह घर आकर रोने लगती थी, उनके क्रूर शब्दों से टूट जाती थी। वह तो बस एक बच्ची थी, और हम उसे समझाने की पूरी कोशिश करते थे, लेकिन उसका दुख देखकर हमारा दिल टूट जाता था। लोग यहां तक कहने लगे थे कि हमें उसे अनाथालय भेज देना चाहिए। लेकिन आज, जब हम उसे दूर देश में पैरालंपिक में मेडल जीतते हुए देखते हैं, तो यह साबित होता है कि वह वास्तव में एक खास लड़की है... यह कहानी है दीप्ति जीवनजी की, जिसे उनकी मां जीवनजी ने साझा किया।
पेरिस पैरालिंपिक 2024 ने दुनिया को दिखा दिया है कि अगर मजबूत इच्छाशक्ति हो, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। तमाम चुनौतियों के बावजूद, एथलीटों ने सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है। दीप्ति जीवनजी उन प्रेरणादायी एथलीटों में से एक हैं, जिनका सफर चुनौतियों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। पेरिस पैरालिंपिक 2024 में, दीप्ति जीवनजी ने महिलाओं की 400 मीटर T20 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर भारत के लिए 16वां पदक हासिल किया। इस पैरा-एथलीट ने यह दौड़ 55.82 सेकंड में पूरी की।
इससे पहले, दीप्ति ने जापान के कोबे में विश्व एथलेटिक्स पैरा चैंपियनशिप में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता था। वह आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले के कल्लेडा गांव की रहने वाली हैं। उनके माता-पिता, जीवनजी यादगिरी और जीवनजी धनलक्ष्मी, ने याद किया कि कैसे उनकी बेटी को बड़े होने के दौरान ताने सहने पड़े। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, दीप्ति बौद्धिक विकलांगता के साथ पैदा हुई थीं, और उनका सफलता तक का सफर बेहद असाधारण रहा है।
अमेरिका में एक शख्स ने एक अनोखा रिकॉर्ड बना लिया.Columbia River इस आदमी ने कद्दू की नाव में बैठकर रिकॉर्ड दूरी तय कर डाली और वर्ल्ड रिकॉर्ड ही बना डाला. अब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. दरअसल, गैरी क्रिस्टेंसन नाम के इस व्यक्ति ने पहले एक 500 किलो का कद्दू उगाया फिर उससे एक नाव तैयार की. उसने वाशिंगटन की कोलंबिया नदी के किनारे 73.5 किमी की यात्रा की और कद्दू नाव से सबसे लंबी यात्रा का रिकॉर्ड बनाया.
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दोस्तों ये है देवेन्द्र प्रसाद, उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी जिला अंर्तगत, ब्लॉक यमकेश्वर के ग्राम उमड़ा, डांग के निवासी है।
पित्रों की भूमि को नहीं छोड़ पाए देवेन्द्र।
ये हैं, तो जिंदा है गांव आज भी।
देवेन्द्र प्रसाद जैसे ही सैकड़ों किसानों की बदौलत उत्तराखण्ड के गांव जीवित हैं।
जो धारा के विपरीत पलायन को मात देकर इन पहाड़ों में अनाज रूपी रत्न उगा रहे हैं। उत्तराखण्ड में घोस्ट विलेज की तस्वीर को बदलकर समृद्ध व सामर्थ्यवान प्रदेश की छवि बना रहे हैं।
देवेन्द्र प्रसाद जैसे किसानों को दिल से सलाम।