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अकसर लोगों की शिकायत रहती हैं कि उनका तुलसी जी का पौधा सूख जाता हैं, पौधे के सारे पत्ते झड़ जाते है, पौधा घना नहीं होता ।इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं। उनमें से एक कारण यह भी हैं कि तुलसी के पौधे में ओवर-वाटरिंग हो जाने के कारण इसकी जड़ों में फंगस लग जाता हैं । इससे बचाव के लिए जब भी तुलसी का पौधा लगाएं तो 70% मिट्टी और 30% रेत का इस्तेमाल करें। इससे पानी ज्यादा देर तक नहीं टिकेगा और तुलसी का पौधा लंबे समय तक हरा-भरा रहेगा और पौधे को पानी तभी दे जब गमले की मिट्टी सूखी दिखे।
इसके साथ ही, हर 15 दिन में पानी में हल्दी मिलाकर पौधे और मिट्टी पर स्प्रे करने से तुलसी का पौधा कीड़ों और चिटियों से भी बचा रहेगा।
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ऐसा कभी ना हों 😥😥आखिरी सफर - लास्ट फोटो 😥 ऐसे तो सल्ट बस दुर्घटना में हर मृतक की जिंदगी की यादे रह गयी लेकिन एक दम्पप्ति की दुःखद खबर झकझोर कर देगी _
इंजीनियर प्रवीन और उनकी पत्नी सोनी को नहीं पता था कि यह उनका आखिरी सफर होगा
कूपी बैंड की खाई में गिरकर टूट गया संग जीने का सपना सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रवीण सिंह पुत्र भूपाल सिंह और उनकी पत्नी सोनी को नहीं पता था कि जिस बस में वे सफर कर रहे हैं यह उनके जीवन का अंतिम सफर होगा। दोनों ने संग-संग जीने के जो सपने संजोए थे वे मरचूला के पास कूपी बैंड के पास गहरी खाई में गिरकर गधेरे में बिखर गए। कोविडकाल में प्रवीण और सोनी की शादी हुई थी। दोनों की जिंदगी हंसी-खुशी चल रही थी। प्रवीण सिंह के दोस्त हिमांशु ने बताया कि कि सोनी और प्रवीण दिवाली मनाने अपने मूलगांव दिगोली आए थे। दिवाली के बाद
वे किनाथ से रामनगर जा रही बस से देहरादून लौट रहे थे। दोनों को सोमवार सुबह ग्रामीणों ने आशीर्वाद देकर हंसी-खुशी विदा किया था लेकिन उन्हें नहीं पता था कि मौत दोनों का कूपी बैंड के पास इंतजार कर रही है। कूपी
बैंड के पास बस की कमानी का पट्टा तेज आवाज के
आखिरी तस्वीर साथ टूटने के साथ ही वाहन अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। इस हादसे में सोनी और प्रवीण समेत 36
यात्रियों की जान गई है। हिमांशु ने बताया कि प्रवीण सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग और उनकी पत्नी सोनी ने फार्मासिस्ट का कोर्स किया था। कुछ समय पहले ही वे दिल्ली शिफ्ट हुए थे और
किसी काम से देहरादून जा रहे थे। उसके बाद उन्हें दिल्ली जाना था। हिमांशु को अपने दोस्त और उनकी पत्नी की मौत का गहरा सदमा लगा है। यह तस्वीर इनकी आखिरी तस्वीर साबित हुवी

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पहाड़ी केले किस किस को पसंद है

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गोल्ड मेडल शिलवर मेडल जीत पर बहुत बहुत बधाई
माध्यमिक विद्यालय स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर रा ई का गुलेर कपकोट के छात्र पवन सिंह राठौर को चक्का फेंक में गोल्ड मेडल और गोला फेक मैं सिल्वर मेडल प्राप्त होने पर हार्दिक शुभकामनाएं और उज्ज्वल भविष्य शुभकामनाये और साथ मैं देवेंद्र कोरंगा सर को भी बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं जो उनके मार्गदर्शन से इस मुकाम पर पहुंच पाया

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कोई इन कलाकारो को भी सोसल मिडिया मे फेमस कर दो ताकी इनका घर चल सके 🙏
उत्तराखँड के अल्मोडा जिले के धौलाछीना गाँव में रहते है लोकगायक संतराम जी और उनकी धरम पत्नी आनंदी देवी, दोनों नेत्र हीन है और वर्तमान मे बहुत ही मुश्किल से जीवन यापन कर रहेँ है। इनकी कोई संतान भी नही है जो इनकी देखभाल कर सके।
अल्मोड़ा वालो ये जहा भी मिले इन्हे सपोर्ट जरूर करे !!

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#gold
टोक्यो पैरालंपिक की पदक विजेता अवनी लेखरा ने पेरिस में भी पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड अपने नाम किया है
अवनी बचपन में एक सड़क दुर्घटना में घायल हुईं थीं, जिसके बाद कमर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था
अवनी भारत की पहली महिला एथलीट हैं, जिन्होंने भारत के लिए पैरालंपिक में दो पदक जीते हैं
अवनी ने टोक्यो में एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था

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#gold
टोक्यो पैरालंपिक की पदक विजेता अवनी लेखरा ने पेरिस में भी पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड अपने नाम किया है
अवनी बचपन में एक सड़क दुर्घटना में घायल हुईं थीं, जिसके बाद कमर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था
अवनी भारत की पहली महिला एथलीट हैं, जिन्होंने भारत के लिए पैरालंपिक में दो पदक जीते हैं
अवनी ने टोक्यो में एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था

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टोक्यो पैरालंपिक की पदक विजेता अवनी लेखरा ने पेरिस में भी पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड अपने नाम किया है
अवनी बचपन में एक सड़क दुर्घटना में घायल हुईं थीं, जिसके बाद कमर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था
अवनी भारत की पहली महिला एथलीट हैं, जिन्होंने भारत के लिए पैरालंपिक में दो पदक जीते हैं
अवनी ने टोक्यो में एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था

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