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चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक मालई के आर्मी रिटायर्ड श्री विनोद रावत जी ने बागवानी में अपनी कार्यकुशलता और दूरदर्शी सोच से एक मिशाल कायम की है, जहां एक ओर लोग पहाड़ी क्षेत्रों से मैदानी क्षेत्रों की ओर लगातार पलायन कर रहे हैं वहीं श्री रावत जी बागवानी के क्षेत्र में अनूठी मिशाल पेश कर रहे हैं।
श्री रावत जी के बगीचे में लगभग दो सौ पेड़ कीवी के पेड़ हैं।
रावत जी के बगीचे की कीवी की सबसे अहम खासियत यह है कि लगभग 150 ग्राम वजन की कीवी शुद्ध जैविक होने के साथ- साथ स्वादिष्ट और मीठी भी है।
रावत जी का अथक प्रयास यह भी दर्शाता है कि दृढ इच्छा शक्ति और सकारात्मक सोच चमोली जैसे दुर्गम क्षेत्र में भी कीवी जैसे फल से स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है।
विनोद रावत जी का कहना है कि कोई भी युवा यदि बागवानी के क्षेत्र में स्वरोजगार अपनाना चाहता है तो उन्हें हर सम्भव सहयोग करेंगे।
साभार: सोशल मिडिया
चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक मालई के आर्मी रिटायर्ड श्री विनोद रावत जी ने बागवानी में अपनी कार्यकुशलता और दूरदर्शी सोच से एक मिशाल कायम की है, जहां एक ओर लोग पहाड़ी क्षेत्रों से मैदानी क्षेत्रों की ओर लगातार पलायन कर रहे हैं वहीं श्री रावत जी बागवानी के क्षेत्र में अनूठी मिशाल पेश कर रहे हैं।
श्री रावत जी के बगीचे में लगभग दो सौ पेड़ कीवी के पेड़ हैं।
रावत जी के बगीचे की कीवी की सबसे अहम खासियत यह है कि लगभग 150 ग्राम वजन की कीवी शुद्ध जैविक होने के साथ- साथ स्वादिष्ट और मीठी भी है।
रावत जी का अथक प्रयास यह भी दर्शाता है कि दृढ इच्छा शक्ति और सकारात्मक सोच चमोली जैसे दुर्गम क्षेत्र में भी कीवी जैसे फल से स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है।
विनोद रावत जी का कहना है कि कोई भी युवा यदि बागवानी के क्षेत्र में स्वरोजगार अपनाना चाहता है तो उन्हें हर सम्भव सहयोग करेंगे।
साभार: सोशल मिडिया
चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक मालई के आर्मी रिटायर्ड श्री विनोद रावत जी ने बागवानी में अपनी कार्यकुशलता और दूरदर्शी सोच से एक मिशाल कायम की है, जहां एक ओर लोग पहाड़ी क्षेत्रों से मैदानी क्षेत्रों की ओर लगातार पलायन कर रहे हैं वहीं श्री रावत जी बागवानी के क्षेत्र में अनूठी मिशाल पेश कर रहे हैं।
श्री रावत जी के बगीचे में लगभग दो सौ पेड़ कीवी के पेड़ हैं।
रावत जी के बगीचे की कीवी की सबसे अहम खासियत यह है कि लगभग 150 ग्राम वजन की कीवी शुद्ध जैविक होने के साथ- साथ स्वादिष्ट और मीठी भी है।
रावत जी का अथक प्रयास यह भी दर्शाता है कि दृढ इच्छा शक्ति और सकारात्मक सोच चमोली जैसे दुर्गम क्षेत्र में भी कीवी जैसे फल से स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है।
विनोद रावत जी का कहना है कि कोई भी युवा यदि बागवानी के क्षेत्र में स्वरोजगार अपनाना चाहता है तो उन्हें हर सम्भव सहयोग करेंगे।
साभार: सोशल मिडिया